सम्पादकीय

कांग्रेस का बिखराव, नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा

Tara Tandi
1 Oct 2021 3:11 AM GMT
कांग्रेस का बिखराव, नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा
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पंजाब में अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले नवजोत सिंह सिद्धू जिस माहौल में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से मुलाकात करने के लिए राजी हुए

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| पंजाब में अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले नवजोत सिंह सिद्धू जिस माहौल में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से मुलाकात करने के लिए राजी हुए, उससे कांग्रेस का संकट शायद ही खत्म हो। नवजोत सिंह सिद्धू के रवैये से यह साफ है कि वह तब तक चैन से नहीं बैठने वाले, जब तक चरणजीत सिंह चन्नी उनके मन मुताबिक, सरकार नहीं चलाते। चन्नी ऐसा करेंगे, इसके आसार इसलिए नहीं, क्योंकि फिर उनके मुख्यमंत्री रहने का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा।

सच तो यह है कि कांग्रेस नेतृत्व को भी यह रास नहीं आएगा कि चरणजीत सिंह चन्नी कठपुतली मुख्यमंत्री के तौर पर शासन करते नजर आएं। उधर सिद्धू यह पसंद नहीं करेंगे कि चन्नी सक्षम मुख्यमंत्री के रूप में सक्रिय हों और कांग्रेस उन्हें आगे कर विधानसभा चुनाव लड़े। पता नहीं विधानसभा चुनावों में क्या होगा, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जिस तरह पार्टी छोड़ने का एलान कर दिया, उससे पंजाब में कांग्रेस को नुकसान होना तय है। इसके लिए कांग्रेस नेतृत्व खुद के अलावा अन्य किसी को उत्तरदायी नहीं ठहरा सकता। कांग्रेस नेतृत्व यानी गांधी परिवार ने पंजाब में जिस तरह नवजोत सिंह सिद्धू को जरूरत से ज्यादा प्राथमिकता देकर अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया, उसके दुष्परिणाम सामने आने ही थे। कांग्रेस के दुर्भाग्य से वे तत्काल सामने आ गए।

कांग्रेस का संकट केवल यह नहीं कि वह पंजाब में बिखराव से ग्रस्त है। बिखराव राष्ट्रीय स्तर पर भी नजर आ रहा है और इसका प्रमाण है कपिल सिब्बल के वे तीखे सवाल, जिनके जरिये उन्होंने गांधी परिवार पर निशाना साधा। हालांकि उन्होंने यही पूछा था कि जब कोई अध्यक्ष ही नहीं तो फिर फैसले कौन ले रहा है, लेकिन गांधी परिवार की चाटुकारिता करने वाले कांग्रेसियों को यह नहीं भाया और वे उनके घर के सामने प्रदर्शन करने पहुंच गए।

आखिर ये कांग्रेसी किसके कहने पर कपिल सिब्बल को धमकाने उनके घर गए? क्या कांग्रेस नेतृत्व अपने नेताओं के जायज सवालों का जवाब इसी तरह देगा? पता नहीं वह क्या करेगा, लेकिन यह तय है कि उसकी मुसीबतें तब तक कम नहीं होने वाली, जब तक सोनिया गांधी की सहमति से राहुल और प्रियंका गांधी पार्टी को निजी जागीर की तरह चलाएंगे। कांग्रेस की समस्या की जड़ यही है कि पार्टी को निजी कंपनी की तरह चलाया जा रहा है और ऐसा करते हुए जहां अमरिंदर सिंह जैसे जनाधार वाले नेताओं को किनारे किया जा रहा है, वहीं चाटुकारों को पुरस्कृत किया जा रहा है। वास्तव में इसी कारण कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।

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