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इन दिनों देशभर में बहुआयामी गरीबी की चुनौती से संबंधित नीति आयोग की 26 नवंबर को प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है। इस बहुआयामी गरीबी सूचकांक (मल्टीडायमेंशनल पोअर्टी इंडेक्स या एमपीआई) में यह तथ्य सामने आया है कि देश में बहुआयामी गरीबी सबसे बड़ी आर्थिक-सामाजिक चुनौती बन गई है। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश देश के सर्वाधिक गरीब आबादी वाले राज्य हैं। इस सूचकांक के अनुसार जहां बिहार में 51.91 प्रतिशत, झारखंड में 42.16 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 37.79 प्रतिशत, मध्यप्रदेश में 36.65 प्रतिशत और मेघालय में 32.67 प्रतिशत आबादी गरीब है। इस सूचकांक के तहत केरल में 0.71 प्रतिशत, गोवा में 3.76 प्रतिशत, तमिलनाडु में 4.89 प्रतिशत और पंजाब में 5.59 प्रतिशत जनसंख्या गरीब पाई गई है। इस रिपोर्ट में बहुआयामी गरीबी के आकलन के लिए वर्ष 2015-16 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के चौथे दौर के समंको को आधार बनाया गया है। नीति आयोग के मुताबिक बहुआयामी गरीबी सूचकांक में एनएफएचएस के द्वारा वर्ष 2019-20 में किए गए पांचवें दौर के सर्वे के परिणामों से बड़ा परिवर्तन होगा।