- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- बुजुर्ग बोझ बन गए
Written by जनसत्ता: भारी-भरकम रकम से सेंट्रल विस्टा नामक नए संसद भवन के निर्माण के दौरान रेल यात्रा में बुजुर्गों को मिलने वाली रियायत केंद्र सरकार ने अचानक बंद करके जनविरोधी सरकार होने का परिचय दिया है। बुजुर्ग महिलाओं को पचास फीसद और पुरुषों को चालीस फीसद रियायत कोविड के दौरान अस्थायी तौर पर रोक दी गई थी। इस दौरान रेलवे को करोड़ों रुपए का लाभ हुआ।
आपदा में मिले इस अवसर का किसी लालची की तरह लाभ उठाते हुए सरकार ने बुजुर्गों को दी जाने वाली रियायत अब हमेशा के लिए बंद कर दी है। विडंबना यह है कि सांसदों और पूर्व सांसदों की निशुल्क रेल यात्रा लगातार जारी है, जिन सांसदों को वेतन, भत्ते, पेंशन आदि पर सरकार करोड़ों रुपए हर वर्ष खर्च करती है, उसे बुजुर्गों को देने वाली रियायत अब बोझ लगने लगी है। पैट्रोल, डीजल, रसोई गैस महंगी करके किसानों, लघु उद्यमियों, गृहिणियों पर बोझ डालने वाली भाजपा सरकार ने बुजुर्ग माता-पिता को मिलने वाली रियायत भी छीन ली है।
कुछ समय पहले देश की राजधानी एक प्रतिष्ठित अस्पताल परिसर में एक महिला के सड़क पर प्रसव का मामला सामने आया। यह बेहद चिंता का विषय है और मन को विचलित करने वाला घटनाक्रम है कि अगर देश की राजधानी के किसी अस्पताल में इस प्रकार की असंवेदनशील घटना होती है, तो यह कल्पना से परे है कि देश के ग्रामीण अंचलों में और आदिवासी इलाकों में गरीबों को किस तरह का इलाज किया जा रहा होगा।
संबंधित अस्पताल के प्रशासन को इस पर एक जांच समिति का गठन कर सभी पहलुओं पर जांच करानी चाहिए, ताकि जो भी दोषी हैं उन पर कड़ी कार्रवाई की जा सके। यह सभी राज्य सरकारों, अस्पताल प्रबंधन, केंद्र के स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी है कि ऐसी घटना नहीं हो। इस संदर्भ में केंद्र सरकार के द्वारा राज्य सरकारों को स्पष्ट और कारगर दिशानिर्देश जारी करने चाहिए, ताकि राज्य सरकारों के अस्पताल में गरीबों के लिए समुचित इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।