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अगर आप अपनी सूचना के लिए पूरी तरह ह्वाट्सऐप और सरकार के भोंपू बन चुके मीडिया पर निर्भर ना रहते हों
अब ताजा घटना यह है कि उसकी संसद ने एक कानून पारित किया है, जिसे सीमाई क्षेत्र अधिनियम कहा गया है। इस कानून का सार यह है कि चीन की सरकार जिसे वह अपना क्षेत्र समझती है, उसके एक-एक इंच की रक्षा करेगी और उसे चुनौती देने वालों का मुकाबला करेगी।
अगर आप अपनी सूचना के लिए पूरी तरह ह्वाट्सऐप और सरकार के भोंपू बन चुके मीडिया पर निर्भर ना रहते हों, तो यह आपको जरूर मालूम होगा कि तकरीबन डेढ़ साल पहले चीन की सेना हमारी सीमा के अंदर घुस आई, तब से वह घुसी हुई है और भारत के क्षेत्र पर कब्जा जमा रखा है। तब से 'आमना-सामना खत्म करने के लिए' दोनों देशों के सेना अधिकारियों के बीच बातचीत चल रही है। कुछ समय पहले जब सेना कमांडरों की 13वें दौर की वार्ता हुई, तो उसमें गतिरोध पैदा हो गया। कब्जे वाले इलाकों से सेना लौटाने की भारत की मांग को चीन ने अतार्किक और अयथार्थ बताते हुए उलटे भारत के प्रति आक्रामक रुख अपना लिया। अब ताजा घटना यह है कि उसकी संसद ने एक कानून पारित किया है, जिसे सीमाई क्षेत्र अधिनियम कहा गया है। इस कानून का सार यह है कि चीन की सरकार जिसे वह अपना क्षेत्र समझती है, उसके एक-एक इंच की रक्षा करेगी और उसे चुनौती देने वालों का मुकाबला करेगी। इस लिहाज से न सिर्फ लद्दाख क्षेत्र के कब्जे वाले इलाकों पर बने रहने का चीन सरकार ने कानूनी प्रावधान किया है, बल्कि पूरे अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा जमा लेने की वैधानिक तैयारी कर ली है।
इस बात के संकेत भी हैं कि पश्चिमी सीमा पर अपनी पकड़ मजबूत करने के बाद चीन ने अब पूर्वी सीमा पर अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैँ। इसके साथ ही वह पाकिस्तान की सेना के साथ तालमेल बनाने में जुटी है, ताकि कश्मीर से जड़ी नियंत्रण रेखा भी दबाव बढ़ाया जा सके। इन तमाम संकेत से भारत सरकार के कान खड़े हो जाने चाहिए थे। लेकिन ऐसा हुआ है, इसके संकेत नहीं हैं। अरुणाचल में तवांग क्षेत्र में जरूरी फौज की तैनाती की गई है, लेकिन वह बढ़ रहे खतरे के अनुरूप है, इस बारे में देश में कोई स्पष्टता नहीं है। मुमकिन है कि भारत सरकार ने गोपनीय ढंग से तैयारियां की होंगी। लेकिन यह भी उसकी ही जिम्मेदारी है कि देश में जो व्यग्रता बढ़ रही है, उसे दूर करने की कोशिश वह करे, ताकि देश में यह भरोसा पैदा हो सके कि हमारी सीमाएं सुरक्षित हैँ। चीन का मुकाबला करना आज एक पेचीदा चुनौती है। इसीलिए इसको लेकर आशंकाएं हैं, जिन्हें दूर करने के लिए सरकार को तुरंत कदम उठना चाहिए।
नया इण्डिया
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