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- विदेश व्यापार बढ़ाने की...
महामारी की दूसरी लहर के बीच अधिकांश कारखानों, फैक्ट्रियों को प्रतिबंधों से बाहर रखने के कारण उत्पादन में अब वैसा ठहराव नहीं रह गया है, जैसा कि पहली लहर के दौरान देखने को मिला था। इसलिए अब विनिर्माण और निर्यात का ग्राफ बढ़ने की उम्मीदें और प्रबल हुई हैं। एक फरवरी को पेश किए जाने वाले वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में विदेश व्यापार और निर्यात को नई रफ्तार देने के संकेत मिलने लगे हैं। अर्थव्यवस्था के विकास के लिहाज से ये महत्त्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं
उल्लेखनीय है कि 23 दिसंबर को फेडरेशन आफ एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन (फियो) ने कहा था कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 की शुरुआत से दुनिया की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के खुलने से भारत का विदेश व्यापार और निर्यात तेजी से बढ़ा है। अप्रैल से दिसंबर 2021 तक के नौ महीनों में भारत से करीब तीन सौ अरब डालर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया गया और चालू वित्त वर्ष में चार सौ अरब डालर का रिकार्ड निर्यात लक्ष्य हासिल होने की संभावना है। वर्ष 2020-21 के दौरान भारत ने करीब 290.63 अरब डालर की वस्तुओं का निर्यात किया था।
वर्ष 2022 में देश के विदेश व्यापार में तेजी के तीन परिदृश्य उभरते दिखाई दे रहे हैं। एक, पिछले महीने भारत और रूस ने द्विपक्षीय व्यापार को वर्ष 2025 तक तीस अरब डालर और आपसी निवेश को पचास अरब डालर की ऊंचाई पर पहुंचाने का लक्ष्य तय किया। दूसरा परिदृश्य यह है कि पिछले साल 23 नवंबर को भारत-अमेरिका के बीच हुए व्यापार समझौते के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार इस बार सौ अरब डालर पार कर सकता है। तीसरा यह कि वर्ष 2021 में कोविड-19 की चुनौतियों के बीच विकसित और विकासशील देशों के साथ भारत का विदेश व्यापार रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंचा है।
गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में रूस के साथ शिखर बैठक में भारत ने कहा कि आर्थिक क्षेत्र में हमारे रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए हम एक दीर्घकालिक दृष्टि अपना रहे हैं। इससे आगामी वर्षों में भारत-रूस के बीच विदेश व्यापार तेजी से बढ़ेगा। 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत प्रमुख क्षेत्रों में विकास और सह-उत्पादन से आपसी सहयोग और मजबूत होगा। गौरतलब यह भी है कि भारत और रूस के बीच वर्ष 2021 के पहले नौ महीनों में द्विपक्षीय व्यापार में अड़तीस फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।