सम्पादकीय

देश ही घट रहा है!

Gulabi
5 Oct 2021 5:33 PM GMT
देश ही घट रहा है!
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एक ताजा खबर के मुताबिक भारत में लोगों का औसत कद घट रहा है

वैश्विक रूझान के विपरीत भारत में आम नागरिकों की औसत लंबाई में गिरावट चिंता का विषय है। लेकिन जब व्यापक गरीबी फिर से लौट रही हो और पहले से ही जारी कुपोषण की समस्या लगातार गंभीर जाती रही हो, फिर लोगों के शरीर के संपूर्ण विकास की आशा कैसे की जा सकती है?


एक ताजा खबर के मुताबिक भारत में लोगों का औसत कद घट रहा है। इस खबर के मुताबिक वैज्ञानिकों ने इस बात पर हैरानी जताई है कि जब दुनियाभर में लोगों का कद बढ़ रहा है, तो भारत में इसका उलट क्यों हो रहा है। वैश्विक रूझान के विपरीत भारत में आम नागरिकों की औसत लंबाई में गिरावट चिंता का विषय है। चिंता का विषय जरूर है, लेकिन अगर पूरे संदर्भ को देखें तो बात को समझना बहुत मुश्किल नहीं है। जब व्यापक गरीबी लौट रही हो और पहले से ही जारी कुपोषण की समस्या लगातार गंभीर जाती रही हो, फिर लोगों के शरीर के संपूर्ण विकास की आशा कैसे की जा सकती है? भारत में गरीबी बढ़ रही है, इस बात के ठोस आंकड़े हाल में अमेरिकी रिसर्च संस्था पिउ रिसर्च और अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के शोध से आ चुकी है। कुपोषण बढ़ रहा है, ये बात खुद भारत सरकार के पांचवें पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट से सामने आया था। अब ताजा शोध रिपोर्ट जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में सेंटर फॉर सोशल मेडिसिन एंड कम्युनिटी हेल्थ की तरफ से आई है। वहां शोधकर्ताओं ने सरकार के वार्षिक राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण पर आधारित एक शोध किया। इस शोध रिपोर्ट के परिणामों के मुताबिक भारत में वयस्कों की औसत लंबाई चिंताजनक रूप से गिर रही है।
अध्ययन में 15 से 25 वर्ष की आयु के बीच और 26 से 50 वर्ष की आयु के बीच के पुरुषों और महिलाओं की औसत लंबाई और उनकी सामाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि का विश्लेषण किया गया। ओपन एक्सेस साइंस जर्नल पीएलओएस वन में छपी इसकी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 1998-99 की तुलना में 2005-06 और 2015-16 के बीच वयस्क पुरुषों और महिलाओं की लंबाई में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई। कद में सबसे ज्यादा गिरावट गरीब और आदिवासी महिलाओं में देखी गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की औसत लंबाई तेजी से घट रही है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित वो महिलाएं हैं, जो एससी या एसटी समुदाय से आती हैं। अनुसूचित जनजाति समुदाय से आने वाली एक पांच साल की लड़की की लंबाई में सामान्य वर्ग की लड़की के मुकाबले दो सेंटीमीटर की कमी आई है। जबकि अमीर घरों से आने वाली महिलाओं की औसत लंबाई में बढ़ोतरी हुई है। ये आंकड़े जो बता रहे हैं, उसका अर्थ अच्छी तरह समझा जा सकता है।
नया इण्डिया
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