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सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस के संक्रमण से उपजी कोविड-19 महामारी से निपटने के मामले में राज्यों को केंद्र सरकार के साथ मिलकर सतर्कता |
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस के संक्रमण से उपजी कोविड-19 महामारी से निपटने के मामले में राज्यों को केंद्र सरकार के साथ मिलकर सतर्कता और सद्भाव के साथ काम करने की जिस आवश्यकता पर बल दिया उसकी पूर्ति इसके बावजूद होनी चाहिए कि पिछले कुछ दिनों से देश में कोरोना मरीजों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट देखने को मिल रही है। इस गिरावट के साथ ऐसे भी संकेत मिल रहे हैं कि भारत कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से बचा रह सकता है, लेकिन जब तक यह सुनिश्चित न हो जाए तब तक सावधानी का परिचय हर स्तर पर दिया जाना चाहिए-शासन और प्रशासन के साथ-साथ आम जनता के स्तर पर भी।
इससे इन्कार नहीं कि कोरोना से जंग जीतने के आसार और प्रबल हो गए हैं और जल्द ही देश के लोगों को वैक्सीन भी उपलब्ध हो जाएगी, फिर भी यह समय संयम और अनुशासन के साथ सावधानी बरतने का भी है। शायद इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई को एक तरह के विश्व युद्ध की संज्ञा दी और यह भी रेखांकित किया कि किस तरह दिशा-निर्देशों के उल्लंघन से स्थितियां बिगड़ीं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी उचित कहा कि विभिन्न स्तर पर जारी दिशा-निर्देशों पर सही तरह से अमल सुनिश्चित किया जाना चाहिए। यह अच्छा नहीं कि इस मामले में ढिलाई देखने को मिल रही है और इसका प्रमाण है सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश कि अस्पतालों को आग से बचाव के पर्याप्त उपाय करने के साथ ही संबंधित विभाग से इस आशय का प्रमाणपत्र भी चार हफ्ते के अंदर हासिल कर लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट को यह निर्देश गुजरात के दो अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं के सिलसिले में देना पड़ा। अच्छा होता कि ऐसे किसी निर्देश की आवश्यकता नहीं पड़ती। जो भी हो, सुप्रीम कोर्ट ने लगातार काम कर रहे डॉक्टरों को आराम देने के लिए केंद्र से कोई नीति बनाने की जो अपेक्षा जताई उसकी पूर्ति जल्द से जल्द होनी चाहिए। कायदे से तो अब तक इस तरह की नीति बन जानी चाहिए थी।
बेहतर होगा कि ऐसी किसी नीति के दायरे में चिकित्सकों के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य कर्मी भी आएं। मार्च-अप्रैल से लगातार काम कर रहे चिकित्सकों के साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों को आराम देने की व्यवस्था कुछ इस तरह से की जानी चाहिए जिससे कोरोना के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई का मोर्चा कमजोर न पड़ने पाए। जहां सरकारों को चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों के मानसिक दबाव की चिंता करनी चाहिए वहीं आम जनता को उनका हर तरह से उत्साहवर्द्धन करना चाहिए। कोरोना महामारी से लड़ने वाले इन सिपाहियों के साथ-साथ सुरक्षा और सफाईकर्मियों के प्रति भी आभार व्यक्त किया जाना चाहिए।
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