सम्पादकीय

आंकड़े बता रहे हैं कि किसानों की दशा पिछले 7 सालों में लगातार बेहतर हुई है

Rani Sahu
20 Sep 2021 12:43 PM GMT
आंकड़े बता रहे हैं कि किसानों की दशा पिछले 7 सालों में लगातार बेहतर हुई है
x
देश में कृषि कानूनों (Agricultural laws) को लेकर आंदोलन तेज है

संयम श्रीवास्तव देश में कृषि कानूनों (Agricultural laws) को लेकर आंदोलन तेज है. बताया जा रहा है कि इन कृषि कानूनों से किसानों को बहुत नुकसान हो रहा है. इसके साथ ही साथ यह भी साबित करने की कोशिश होती है कि किसानों की हालत बहुत खराब हुई है. हालांकि जब हम आंकड़ों पर नजर डालते हैं तो स्थिति कुछ और ही नजर आती है. किसानों की आय (Farmers Income) में पिछले 9 सालों में करीब 59 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है. इसके साथ ही फसलों का बीमा कराने वाले किसानों की संख्या में भी जबरदस्त उछाल आया है. इसी तरह कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या में भी गिरावट आई है.

हिंदुस्तान टाइम्स में छपे एक साक्षात्कार में केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल के अनुसार सिचुएशन एसेसमेंट सर्वे बताता है कि किसानों की आय में 59 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है. 2019 में हुए एक सर्वे के अनुसार किसानों की मौजूदा आय 10,218 रुपए दर्ज की गई जो 2012-13 के सर्वेक्षण से, जिसमें मासिक आय 6,426 रुपये थी की तुलना में कहीं ज्यादा है. इस सर्वे में यह भी दावा किया गया है कि मुद्रास्फीति के लिए समायोजित किसानों की आय में जिसे अर्थशास्त्री वास्तविका कहते हैं, में लगभग 2 फ़ीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है. हालांकि इस इनकम में केवल कृषि से होने वाले आय को ही नहीं जोड़ा गया है, बल्कि भूमि जोत और पशुधन से होने वाले आय को भी जोड़कर यह आंकड़े जारी किए गए हैं.
दरअसल सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के नेशनल स्टैटिक्स ऑफिस ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में घरों की भूमि और पशुधन और कृषि परिवारों की स्थिति का आकलन करते हुए एक सर्वे किया है. हालांकि इससे पहले कृषि परिवारों की भूमि और पशुधन होल्डिंग सर्वेक्षण (LHS) और सेचुएशन असेसमेंट सर्वे (SAS)के अलग-अलग सर्वे किए जाते थे और उनके अलग-अलग आंकड़े जारी किए जाते थे. लेकिन इस बार यह दोनों एक साथ हुए हैं.
एक औसत कृषि परिवार की मासिक आय क्या होगी?
हिंदुस्तान टाइम्स में छपे एक लेख के अनुसार ऑल इंडिया लेवल पर 2018-19 के दौरान हर कृषि परिवार की औसत मासिक आय 10,218 रुपए थी. इस कुल औसत आय में मजदूरी से 4,063 रुपए, खेती या फसल उत्पादन से 3798 रुपए, जानवरों से 1582 रुपए, गैर कृषि व्यवसाय से 6041 रुपए और भूमि को पट्टे पर देने से 134 रुपए होती है. यानि कि कृषि परिवारों में आने वाली कुल आय का 39.8 फ़ीसदी इनकम मजदूरी से अर्जित होता है. वहीं खेती और फसल उत्पादन से कुल आय का 37.2 फ़ीसदी अर्जित होता है. पशुओं से 15.5 फ़ीसदी और गैर कृषि व्यवसाय से 6.3 फ़ीसदी किसान परिवारों को इनकम होती है. इस सर्वे की सबसे खास बात है कि इसमें गैर कृषि मजदूर भी शामिल हैं.
कृषि से कमाई करने वालों की तादाद बढ़ी है
आंकड़ों पर नजर डालें तो हमें समझ में आएगा की ग्रामीण इलाकों में उन परिवारों की संख्या जिनकी प्राथमिक आय कृषि से आती है, साल 2013 से 2019 में बढ़ी है. साल 2013 में इन परिवारों की संख्या जहां 54 फ़ीसदी थी वहीं 2019 में यह बढ़कर 58 फ़ीसदी हो गई. वहीं 2013 और 2019 के बीच कृषि परिवारों के आय की तुलना करें तो इसमें भी 59 फ़ीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है. वहीं अगर फसल उत्पादन से आय की वृद्धि से पर नजर डालें तो 2013 से 2019 के बीच यहां 1 से 15 फ़ीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. वहीं पशुपालन से आय में 27 से 34 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है.
करीब डबल किसान करा रहे हैं अपनी फसलों का बीमा
पहले के मुकाबले आज के किसान अधिक मात्रा में अपनी फसलों का बीमा करा रहे हैं. जुलाई से दिसंबर के दौरान के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि इस समयावधि में 8.3 फीसद कृषि परिवारों ने धान का बीमा कराया था. वहीं अगर 2012-13 के इसी समयावधि पर नजर डालें तो बीमा कराने वाले किसान परिवारों संख्या 4.8 फीसदी थी. इसी तरह इसी समयावधि में सोयाबीन की फसल का बीमा 27.5 परसेंट जबकि 2012-13 में 14 परसेंट और कपास में 25.4 परसेंट ने बीमा कराया जबकि 2012-13 में केवल 10.4 परसेंट ने बीमा कराया था. इसका सीधा मतलब यही निकल रहा है कि इन सात सालों में किसान की स्थित सुधरी है.
किसानों के कर्ज की क्या स्थिति भी सुधरी है
2013 के आंकड़ों से अगर 2019 के आंकड़ों से तुलना करने पर पता चलता है कि 2013 में जहां कुल 52 परसेंट किसान कर्ज के बोझ तले दबे हुए थे वहीं 2019 में ये घटकर 50 परसेंट हो गई है. पर ऐसा नहीं है कि किसानों ने कर्ज लेना ही छोड़ दिया है. किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ कर्ज में बढ़ोतरी भी हुई है. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट पर नजर डालें तो 2013 से 2019 के बीच किसानों के कर्ज में लगभग 58 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक 2003 में किसानों के वार्षिक औसत आय 25,380 रुपए थी. जबकि उस पर कर्ज 12,585 रुपए था. वहीं 2013 में आए 77,112 रुपए और उस पर कर्ज 47,000 का था. लेकिन 2019 में जब आय बढ़कर 1,00,044 हुई तो कर्ज का बोझ भी बढ़कर 74,121 रुपए हो गया. यानि 2003 से 2019 तक जहां आय में 4 गुना की वृद्धि हुई है. वहीं कर्ज में 6 गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. मतलब कर्ज में बढ़ोतरी हुई है पर कर्ज के तले दबे किसानों की संख्या में गिरावट हुई है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि आंध्र प्रदेश के किसानों पर सबसे ज्यादा लोन है. वहीं देश के 3 राज्यों (आंध्र प्रदेश, केरल, पंजाब) में प्रत्येक किसान परिवार पर औसतन 2 लाख से अधिक का कर्ज है. और पांच राज्यों (हरियाणा, तेलंगाना, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु) में यह आंकड़ा एक लाख के पार चला जाता है.
बजट की वजह से भी बढ़ी है किसानों की आय
किसानों की आय वृद्धि में बजट आवंटन का भी खास योगदान है. अगर हम 2013-14 में कृषि विभाग के लिए आवंटित बजट को देखें तो वह 21,933.50 लाख करोड़ रुपए थी. जो 2021-22 में लगभग 5.5 गुना से अधिक बढ़ाकर 1,23,017.57 करोड़ कर दिया गया है. यही नहीं अगर हम बीते 6 वर्षों में कृषि के लिए थोक मूल्य सूचकांक पर नजर डालें तो यह 111 से बढ़कर 134 हो गया है. वहीं गैर कृषि के लिए थोक मूल्य सूचकांक भी 106 से बढ़कर 116 हो गया है. इसके साथ ही पीएम किसान योजना के तहत अब तक 11.37 करोड़ किसान परिवारों को उनके बैंक खातों में सीधे 1.58 लाख करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है. वहीं अगर किसानों के लिए संस्थागत ऋण पर नजर डालें तो यह भी 2013-14 में जहां 7.3 लाख करोड़ रुपए थी, 2020-21 में इसे बढ़ाकर 16.6 लाख करोड़ रुपए से अधिक का कर दिया गया है.


Next Story