सम्पादकीय

अहंकार के कारण शरीर भले ही जगमग हो जाए, पर जीवन रोशनी नहीं पा पाता

Gulabi Jagat
21 April 2022 8:42 AM GMT
अहंकार के कारण शरीर भले ही जगमग हो जाए, पर जीवन रोशनी नहीं पा पाता
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दुनिया में अंधेरा भी कई प्रकार का होता है
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:
दुनिया में अंधेरा भी कई प्रकार का होता है। सबसे खतरनाक अंधकार होता है अहंकार से पैदा होने वाला। मनुष्य जब अहंकार में डूबता है तो आसपास एक ऐसा अंधेरा छा जाता है जिसमें वह उचित और सत्य को देख नहीं पाता। हालांकि अहंकारी को लगता है मेरा व्यक्तित्व रोशन है, मैं जगमगा रहा हूं, परंतु सत्य यह है कि अहंकार के कारण शरीर भले ही जगमग हो जाए, पर जीवन रोशनी नहीं पा पाता।
इसलिए जो भी करें, अहंकार से मुक्त रहकर करें। हमारी जो शक्ति अहंकार में लगती है, यदि अहंकार हटा दें तो वह संकल्प में चली जाएगी और काम करना आसान हो जाएगा। कवि रहीम और गंग में गहरी मित्रता थी। रहीम जब भी किसी को कुछ दान देते तो नजर नीची कर लेते थे। कुछ लोग देखते नजर नीची है तो दो-दो बार ले लेते थे। गंग को यह बात ठीक नहीं लगती।
एक दिन उन्होंने रहीम से पूछा- यह कौना-सा ढंग है कि दान देते समय नजर नीची कर लेते हो? इस पर रहीम ने फरमाया- 'देनदार कोई और है, देता है दिन-रैन। लोग भरम हम पर करें, ताते नीचे नैन।' देने वाला तो ऊपर बैठा ईश्वर है, पर लोगों को लगता (भ्रम हो जाता) है मैं दे रहा हूं। बस, यही सोचकर मेरी नजरें झुक जाती हैं। दे कोई और रहा है, मैं तो सिर्फ जरिया हूं। यह है निरहंकारी दृष्टि। काम खूब करिए, लेकिन अभिमान को दूर रखकर।
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