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- यही तो समस्या है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर बनाने की कोशिश में कैसे नागरिकों के अधिकार का हनन हुआ है, उसका एक स्पष्ट उदाहरण सामने आया है। ये उदाहरण बताता है कि इस पूरी योजना के साथ असल समस्या क्या है। विदेशियों को बाहर निकाला जाए, इससे किसी का विरोध नहीं हो सकता। लेकिन विदेशियों को निकालने की कोशिश में देश के नागरिकों की जिंदगी मुहाल कर दी जाए, इसे आखिर कोई कैसे स्वीकार कर सकता है। उदाहरण यह सामने आया है कि करीब डेढ़ साल तक 'अवैध विदेशी' के रूप में डिटेंशन सेंटर में रखने के बाद असम के मोहम्मद नूर हुसैन और उनके परिवार को अब भारतीय घोषित किया गया है। 34 वर्षीय हुसैन, उनकी पत्नी सहेरा बेगम और उनके दो नाबालिग बच्चों को फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल (एफटी) ने भारतीय ठहराया है। मोहम्मद नूर हुसैन असम में उदालगुरी जिले के लॉडॉन्ग गांव के रहने वाले हैं। वे गुवाहाटी में रिक्शा चलाते हैं।