सम्पादकीय

कोरोना से जंग जारी

Rani Sahu
25 April 2022 4:29 PM GMT
कोरोना से जंग जारी
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इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना वैक्सीन ने महामारी की रोकथाम की दिशा में बेहतर काम किया है

इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना वैक्सीन ने महामारी की रोकथाम की दिशा में बेहतर काम किया है। दुनिया के 5.12 अरब लोगों मतलब 66.7 प्रतिशत आबादी को टीके की कम से कम एक खुराक मिल चुकी है। दुनिया के 60 प्रतिशत लोगों का पूरी तरह से टीकाकरण हो चुका है और 24 प्रतिशत लोग बूस्टर डोज प्राप्त कर चुके हैं। यह भी अपने आप में रोचक है कि दुनिया में सबसे अव्वल संयुक्त अरब अमीरात में 99 प्रतिशत लोगों का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है, जबकि बुरुंडी और कोंगो जैसे देशों में एक प्रतिशत लोग भी पूरी तरह से टीकाधारी नहीं हुए हैं। भारत में 62 प्रतिशत लोगों को दोनों खुराक मिल चुकी है और लगभग दो प्रतिशत लोग बूस्टर खुराक वाले होने वाले हैं। भारत में इन दिनों एक ओर, कोरोना के बढ़ते मामलों की चर्चा है, वहीं दूसरी ओर, पांच साल से 11 साल के बच्चों को कोरोना वैक्सीन देने की तैयारी भी चल रही है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के विशेषज्ञ पैनल ने 5 से 11 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की सिफारिश कर दी है।

हैदराबाद स्थित फर्म बायोलॉजिकल-ई द्वारा विकसित कॉर्बेवैक्स कोविड-19 के खिलाफ भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित आरबीडी प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है। गौर करने की बात है कि इस साल 16 मार्च से 12 से 14 साल के बच्चों को कॉर्बेवैक्स ही दिया जा रहा है। वैसे बच्चों के टीकाकरण में अमेरिका आगे चल रहा है। वहां बीते दिसंबर में ही पांच से ज्यादा उम्र के बच्चों का टीकाकरण शुरू हो गया था और जून महीने के बाद पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भी टीका मिलने लगेगा। ब्रिटेन में पांच साल से ज्यादा उम्र के उन्हीं बच्चों को टीका लग रहा है, जो शारीरिक रूप से कमजोर हैं। भारत में बच्चों को टीका लगाना जरूरी हो गया है, क्योंकि स्कूल खुल चुके हैं और उनका टीकाकरण व्यापक रूप से जरूरी हो गया है। पिछले सप्ताह में कोरोना मामलों में वृद्धि हुई है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अलावा अनेक इलाकों में मास्क की वापसी हो गई है। संक्रमण की इस नई वापसी को लेकर चिंता बनी हुई है। अभी एशिया और यूरोप के कई देशों में कोरोना की चौथी लहर ने तनाव पैदा कर रखा है। इस बार कोरोना के ओमीक्रोन बीए1, बीए2 और एक्सई वेरिएंट्स के मामले ज्यादा हैं। मरीजों की स्थिति ज्यादा बिगड़ नहीं रही है, लेकिन संक्रमण की क्षमता बहुत ज्यादा है। संक्रमण तेजी से फैल रहा है, नतीजा यह है कि चीन ने अपने अनेक शहरों में लोगों को खिड़की खोलने से भी मना कर रखा है।
कोरोना को कतई हल्के से नहीं लेना चाहिए। दुनिया में अपने लोगों को सबसे ज्यादा खुराक देने वाला चीन भी आश्वस्त नहीं है, उसे 3.32 अरब खुराक के इस्तेमाल के बावजूद बेहद कड़े लॉकडाउन की जरूरत पड़ गई है, तो संक्रमण के खतरे को समझा जा सकता है। अपने लोगों को सबसे ज्यादा खुराक देने के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है। 1.87 अरब खुराक देने वाले भारत को कतई आश्वस्त नहीं होना चाहिए। कोरोना विचित्र बीमारी है, वैज्ञानिक अभी भी इसे पूरी तरह पहचान नहीं पा रहे हैं। इंग्लैंड में एक व्यक्ति 505 दिनों तक कोरोना पॉजिटिव रहने के बाद दुनिया से गया है। यह कैसी महामारी है, लोगों को अलग-अलग शिकंजे में जकड़ रही है। अत: इस जंग को अभी खत्म न मानते हुए वैज्ञानिक अनुसंधान, दवा व वैक्सीन विकास पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान

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