सम्पादकीय

आदर्श ग्राम योजना के तहत अनुसूचित जाति बहुल गांवों को विकसित करने का फैसला एक स्वागतयोग्य कदम

Gulabi
13 Jan 2022 6:42 AM GMT
आदर्श ग्राम योजना के तहत अनुसूचित जाति बहुल गांवों को विकसित करने का फैसला एक स्वागतयोग्य कदम
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प्रधानमंत्री ने सांसद आदर्श ग्राम योजना शुरू करने की घोषणा लालकिले की प्राचीर से अपने पहले कार्यकाल के प्रारंभ में ही की थी
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत पिछड़े और खासकर अनुसूचित जाति बहुल गांवों को विकसित करने के काम को आगे बढ़ाने का फैसला एक स्वागतयोग्य कदम है। यह योजना 2009 में शुरू की गई थी, लेकिन उस पर काम शुरू हो पाया 2014 में। इसी योजना की नए सिरे से सुध लेते हुए अब अगले छह महीनों के भीतर देश के आठ हजार से ज्यादा गांव आदर्श ग्राम बन जाएंगे। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय ने प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत यह तय किया है कि 2025 तक देश भर के सभी अनुसूचित जाति बहुल गांवों को आदर्श ग्राम बना दिया जाए।
चूंकि ऐसे गावों की संख्या करीब 27 हजार है इसलिए कहीं तेजी से काम करने की जरूरत होगी। इस योजना के तहत पेयजल, स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण पर ध्यान दिए जाने के साथ ही लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा जाएगा और उन्हें इंटरनेट की सुविधाएं प्रदान करने के साथ ही कौशल विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस योजना के अमल में वैसी ढिलाई देखने को नहीं मिलेगी, जैसी सांसद आदर्श ग्राम योजना में मिल रही है। यह भी एक महत्वाकांक्षी योजना है।
प्रधानमंत्री ने सांसद आदर्श ग्राम योजना शुरू करने की घोषणा लालकिले की प्राचीर से अपने पहले कार्यकाल के प्रारंभ में ही की थी। इसके तहत प्रत्येक सांसद से यह अपेक्षित था कि वे 2014 से 2019 के बीच चरणबद्ध तरीके से तीन गांव गोद लेंगे और फिर 2019 से 2024 के बीच पांच गांव। दुर्भाग्य से सांसदों ने इसमें वांछित रुचि नहीं दिखाई। सरकार इससे अपरिचित नहीं हो सकती कि ऐसे सांसदों में सत्तापक्ष के भी सांसद हैं। आखिर जब सत्ताधारी दल के सांसद ही इस योजना के प्रति प्रतिबद्ध नहीं तब फिर यह अपेक्षा कैसे की जाए कि विपक्षी दलों के सांसद उसमें दिलचस्पी लेंगे?
इस पर गौर किया जाना चाहिए कि सांसद गांवों को आदर्श रूप से विकसित करने में दिलचस्पी क्यों नहीं दिखा रहे हैं? उन कारणों की तह तक जाने और उनका निवारण करने की आवश्कता है, जिनके चलते यह योजना गति नहीं पकड़ पा रही है। गांवों को मूलभूत सुविधाओं से विकसित करने की योजना पर केवल इसलिए बल नहीं दिया जाना चाहिए कि इससे ग्रामीण जनता का जीवन स्तर सुधरेगा, बल्कि इसलिए भी दिया जाना चाहिए ताकि गांवों से शहरों की ओर पलायन का सिलसिला थमे। वास्तव में लक्ष्य तो यह होना चाहिए कि गांवों में शहरों जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। पश्चिम के देशों में ऐसा ही है। यह आवश्यक है कि जैसे सरकार प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना पर ध्यान दे रही है वैसे ही सांसद आदर्श ग्राम योजना पर भी दे।
दैनिक जागरण
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