सम्पादकीय

पीछे छूटी टीबी से लड़ाई

Gulabi Jagat
1 April 2022 6:13 AM GMT
पीछे छूटी टीबी से लड़ाई
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जब कोविड ने कहर बरपाया, तब टीबी सरकार और समाज की प्राथमिकता में काफी पीछे छूट गई

By NI Editorial

जब कोविड ने कहर बरपाया, तब टीबी सरकार और समाज की प्राथमिकता में काफी पीछे छूट गई। सवाल है क्या अब कोविड के शांत होने के बाद टीबी की लगातार गंभीर होती समस्या की तरफ सरकार और स्वास्थ्य व्यवस्था का ध्यान जाएगा? दुनिया के टीबी मरीजों में से एक चौथाई भारत में हैं।

कोविड-19 ने टीबी के खिलाफ लड़ाई को भारी नुकसान पहुंचाया है। हालांकि इससे कुछ सबक सीखने को भी मिले हैं। अब यह हम पर है कि हम इन सबकों को सीखते हैं या नहीं। असल सवाल राजनीतिक इच्छाशक्ति का है। यहां ये याद कर लेना उचित होगा कि 2020-21 में जब कोविड ने कहर बरपाया, तब टीबी सरकार और समाज की प्राथमिकता में काफी पीछे छूट गई। सवाल है कि क्या अब कोविड के शांत होने के बाद टीबी की लगातार गंभीर होती समस्या की तरफ सरकार और स्वास्थ्य व्यवस्था का ध्यान जाएगा? गौरतलब है कि दुनियाभर के टीबी मरीजों में से लगभग एक चौथाई भारत में हैं। एक अनुमान के मुताबिक 2020 में भारत में लगभग पांच लाख लोगों की मौत टीबी से हुई, जो कि पूरी दुनिया में हुई मौतों का एक तिहाई है। करीब एक दशक में पहली बार 2020 में टीबी से मौतों में वृद्धि हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कोविड महामारी ने टीबी के मोर्चे पर सालों की मेहनत पर पानी फेर दिया। बीते हफ्ते विश्व टीबी दिवस के मौके पर भारत ने एक नई रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2019-21 के दौरान लगभग दो तिहाई लोग ऐसे थे, जिनके अंदर टीबी के लक्षण पाए गए, लेकिन उन्हें इलाज नहीं मिला।
सर्वाइवर्स अगेंट्स टीबी नाम की संस्था के मुताबिक कोरोना महामारी के समय टीबी के खिलाफ मुहिम में शामिल लोग बेहद डरे हुए थे। उन्हें किसी भी तरह की सूचना, टेस्ट और इलाज आदि की सुविधाएं उस समय उपलब्ध नहीं थीं। यही कारण रहा जिससे कोविड ने टीबी के खिलाफ लड़ाई को बहुत पीछे पहुंचा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक- यानी संयुक्त राष्ट्र की समयसीमा से पांच साल पहले देश से टीबी खत्म करने का लक्ष्य तय किया हुआ है। लेकिन अब इस लक्ष्य को हासिल करना बेहद मुश्किल लग रहा है। ऐसा तभी हो सकता है, अगर टीबी के मामलों को खोजने के लिए जमीनी स्तर पर विशेष अभियान चलाए जाएं। इसके लिए अतिरिक्त फंडिंग की जरूरत होगी। फिर यह भी गौरतलब है कि टीबी की बड़ी वजह कुपोषण है, जिसके भारत में बढ़ने के संकेत हैँ। बहरहाल, ये अच्छी खबर है कि मास्क की वजह से टीबी का प्रसार भी 20 प्रतिशत तक कम होने का अनुमान लगाया गया है। ऐसे उपायों को जारी रखने की जरूरत है।
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