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भारतीय निर्वाचन आयोग की घोषणा के अनुसार हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव 12 नवंबर को होंगे। पिछले छह महीने से लगातार हिमाचल में उद्घाटनों और उपहारों का दौर चला, लेकिन पिछले एक महीने में हिमाचल प्रदेश को जो तोहफे मिले हैं, उनसे हिमाचल का नसीब बदल गया है। अगर इसे चुनाव में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का एक तरीका भी माना जाए तो, लाभ तो हिमाचल प्रदेश को हुआ ही है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, जिन्हें हिमाचल से बहुत लगाव है, ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी, ताकि हिमाचल में 12 नवंबर को होने वाले चुनाव में भाजपा की लहर रहे। केंद्र सरकार से हिमाचल को लगातार आर्थिक सहायता तो मिलती रहती है क्योंकि आज़ादी के बाद जितनी भी सरकारें आईं, वे हिमाचल को आर्थिक दृष्टि से मज़बूत नहीं कर पाईं। सरकार चाहे कांग्रेस पार्टी की रही हो या भारतीय जनता पार्टी की। 2014 में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई, लेकिन तब हिमाचल में कांग्रेस की सरकार थी। 2017 में जब हिमाचल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई तो हिमाचल का नसीब बदलने लगा, लेकिन 2020 में कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को अपनी जकड़ में ले लिया। हिमाचल इस से अछूता नहीं रहा। पूरा देश इस वायरस से जूझ कर अंत में विजयी हुआ। हिमाचल को अगर सबसे बड़े तोहफों की बात करें तो बल्क ड्रग पार्क हरोली में, अटल टनल कुल्लू घाटी में, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान कोठीपुरा (बिलासपुर) में और अम्ब अंदौरा ऊना से दिल्ली 'वंदे भारत' रेलगाड़ी की शुरुआत हुई। इसके साथ-साथ और भी कई छोटी-बड़ी परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास हुए। लेकिन यह चार मुख्य उपहार हिमाचल की जनता के लिए स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सबसे बड़े उपहार हैं, जो जनता को सीधे-सीधे फायदा पहुंचाएंगे। हिमाचल प्रदेश वातावरण के लिहाज से दवाइयों की इकाइयों के लिए बहुत उपयुक्त स्थान है। विश्व की कई महत्वपूर्ण दवाइयां सोलन जिला में बनती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऊना जिले के हरोली में बल्क ड्रग पार्क की आधारशिला रखी। इसे 1900 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से तैयार किया जाएगा। इसमें करीब 10000 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है और 20000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा जिसमें स्थानीय लोगों को अधिक रोजगार मिलने के अवसर होंगे। ऊना जिला, जो अधिकतर मैदानी है, लेकिन एक लंबे समय से इसे नकारा गया है। हरोली में बल्क ड्रग पार्क बन जाने से न केवल यह जगह औषधि उत्पादन के क्षेत्र में विश्व के मानचित्र पर आ जाएगी, अपितु यहां पर दूसरे रोजग़ार भी शुरू होंगे। उपहारों की इस कड़ी में सबसे खूबसूरत कड़ी तब जुड़ी जब ऊना को दिल्ली से 'वंदे भारत' अति आधुनिक रेलगाड़ी से जोड़ा गया। यह देश की चौथी 'वंदे भारत' रेलगाड़ी है जो हिमाचल की वादियों में अपनी तीव्र गति और आराम से यात्रा के लिए जानी जाएगी।
हिमाचल की भौगोलिक स्थिति अधिकतर पहाड़ी है। यहां रेल की पटरी बिछाना जटिल कार्य है। हिमाचल में केवल कालका-शिमला और पठानकोट से जोगिंद्रनगर तक ही छोटी रेलगाड़ी की सुविधा थी जो अंग्रेज़ों के समय स्थापित हुई थी। वंदे भारत रेलगाड़ी ने न केवल अंब, अंदौरा, ऊना से दिल्ली का सफर कम कर दिया, बल्कि पर्यटन के लिए भी यह रेलगाड़ी वरदान सिद्ध होगी। हिमाचल में कांगड़ा घाटी में बहुत सुंदर मंदिर, चाय के बागान और पर्वतीय नैसर्गिक सौंदर्य है। इस तीव्र रेलगाड़ी का सफर लोगों को हिमाचल के और करीब ले आएगा। दिल्ली से चंडीगढ़ का सफर मात्र तीन घंटे में तय हो जाएगा। कोठीपुरा (बिलासपुर) में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के शुरू होने से हिमाचल के दूरदराज़ के क्षेत्रों से आने वाले अस्वस्थ लोगों को मानो संजीवनी मिल गई हो। एक समय था जब चंडीगढ़ पीजीआई में उचार के लिए जाना पड़ता था। यदि बीमारी गंभीर है या शल्य चिकित्सा की जरूरत है, तो शिमला, टांडा या फिर मिलिट्री अस्पताल ही जाना पड़ता था। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के अथक प्रयासों का नतीजा है कि इस बड़े और आधुनिक संस्थान की स्थापना हो सकी। अटल सुरंग ने तो लाहुल-स्पीति और लेह-लद्दाख के लिए सारा साल के लिए यातायात खोल दिया, वरना हिमपात के बाद लोग रोहतांग के उस पार नहीं जा सकते थे। अधिकतर लोग इन सब योजनाओं के शुरू होने को 12 नवंबर को प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों से जोड़ कर देख रहे हैं। लेकिन कुछ देर के लिए अगर मान लिया जाए कि यह ऐसा है, तो भी भला तो हिमाचल की जनता का ही हुआ। इस बार हिमाचल का यह सौभाग्य है कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हिमाचली हैं। देश के सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर हिमाचल से हैं।
पिछले कुछ समय में देश के प्रधानमंत्री का हिमाचल में निरंतर आना, जनसभाओं को संबोधित करना, कुल्लू के ऐतिहासिक दशहरा में भगवान रघुनाथ जी का आशीर्वाद प्राप्त करना, इस बात की ओर सीधा इशारा करता है कि जयराम ठाकुर के नेतृत्व में हिमाचल में फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार की स्थापना की जाए। उधर कांग्रेस पार्टी की कोशिश रहेगी कि भारतीय जनता पार्टी को किसी भी तरह हिमाचल में सरकार बनाने से रोका जाए और हर पांच साल के बाद सरकार बदलने के रिवाज को कायम रखा जाए। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने कांग्रेस के जनसम्पर्क की स्थिति को हल्का सा बेहतर किया है, लेकिन कांग्रेस पार्टी की आपसी कलह और किसी एक मुद्दे पर आम सहमति न बना पाना शायद उन्हें नुक्सान पहुंचाएगा। प्रदेश में इनके पास अभी तक मुख्यमंत्री पद के लिए कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो जनता में एक आम सहमति बना सके। आम आदमी पार्टी का यह प्रयास रहेगा कि वह पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में अपना खाता खोले। उत्तराखंड में उसे कोई सफलता नहीं मिली थी। हिमाचल के वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पूरी कोशिश में हैं कि एक बार हिमाचल में रिवाज बदला जाए और फिर से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिमाचल को आर्थिक सहायता और छोटी मांगों को पूरा करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। हाल ही में उन्होंने कुल्लू, चंबा, बिलासपुर व ऊना में उपहारों की जो बरसात की है, हिमाचल की जनता उससे खुश है। अब यह ख़ुशी आने वाले विधानसभा चुनावों में कैसे ज़ाहिर की जाएगी, जिसमें 68 विधानसभा सीटों पर चुनाव 12 नवंबर को होंगे, यह देखना बाकी है। अब जबकि प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है, उपहार और दूसरी खैरातों पर भी रोक लग जाएगी। अब देखना यह है कि क्या भारतीय जनता पार्टी रिवाज बदलने में सफल रहती है या नहीं।
रमेश पठानिया
स्वतंत्र लेखक
By: divyahimachal

Rani Sahu
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