सम्पादकीय

PM Narendra Modi के काफिले को पंजाब में रोका जाना देश का दुर्भाग्य! यह साजिश या सुरक्षा में चूक?

Gulabi
5 Jan 2022 11:58 AM GMT
PM Narendra Modi के काफिले को पंजाब में रोका जाना देश का दुर्भाग्य! यह साजिश या सुरक्षा में चूक?
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यह साजिश या सुरक्षा में चूक?
एक देश जिसका एक प्रधानमंत्री (Prime Minister) अपने पद पर रहते हुए मार दिया गया हो और एक प्रधानमंत्री जिसे पद छोड़ने के 2 साल बाद आतंकियों का शिकार होना पड़ा हो, उस देश के वर्तमान पीएम की सुरक्षा में अगर कोताही होती है तो क्या होना चाहिए? यह सवाल इसलिए है कि आतंकवाद से प्रभावित राज्य पंजाब (Punjab) में अगर कोई अनहोनी हो जाती तो देश मे क्या होता यह राज्य के नीति नियंताओं को ठीक से समझ लेना चाहिए.
और अगर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) ये आरोप लगा रहे हैं कि पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) ने ऐसे मौके पर फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझा तो ऐसी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगना स्वाभाविक ही होगा. अगर राजनीतिक दलों में इस हद तक दूरियां हो जाएंगी तो देश का मुश्किल में फंसना तय है.
सीएम चन्नी ने फोन नहीं उठाया

जरा सोचिए जिस देश में कोई अदना सा वीआईपी निकलता है तो रास्ते को ब्लॉक कर दिया जाता है और उसी देश के एक राज्य पंजाब में सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 15-20 मिनट तक फ्लाईओवर पर फंसे रहना पड़ गया. सोचकर ही सिहरन हो जाता है कि क्या हो सकता था. इस घटना को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुरक्षा में "बड़ी चूक" बताया है. जो प्रदेश आतंकवाद से भीषण त्रस्त रहा है, जो प्रदेश आज भी आतंकवादियों के निशाने पर हो, जिस प्रदेश में आतंकवादियों ने सीएम को मार दिया हो, जिस प्रदेश से जुड़े आतंकवाद का निशाना देश का एक प्रधानमंत्री बन चुका हो. उस प्रदेश की पुलिस इतनी निकम्मी कैसे हो सकती है?
अगर पुलिस अपने प्रधानमंत्री को सुरक्षा देने में फेल हो जाती है तो पुलिस फोर्स के रहने और न रहने का मतलब ही खत्म हो जाता है. और फिर सरकार के भी रहने और न रहने का मतलब नहीं रह जाता है. पत्रकार विनोद शर्मा कहते हैं कि पंजाब में अगले कुछ महीने में चुनाव होने वाला है इसलिए हो सकता है कि पंजाब की सरकार पर एक्शन न लिया जा सके मगर यह पक्का है कि अगर इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री होतीं तो सरकार का गिरना तय था. और अगर सरकार नहीं गिरती तो पंजाब में विधानसभा के चुनाव तो टाल गही दिए जाते.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार बुधवार सुबह पीएम मोदी बठिंडा पहुंचे, यहां से उन्हें हेलिकॉप्टर से हुसैनीवाला स्थित राष्ट्रीय शहीद स्मारक जाना था. लेकिन बारिश और खराब विजिबिलिटी के चलते पीएम ने करीब 20 मिनट तक मौसम साफ होने का इंतजार किया. मौसम में सुधार न होने पर यह तय किया गया कि वह सड़क मार्ग से राष्ट्रीय शहीद स्मारक का दौरा करेंगे, जिसमें 2 घंटे से अधिक समय लगना था. डीजीपी पंजाब पुलिस द्वारा आवश्यक सुरक्षा प्रबंधों की आवश्यक पुष्टि की गई. इसके बाद प्रधानमंत्री सड़क मार्ग से यात्रा करने के लिए आगे बढ़े. हुसैनीवाला (Hussainiwala) में राष्ट्रीय शहीद स्मारक (National Martyrs Memorial) से लगभग 30 किलोमीटर दूर, जब पीएम का काफिला एक फ्लाईओवर पर पहुंचा, तो पाया गया कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने सड़क को ब्लॉक किया हुआ था. प्रधानमंत्री मोदी को 15-20 मिनट तक फ्लाईओवर पर फंसे रहना पड़ा. सोचिए आतंकवाद से प्रभावित राज्य में इस 15 से 20 मिनट में क्या नहीं हो सकता था.
सवाल उठना लाजिमी है
पीएम के रूट की जानकारी किसी को नहीं होती है. 3 टियर की सिक्युरिटी होती है. सिक्युरिटी एजेंसियां प्लान A, प्लान B और प्लान C तक तैयार रखती हैं. यहां तो प्लान ए ही सही तरीके से तैयार नहीं था. बिना जानकारी के फ्लाइओवर पर कैसे लोग जुट गए? आम तौर वीआईपी रूट कुछ मिनट पहले ही खाली करा लिया जाता है. जाहिर है ऐसा फ्लाइओवर के लिए भी किया गया होगा. अगर फ्लाइओवर पर कुछ लोग इकट्ठा हो भी गए तो तुरंत काफिले को इन्फॉर्म करके रूट बदल दिया जाना चाहिए था. तीसरे सड़क पर संभव है कि लोग अचानक खेतों से या घरों से निकल कर आ जाएं जिससे पुलिस को मौका ही न मिले पीएम के काफिले को सूचना देने की. मगर फ्लाइओवर पर कैसे लोग पहुंच गए और पुलिस को पता नहीं चला. यह तय है कि बिना पुलिस प्रशासन और स्थानीय सरकार के मिलीभगत के ऐसा संभव ही नहीं हो सकता है.
गृह मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम और यात्रा की योजना के बारे में पंजाब सरकार को पहले ही बता दिया गया था. प्रक्रिया के अनुसार उन्हें रसद, सुरक्षा के साथ-साथ आकस्मिक योजना तैयार रखने के लिए आवश्यक व्यवस्था करनी थी. साथ ही आकस्मिक योजना के मद्देनजर पंजाब सरकार को सड़क मार्ग से किसी भी मूवमेंट को सुरक्षित करने और बंद करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था करनी थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि किसी भी तरह की तैनाती नहीं की गई थी. गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान गंभीर सुरक्षा खामी के बाद उनके काफिले ने लौटने का फैसला किया. बयान में यह भी कहा गया कि मंत्रालय ने पंजाब सरकार से इस चूक के लिए जवाबदेही तय करने और कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा है.
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