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रूस और यूक्रेन
ज्योति रंजन पाठक। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध लंबा खिंचता जा रहा है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने परमाणु हथियारों से संबंधित अपनी टीम को हाई अलर्ट मोड पर रखने का आदेश दिया है। यदि दुर्भाग्यवश इस युद्ध में परमाणु हथियारों का उपयोग किया गया तो इसका दुष्प्रभाव समूचे विश्व पर होगा। परमाणु बमों के विस्फोटों से 1.6 से 3.6 करोड़ टन धूल और राख उड़कर वातावरण में कई किमी ऊपर तक लंबे समय के लिए छा जाएगी जिससे धरती पर पडऩे वाली सूर्य की रोशनी में 20 से 35 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। ऐसे में धरती का तापमान दो से पांच डिग्री सेल्सियस तक कम होने की आशंका जताई जा रही है। इससे बारिश में 15 से 30 प्रतिशत कमी हो सकती है जिससे फसलों के उत्पादन पर असर की आशंका बढ़ जाएगी। नतीजन भुखमरी जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है। सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों से धरती की रक्षा करने वाली ओजोन परत पूरी तरह छिन्न भिन्न हो जाएगी। परमाणु विकिरण और आण्विक तत्वों के कहर से यदि कोई जीवित रहा तो उसे पराबैंगनी किरणें समाप्त कर देंगी। कुल मिलाकर युद्ध से करोड़ों वर्षों में विकसित मानव सभ्यता तबाह हो जाएगी।
आज विश्व में 50 हजार से ज्यादा परमाणु हथियार हैं और प्रत्येक हथियार की क्षमता जापान के हिरोशिमा और नागासाकी जैसे किसी भी शहर को एक झटके में विनाश करने के लिए उपयुक्त है। एक शोध रिपोर्ट के अनुसार इन हथियारों से समूची धरती को दर्जनों बार मिटाया जा सकता है। परमाणु बम में सबसे अधिक खतरनाक हाइड्रोजन बम है, जिसकी विनाशक क्षमता लगभग दो करोड़ टीएनटी आंकी गई है। मालूम हो कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने जो सबसे बड़ा बम (गैर परमाणु) गिराया था, उसकी विध्वंसक क्षमता लगभग 20 टीएनटी थी। साथ ही जापान के हिरोशिमा पर गिराया गया परमाणु बम इससे करीब 600 गुना ज्यादा प्रभावी था। ऐसे में आसानी से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि मात्र एक हाइड्रोजन बम धरती पर कितनी तबाही मचा सकता है। अपनी व्यापक विध्वंसक क्षमता के कारण ये परमाणु बम दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ते हैं। परमाणु विकिरण के कारण पुन: उत्पन्न होने वाली गामा किरणें पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली शारीरिक अक्षमता और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को पैदा करती हैं।
आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 1945 के बाद से अमेरिका ने हर नौ दिन में एक के औसत से परमाणु परीक्षण किया है। उसके बाद से दुनिया में अब तक कम से कम 2060 ज्ञात परमाणु परीक्षण किया जा चुका है जिसमें 85 प्रतिशत अकेले अमेरिका और रूस ने किया ह। अमेरिका ने 1032, रूस ने 715, ब्रिटेन ने 45, फ्रांस ने 210 और चीन ने 45 परमाणु परीक्षण किया है। अमेरिका ने जुलाई 1945 में जब पहली बार परमाणु बम का परीक्षण किया था उसके बाद से ही परमाणु युग का आरंभ हो गया। अमेरिका की राह पर चलते हुए सोवियत संघ ने 1949 में, ब्रिटेन ने 1952 में, फ्रांस ने 1958 में और चीन ने 1964 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया। सैन्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से भारत ने भी मई 1974 में पोखरण में अपना प्रथम भूमिगत परमाणु परीक्षण किया। वैश्विक हालात कुछ इस तरह के होते जा रहे हैं कि स्वयं को परमाणु संपन्न ताकत बनाने की दौड़ में दुनिया के अधिकांश देश शामिल होना चाहते हैं। ऐसे में घातक हथियारों से होने वाली क्षति को ध्यान में रखकर शस्त्र कटौती संधि हुई, परंतु परमाणु संपन्न देश उन संधियों की अवेलहना करके परमाणु बमों जैसे खतरनाक हथियार बढ़ाते ही जा रहे हैं।
इन परिस्थितियों के बीच यदि रूस और यूक्रेन के बीच परमाणु युद्ध हुआ तो हथियारों की भयावहता से उपजे संकट आगामी पीढ़ी और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। मानवीय संकटों को ध्यान में रखते हुए रूस और यूक्रेन के बीच आपसी बातचीत के जरिये शांति की स्थापना आवश्यक है।
(लेखक पर्यावरण मामलों के जानकार हैं)
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