सम्पादकीय

हर देश में अलग तरीके से खत्म होगी महामारी; मिलते रहेंगे कोविड के मामले

Gulabi
5 Jan 2022 11:34 AM GMT
हर देश में अलग तरीके से खत्म होगी महामारी; मिलते रहेंगे कोविड के मामले
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वैज्ञानिक और महामारी विशेषज्ञ कभी भी भविष्यवाणी करना पसंद नहीं करते हैं, लेकिन
डॉ चन्द्रकांत लहारिया का कॉलम:
वैज्ञानिक और महामारी विशेषज्ञ कभी भी भविष्यवाणी करना पसंद नहीं करते हैं, लेकिन कोविड-19 ने हर किसी को इस कदर परेशान किया है कि लोग इन्हीं से अक्सर सवाल पूछते हैं कि कोविड महामारी कब खत्म होगी? जवाब आसान नहीं है, लेकिन विषाणुओं की विकास प्रक्रिया तथा अबसे पहले आई महामारियों का अध्ययन यह कहने के लिए काफी हैं कि कोविड-19 महामारी को 2022 में खत्म हो जाना चाहिए।
साथ ही, हमें याद रखना होगा कि कोविड का विषाणु सभी अनुमानों को धता देता आया है। महामारी जरूर खत्म होगी, लेकिन कोविड के नए मामले तब भी नियमित रूप से मिलते रहेंगे। शायद ही ऐसा कोई समय आए कि कोविड के नए मामले शून्य पर पहुंचें। तब कोविड-19 का विषाणु हमारे बीच बना रहेगा। कभी कभार, कुछ खास परिस्थितियों में नए मरीज बीच-बीच में बढ़ जाया करेंगे।
इस परिस्थिति को एंडेमिक कहा जाता है। कोविड-19 महामारी खत्म होने पर, अधिकांश लोगों के लिए संक्रमण एक बड़ा जोखिम नहीं होगा। हालांकि, तब भी उच्च जोखिम वाले लोगों को कुछ अतिरिक्त निवारक उपायों का पालन करने और संभवतः टीकों की नियमित बूस्टर खुराक प्राप्त करने की आवश्यकता होगी। जब भी कोई नया विषाणु आता है जो इंसानों में संक्रमण कर सकता है, तो सारी दुनिया इसके जोखिम पर होती है।
पिछले दो सालों में तेजी से फैले प्राकृतिक संक्रमण से लोगों के सुरक्षा तंत्र में वो क्षमता बनी है जो भविष्य के संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करती है। अब कोविड-19 के दुनियाभर में टीके लग रहे हैं, जो गंभीर बीमारी से बचाते हैं। ओमिक्रॉन का नया वैरिएंट तेजी से फैल रहा है, जो कम बीमारी फैलाता है और गंभीरता भी कम होती है, साथ ही शुरुआती वैज्ञानिक साक्ष्य बताते हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से हुए संक्रमण के बाद व्यक्ति के शरीर में तेजी से एंटीबाॅडीज़ बनते हैं जो भविष्य के लिए किसी भी वैरिएंट से बचाव करेंगे।
वैक्सीन कवरेज पर निर्भर करेगा नुकसान
माना जा रहा है कि आने वाले समय में ओमिक्रॉन, पूरी दुनिया से डेल्टा वैरिएंट की जगह ले सकता है। लेकिन यह परिस्थिति हर देश में अलग-अलग समय पर आएगी। जिन देशों में पहले संक्रमण हुआ और वैक्सीन कवरेज उच्च होगा, वहां ओमिक्रॉन से नुकसान की आशंका कम रहेगी।
ये कह पाना थोड़ा मुश्किल है कि क्या होगा और कब। संभव है, उसके बाद, हर साल, दो साल में मामले बढ़ें और फिर कम हो जाएं। काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि वैक्सीन और प्राकृतिक संक्रमण के बाद जो इम्यूनिटी होती है, वह कितने समय तक रहेगी।
यह चार परिस्थितियां बन सकती हैं
क्या कुछ होगा यह कोविड के विषाणु और वैक्सीन से जुड़ी कुछ बातों पर निर्भर करेगा। वायरस कैसे व्यवहार कर सकता है, इसके लिए वैज्ञानिक कम से कम चार स्थितियां बताते हैं। पहली बात कि सार्स-कोव-2 (कोविड-19 का विषाणु) सबसे खतरनाक कोरोनावायरस नहीं है। इससे भी खतरनाक कोरोनावायरस हैं जैसे कि मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सैंसटियल वायरस जो 2012-13 में आया था और सार्स-कोव, जो 2002-04 में फैला था।
इस आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता कि सार्स-कोव-2 खतरनाक रूप ले ले। दूसरी सम्भावना है कि वायरस से वैक्सीन-दवाएं निष्प्रभावी हो जाएं। तीसरी, इसके नए-नए वैरिएंट नियमित रूप से आते रहें और संक्रमण फैलाते रहें। चौथी, यह कमजोर होता चला जाए और इससे गंभीर बीमारी संभव न हो। हम सभी चाहते हैं कि चौथी परिस्थिति बने और ओमिक्रॉन उस दिशा में जाता नजर आ रहा है।
हर 10 साल में बदल जाएगा कोरोना टीका
कोविड के टीके हमारी बहुत बड़ी आशा हैं। फिलहाल उपलब्ध टीके गंभीर बीमारी से बचाते हैं, लेकिन नए वैरिएंट के खिलाफ थोड़े कम असरकारक हैं। नए वैरिएंट के लिए टीके बनाए जा रहे हैं। साथ ही ऐसे टीके भी बनाए जा रहे हैं जो एक साथ कई वैरिएंट्स के खिलाफ काम कर सकें।
वैक्सीन वैज्ञानिक एआई की तकनीकी का इस्तेमाल करते हुए ऐसी वैक्सीन पर काम कर रहे हैं, जो ना केवल मौजूदा बल्कि भविष्य के वैरिएंट के खिलाफ भी काम करेंगी। साथ ही, कई टीका वैज्ञानिक मानते हैं कि हर दस साल में कोरोना की वैक्सीन पूरी तरह बदल जाएंगी।
अमीर देश गरीब देशों से साझा करें टीके
एक बात साफ है कि हर देश में महामारी अलग तरीके से उभरेगी और खत्म होगी। उदाहरण के तौर पर अफ्रीका महाद्वीप में कोविड की लहर इतनी तेजी से नहीं फैली है। टीके भी कम लगे हैं, वहां पर महामारी का खतरा लंबे समय तक रह सकता है। महामारी का भविष्य सारे देशों की एक दूसरे से सहभागिता पर निर्भर करता है।
अगर दुनिया के चुनिंदा देश, अपनी आबादी को टीके के तीसरे और चौथे डोज़ देने में व्यस्त रहे और अफ्रीका में लोगों को पहले दो डोज़ भी नहीं मिलते हैं, तो नए वैरिएंट आ सकते हैं और परिणामस्वरूप महामारी लंबी खिंच सकती हैं। बस यही आशा है कि ओमिक्रॉन से सीख लेकर अमीर देश टीकों को गरीब देशों से साझा करेंगे।
राज्य अपने बजट का 8% हेल्थ पर खर्च करें
महामारी में भारत का हर नागरिक प्रभावित हुआ है। 2022 आजादी का 75वां वर्ष है। हमें स्वास्थ्य को एक सामाजिक अनुबंध के रूप में पुनर्जीवित करने की जरूरत है। 2022 को सभी राज्यों को सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने का वर्ष घोषित करना चाहिए। सबसे अधिक जरूरत है देश के हर राज्य में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की।
इसके लिए जरूरी होगा कि राज्य सरकारें तुरंत स्वास्थ्य के लिए सरकारी धन का आवंटन बढ़ाएं। भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति बात करती है कि राज्यों को अपने बजट का 8% स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करना चाहिए, वास्तव में यह मात्र 5% है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। वर्ष 2022 से कुछ अन्य आशाएं भी हैं। संभव है, स्वास्थ्य के क्षेत्र में नए कदम जैसे कि डिजिटल हेल्थ, टेलीमेडिसिन स्वास्थ्य सेवाओं को दूरदराज तक लेकर जाएंगी।
संभव है स्वास्थ्य राज्य चुनाव में एक मुद्दा बने। महामारी से सीख लेकर, आगे से लोग मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने में हिचकिचाहट नहीं दिखाएं। संभव है और जरूरी है कि प्रिवेंटिव मेडिसिन अर्थात बीमारी से रोकने वाली सेवाओं पर अधिक ध्यान दिया जाए। लोगों को अपने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देना होगा।
चलिए आपके सवाल पर लौटकर आते हैं, क्या 2022 में महामारी खत्म होगी? मैं अनुमान लगाना पसंद नहीं करता, लेकिन कोविड-19 के लिए में अपवाद बनाते हुए कहूंगा- हां, 2022 में वैश्विक महामारी खत्म होने की हर सम्भावना है, लेकिन यह प्रत्येक व्यक्ति, देश और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ही संभव होगा।
कब पहुंचेंगे इस स्थिति में
कोविड महामारी कब खत्म होगी? जवाब आसान नहीं है, लेकिन विषाणुओं की विकास प्रक्रिया तथा अबसे पहले आई महामारियों का अध्ययन यह कहने के लिए काफी हैं कि कोविड-19 महामारी को 2022 में खत्म हो जाना चाहिए। महामारी जरूर खत्म होगी, लेकिन कोविड के नए मामले तब भी नियमित रूप से मिलते रहेंगे। शायद ही ऐसा कोई समय आए कि कोविड के नए मामले शून्य पर पहुंचें। इस परिस्थिति को एंडेमिक कहा जाता है। तब कोविड-19 का विषाणु हमारे बीच बना रहेगा। महामारी खत्म होने पर, अधिकांश लोगों के लिए संक्रमण एक बड़ा जोखिम नहीं होगा।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
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