सम्पादकीय

पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रांत के जलावतरण से बढ़ी रक्षा क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता

Rani Sahu
2 Sep 2022 6:53 PM GMT
पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रांत के जलावतरण से बढ़ी रक्षा क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता
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सोर्स- Jagran
देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रांत के जलावतरण के साथ भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया, जो ऐसे पोत स्वयं बना सकने में सक्षम हैं। इसी कारण प्रधानमंत्री ने आइएनएस विक्रांत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का परिचायक बताया। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता समय की एक ऐसी मांग है, जिसे पूरा करने के लिए न केवल हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए, बल्कि इस उद्देश्य के तहत काम किया जाना चाहिए कि भारत रक्षा सामग्री और उपकरणों का आयातक बनने के बजाय निर्यातक बने।
यह केवल इसलिए आवश्यक नहीं है, क्योंकि भारत उन देशों में शामिल है, जो अधिकांश रक्षा सामग्री आयात करता है, बल्कि इसलिए भी है, क्योंकि सैन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है। यदि देश अपनी रक्षा आवश्यकताओं के लिए आत्मनिर्भर हो सके तो हथियारों की खरीद में खर्च होने वाले धन को देश के विकास में लगा सकता है। रक्षा जरूरतों के मामले में आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि कई बार जरूरी रक्षा सामग्री समय पर नहीं मिल पाती।
भारत अपनी अधिकांश रक्षा जरूरतों के लिए उस रूस पर निर्भर है, जो यूक्रेन युद्ध के बाद से चीन के निकट जा रहा है। चूंकि इसका कोई पता नहीं कि यूक्रेन युद्ध कब समाप्त होगा, इसलिए यह आशंका बढ़ गई है कि भारत को रूस से रक्षा सामग्री और उपकरण हासिल करने में कठिनाई और देरी का सामना करना पड़ सकता है। इस सिलसिले में यह भी किसी से छिपा नहीं कि रक्षा सौदों को अंतिम रूप देने में अच्छा-खासा समय लग जाता है। इसके चलते कई बार सेनाओं को समय पर रक्षा सामग्री नहीं मिल पाती।
एक ऐसे समय जब चीन शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाए हुए है और इसके कोई आसार नहीं कि वह सीमा पर तनाव खत्म करने का इच्छुक है, तब यह कहीं अधिक आवश्यक है कि भारत अपनी सेनाओं को किसी भी खतरे का सामना करने के लिए तैयार रखे। जैसे चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता, वैसे ही पाकिस्तान पर भी। ये दोनों देश भारतीय हितों के खिलाफ काम करने में लगे हुए हैं। इसे देखते हुए भारत को अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के मामले में तत्परता का परिचय देना होगा।
एक ऐसे समय जब भारत ने अगले 25 वर्षों में स्वयं को विकसित देश के रूप में उभारने का लक्ष्य रखा है, तब यह और आवश्यक हो जाता है कि वह अपनी रक्षा जरूरतों के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने की ठोस रूपरेखा बनाए। ध्यान रहे कि कोई देश वास्तव में विकसित तभी बनता है, जब वह रक्षा के मामले में आत्मनिर्भर होता है।
Rani Sahu

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