सम्पादकीय

केंद्र गलती नहीं करता!

Triveni
4 Aug 2021 4:33 AM GMT
केंद्र गलती नहीं करता!
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अगर ओलिंपिक खेलों में खिलाड़ी उपलब्धियां हासिल करें, तो उसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है!

अगर ओलिंपिक खेलों में खिलाड़ी उपलब्धियां हासिल करें, तो उसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है! टोक्यो ओलिंपिक खेलों में जब मीराबाई चानू ने रजत पदक जीता, तो उनके स्वागत में आयोजित समारोह में लगाए गए बैनर पर इस सफलता के लिए प्रधानमंत्री का आभार जताया गया था। लेकिन जो गलतियां हों- चाहे वह कोरोना महामारी को ना संभाल पाने की हो या टीकाकरण में धीमी रफ्तार या किसी अन्य क्षेत्र में- तो उसके लिए दोषी कोई और होता है। कभी जवाहर लाल नेहरू होते हैं, कभी विपक्ष और अक्सर राज्य सरकारों पर ठीकरा फोड़ा जाता है। तो अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा 66-ए को रद्द करने के फैसले को लागू करवाने की जिम्मेदारी राज्यों की है। 2015 में रद्द की गई आईटी ऐक्ट की धारा 66-ए के बारे में केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्यों को बार-बार इस बारे में सलाह दी जा चुकी है कि इस धारा के तहत दर्ज किए गए सारे मामले रद्द किए जाएं। गौरतलब है कि पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने निराशा और हैरत जताई थी कि छह साल पहले रद्द किए जाने के बावजूद पुलिस 66-ए के तहत मामले दर्ज कर रही है

एक जन हित याचिका में सुप्रीम कोर्ट का ध्यान इस ओर दिलाया गया था कि उसके फैसले के बाद भी 66-ए के तहत हजारों मामले दर्ज हुए हैं। मगर इतने संवेदनशील मामले पर जवाब देने के लिए केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने वैज्ञानिक नौकरशाह को कोर्ट में भेजा। उस वैज्ञानिक ने कहा कि वह गृह और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालयों से मिली जानकारी के आधार पर जवाब दाखिल कर रहे हैं। ये प्रकरण ही इस मामले में सरकार के नजरिए को स्पष्ट कर देता है। सोशल मीडिया से जुड़े तमाम मामलों में कार्रवाई के सूत्र केंद्र के हाथ में हैं। ट्विटर के खिलाफ जंग की कमान उसने संभाली हुई है। लेकिन जहां गलतियां हुईं, वो राज्यों का दोष है! सवाल है कि अगर राज्य गैरकानूनी काम कर रहे थे, तो केंद्र ने उसका संज्ञान क्यों नहीं लिया? उसने उन्हें एडवाइजरी क्यों नहीं भेजी? अगर भेजी को उसका फॉलोअप क्यों नहीं किया? आज के दौर में ऐसे सवालों के जवाब मिलेंगे, इसकी उम्मीद किसी को नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट की अपनी सीमाएं हैं। बाकी सब कुछ सबके सामने है।


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