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फ्रांस के राष्ट्रपति चुनाव के पहले चरण के मतदान में इमैनुएल मैक्रों सबसे आगे रहे
By NI Editorial
फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव के पहले चरण के मतदान में जो रूझान दिखे, उससे राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खेमे की चिंता बढ़ जाएगी। 24 अप्रैल को दूसरे चरण का मतदान होगा। उसमें सत्ता विरोधी तमाम वोटों का ध्रुवीकरण हुआ और मतदान प्रतिशत कम रहा हो, मैक्रों के लिए मुश्किल हो सकती है।
फ्रांस के राष्ट्रपति चुनाव के पहले चरण के मतदान में इमैनुएल मैक्रों सबसे आगे रहे। लेकिन इसके आधार पर अभी यह नहीं माना जा रहा है कि दूसरे चरण में उनकी जीत पक्की है। इसकी वजह पहले चरण में दिखे कुछ रूझान हैँ। बल्कि कहा जा रहा है कि पहले चरण के मतदान में जो रूझान दिखे, उससे राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खेमे की चिंता बढ़ जाएगी। 24 अप्रैल को दूसरे चरण का मतदान होगा। उसमें मैक्रों और धुर दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी की नेता मेरी ली पेन के बीच सीधा मुकाबला होगा। पहले चरण में 27।6 प्रतिशत वोट हासिल कर मैक्रों सबसे आगे रहे। ली पेन से वे चार फीसदी मतों के अंतर से आगे रहे। लेकिन मैक्रों के लिए सबसे बड़ी चिंता का पहलू वामपंथी नेता ज्यां-लुक मेलेन्शॉं का अपेक्षा से अधिक वोट हासिल कर लेना है। मेलेन्शॉं को 22 फीसदी से भी ज्यादा वोट मिले। मेलेन्शॉ के समर्थकों को सत्ता विरोधी समझा जाता है। दूसरे चरण में मेलेन्शॉं समर्थक मतदाताओं में कौन किधर जाएगा, इसका अनुमान लगाना अभी मुश्किल है। लेकिन अनुमान है कि उनका एक बड़ा हिस्सा ली पेन को वोट दे सकता है।
अनुमान है कि मेलेन्शॉ समर्थक मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा दूसरे चरण के मतदान में गैर हाजिर रहेगा। ली पेन को पहले चरण में लगभग साढ़े 23 फीसदी वोट मिले। यह भी पहले लगाए गए अनुमान से ज्यादा है। आम अनुमान है कि दूसरे चरण में उन्हें एक अन्य धुर दक्षिणपंथी उम्मीदवार एरिक जिमो के पक्ष में गए वोट भी मिलेंगे। जिमो को सात फीसदी वोट मिले हैं। बहरहाल, ताजा चुनाव नतीजे ने इस बात की फिर पुष्टि की है कि फ्रांस की राजनीति में पहले जैसा लेफ्ट और राइट का बंटवारा नहीं रह गया है। पहले चरण में वामपंथ और दक्षिणपंथ की परंपरागत पार्टियों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। परंपरागत दक्षिणपंथी पार्टी द रिपब्लिक की उम्मीदवार वालेरी पिक्रेसी सिर्फ 4।7 प्रतिशत वोट हासिल कर पाईं। परंपरागत वामपंथी दल- सोशलिस्ट पार्टी की उम्मीदवार एनी हिडालगो तो दो प्रतिशत भी वोट पाने में सफल नहीं हुईं। जबकि 2014 तक ये दोनों पार्टियां अदल-बदल कर सत्ता में आती थीं। लेकिन अब हालात बदल गए हैँ। पहले चरण में मतदान का प्रतिशत अपेक्षा से ऊंचा रहा। 74 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले। समझा जाता है कि दूसरे चरण में कम मतदाता वोट डालने आए, तो इसका फायदा ली पेन को मिलेगा।

Gulabi Jagat
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