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ताजा घटना है कि एक देश की राजकुमारी ने एक आम आदमी से विवाह करने के लिए अपने विशेषाधिकार छोड़ दिए
जयप्रकाश चौकसे। ताजा घटना है कि एक देश की राजकुमारी ने एक आम आदमी से विवाह करने के लिए अपने विशेषाधिकार छोड़ दिए, जिसे वह सच्चा प्यार करती है। उसका तर्क है कि सच्चा प्रेम पाना कठिन है और उसे पाने के लिए सब कुछ खोया जा सकता है। वह आगे कहती है कि यह जिंदगी एक ही बार मिलती है।
ज्ञातव्य है कि फिल्म मेकर जोया अख्तर के निर्देशन में बनी फिल्म का नाम ही था 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' जिसमें ऋतिक रोशन, अभय देओल, फरहान अख्तर, कटरीना कैफ और कल्कि कोचलिन ने प्रमुख भूमिकाएं निभाईं थीं और इनके अभिनय को सराहा गया था। गौरतलब है कि कुछ वर्ष पूर्व राजकुमारी डायना गॉसिप पत्रकारों से बचने के लिए अपनी कार में भागीं तो इस दौड़-भाग के कारण हुई दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी।
बहरहाल, ढाई आखर प्रेम की लंबी कहानियां अवाम को रोमांचित करती हैं। कभी-कभी लगता है कि प्रेम को कुछ अधिक ही महिमा मंडित कर दिया गया है, जबकि अपना काम पूरी लगन और निष्ठा से करने में ही जीवन की सार्थकता है। कभी-कभी अपने रोजमर्रा के एक ढर्रे पर चलते हुए ऊब जाने के कारण भी व्यक्ति कुछ अलग करने के मोह में कुछ नहीं तो प्रेम ही कर बैठता है।
एक फिल्म का गीत है और लोग अक्सर यह कहते हुए भी सुने जाते हैं कि 'प्यार किया नहीं जाता हो जाता है' गोया की प्रेम ना हुआ कोई दुर्घटना हो गई। वैसे प्रेम की बरसात में थोड़ी देर भीगना बड़ा ही रूमानी ख्याल है, जिसे फिल्मों ने खूब बढ़ावा दिया है। अधिक देर बरसात में भीगने से निमोनिया होने का जोखिम भी होता है यह स्मरण रहना भी जरूरी है। दरअसल अपने काम से प्रेम करने से ही निर्मल आनंद मिलता है।
प्रेम नशा नहीं है वरन जागने को कहते हैं। किसी दौर में गायक अल्ताफ राजा विरह गीत गाते हुए बड़े अमीर हो गए थे। उनका गाया हुआ गीत 'तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे, सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे।' एक अन्य गीत है 'विरह ने कलेजा यूं छलनी किया मानो जंगल में बांसुरी पड़ी हो' भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है। मिलन के समय बिछुड़ जाने का भय बना रहता है।
शैलेंद्र ने जुदा हो जाने के इस भय को अभिव्यक्त किया है। 'प्यार हुआ इकरार हुआ प्यार से फिर क्यों डरता है दिल।' गौरतलब है कि प्रेम की खातिर सिंहासन छोड़ना बड़े साहस का काम है। इसी कड़ी में फिल्मकार लव रंजन ने 'प्यार का पंचनामा' नामक मनोरंजक फिल्म बनाई थी। यह भी संभव है कि प्रेम होते ही थाने में एफ.आई.आर दर्ज कराना जरूरी हो जाए। विवाह के पंजीकरण से प्रेम की एफ.आई.आर अलग बात है।
नैन लड़ते ही मनवा की कसक को दरोगा के पास रपट दर्ज कराना आवश्यक होगा। विशेषाधिकार की लत से छुटकारा पाना कठिन हो जाता है। कतार में खड़े रहना हमें पसंद नहीं है। यह भी जिद ही होती है कि हम जहां खड़े होते हैं लाइन वहीं से शुरू होती है। भारत में गणतंत्र व्यवस्था लागू करने के लिए सामंतवाद को समाप्त करते समय उन्हें कुछ विशेषाधिकार दिए गए।
जैसे उनकी कारों में वे अपने घराने का नाम लिखवा सकते हैं। उन्हें आर.टी.ओ में पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होती थी। दूसरी ओर सूर्य अपनी किरणों के उपयोग के लिए किसी को विशेषाधिकार नहीं देता। प्रकृति समाजवादी प्रवृत्ति की है। बादल नहीं जानता कि किस घर को भिगोना है, किस घर को बचाना है। अधिकार के साथ कर्तव्य जुड़े होते हैं। अधिकार जताते समय, कर्तव्य भुला दिए जाते हैं।
दरअसल सिंहासन भी एक प्रकार की जेल होता है। प्रेम, पंख प्रदान करता है। विवाह, गुरुत्वाकर्षण है, मनुष्य को जमीन पर खींच लेता है। प्रेम वृक्ष पर बनाए गए झूले में झूलने का आनंद देता है। वृक्ष की जड़ें प्रेम से सींची हुई होती हैं और उसकी पत्तियां आनंद अभिव्यक्त करती हैं।
Rani Sahu
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