सम्पादकीय

टेक्‍सस का नया गर्भपात कानून औरतों के बुनियादी संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ

Gulabi
7 Oct 2021 8:53 AM GMT
टेक्‍सस का नया गर्भपात कानून औरतों के बुनियादी संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ
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टेक्‍सस का नया गर्भपात कानून

मनीषा पांडे।

अमेरिका के टेक्‍सस से एक सुकून देने वाली खबर आ रही है. बीते एक सितंबर को इस अमेरिकी स्‍टेट ने अपने गर्भपात कानूनों में बदलाव करते हुए हर तरह के गर्भपात पर रोक लगा दी थी, जिसका पिछले 35 दिनों से न सिर्फ टेक्‍सस, न सिर्फ अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया में विरोध हो रहा था. सोशल मीडिया पर और सड़कों पर भी औरतों ने मानो मोर्चा ही खोल लिया था. औरतें इस कानून के खिलाफ इतनी तेज आवाज में चीखीं कि आखिरकार जज को भी उनकी सुननी पड़ी.


ताजा अपडेट ये है कि डिस्ट्रिक्ट जज रॉबर्ट पिटमैन ने इस नए गर्भपात कानून पर अस्‍थाई रूप से रोक लगा दी है. पिटमैन ने 113 पन्‍नों के अपने लंबे जजमेंट में ये साफ कहा है कि नया गर्भपात कानून टेक्‍सस के नागरिकों के बेहद बुनियादी, जरूरी और संवैधानिक अधिकारों का उल्‍लंघन है. हालांकि टेक्‍सस के लिए अबॉर्शन कानूनाें से जुड़ी यह उठापटक और खींचतान कोई नई बात नहीं है. टेक्‍सस अमेरिका के उन चंद कंजरवेटिव राज्‍यों में से एक है, जहां पिछले तीन-चार दशकों में गर्भपात कानूनों को लेकर कई बार बदलाव हुए. कंजरवेटिव हर लिहाज से इसके खिलाफ हैं और लिबरल लगातार गर्भपात को महिलाओं के बेहद बुनियादी संवैधानिक अधिकार के रूप में देखते रहे हैं. टेक्‍सस में गर्भपात के अधिकार के लिए महिलाओं का आंदोलन भी कोई नई बात नहीं है. लेकिन जितने बड़े पैमाने पर इस बार विरोध देखने को मिला, पिछले तीन दशकों का टेक्‍सस का इतिहास उठाकर देखें तो पाएंगे कि इतनी बड़ी संख्‍या में औरतें सड़कों पर पहली बार उतरी हैं.

रॉबर्ट पिटमैन के जजमेंट की जरूरी बातें

जज पिटमैन 113 पन्‍नों के लंबे फैसले में मानवाधिकारों, संविधान, महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों और टेक्‍सस की कंजरवेटिव सरकार के अधिकारी मर्दों की नीयत के बारे में कुछ ऐसी टिप्‍पणियां कीं, जिन्‍हें एक बड़े से पन्‍ने पर फ्रेम करवाकर वहां की सीनेट में टांग दिया जाना चाहिए ताकि मौजूदा और भविष्‍य के सीनेट सदस्‍यों और सरकारी अधिकारियों को सनद रहे. जज पिटमैन ने अपने फैसले में कहा कि टेक्‍सस के अधिकारियों ने नागरिकों के एक बेहद जरूरी और महत्‍वपूर्ण मानवाधिकार को उनसे छीनने के लिए एक बेहद खतरनाक और आक्रामक योजना बनाई.

गर्भपात का अधिकार किसी भी महिला का बुनियादी अधिकार है और यह

अधिकार उससे छीना नहीं जा सकता.

– जज जज रॉबर्ट पिटमैन

गर्भपात विरोधी बिल के कानून बनने से पहले उस बिल का नाम था सीनेट बिल एट (8). जज पिटमैन ने कहा कि जिस पल टेक्‍सस की सीनेट में बिल एट (8) पास हुआ, उसी पल टेक्‍सस की महिलाओं को अपनी जिंदगी से जुड़ा एक महत्‍वपूर्ण फैसला लेने के अधिकार से वंचित कर दिया गया. यह वो अधिकार है, जो संविधान ने उन महिलाओं को दिया है और वो अधिकार उनसे छीनना पूरी तरह से गैरकानूनी है. जज पिटमैन ने फैसले में कई बार अमेरिकी संविधान और बुनियादी मानवीय अधिकारों का हवाला देते हुए कहा कि गर्भपात का अधिकार किसी भी महिला का बुनियादी अधिकार है और यह अधिकार उससे छीना नहीं जा सकता.

टेक्‍सस की सीनेट और वोटिंग वाला दिन

13 मई की तारीख उस दिन टेक्‍सस की सीनेट में बैठी महिलाओं पर बहुत भारी थी. जो औरतें सीनेट के अंदर नहीं थीं, उनके लिए भी वो दिन कुछ कम भारी नहीं था. सब दिल थामे उस खतरनाक बिल पर सीनेट की वोटिंग और अंतिम फैसले का इंतजार कर रही थीं, जो टेक्‍सस की औरतों की जिंदगी को बहुत निर्णायक ढंग से बदल देने वाला था.

आखिरकार ज्‍यादातर वोट बिल के पक्ष में पड़े और वो पास हो गया. सीनेट बिल एट (8) अब कानून था, जो टेक्‍सस की औरतों के लिए मौत के फरमान से कम नहीं था.

सीनेट बिल एट (8) क्‍या है?

सीनेट बिल एट (8) पास होने का अर्थ था कि अब टेक्‍सस में हर तरह के अबॉर्शन पर पूरी तरह प्रतिबंध है. यह कानून इतना क्रूर था कि इसमें बलात्‍कार और इंसेस्‍ट रिश्‍तों से हुई प्रेग्‍नेंसी में भी गर्भपात कराने की कोई छूट नहीं दी गई थी.

टेक्‍सस में जो हो रहा था, वो अमेरिका के इतिहास में कोई नई बात नहीं थी. दो साल पहले अलाबामा में जो हुआ था, यह उसी का मानो रिपीट टेलीकास्‍ट था. दो साल पहले ट्रंप सरकार में अलाबामा स्‍टेट में भी हर तरह के गर्भपात पर पूरी तरह प्रतिबंधित लगा दिया गया. अलाबामा की सीनेट में उस दिन सिर्फ 3 वोट इस अबॉर्शन बिल के विरोध में पड़े थे और वो तीनों महिलाएं थीं. बाकी सीनेट में मौजूद 25 मर्दों ने इस बिल के समर्थन में वोट दिया था. मर्द सदस्‍यों ने कहा कि वो अबॉर्शन को प्रतिबंधित करना चाहते हैं क्‍योंकि वो जीवन के पक्ष में हैं. तीनों औरतें भरी सीनेट में चीखकर बोलीं, "इट इज नॉट अबाउट लाइफ, इट इज अबाउट कंट्रोल."

जज पिटमैन 113 पन्‍नों के लंबे फैसले में मानवाधिकारों, संविधान, महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों और टेक्‍सस की कंजरवेटिव सरकार के अधिकारी मर्दों की नीयत के बारे में कुछ ऐसी टिप्‍पणियां कीं, जिन्‍हें एक बड़े से पन्‍ने पर फ्रेम करवाकर वहां की सीनेट में टांग दिया जाना चाहिए ताकि मौजूदा और भविष्‍य के सीनेट सदस्‍यों और सरकारी अधिकारियों को सनद रहे. जज पिटमैन ने अपने फैसले में कहा कि टेक्‍सस के अधिकारियों ने नागरिकों के एक बेहद जरूरी और महत्‍वपूर्ण मानवाधिकार को उनसे छीनने के लिए एक बेहद खतरनाक और आक्रामक योजना बनाई.

13 मई के दिन टेक्‍सस की सीनेट में भी कुछ ऐसा ही हुआ. सीेनेट में कुल 31 सदस्‍य थे. 22 पुरुष और 9 महिलाएं. उन 22 में से 18 ने बिल के समर्थन में वोट दिया. उस दिन 31 में से 18 वोट इस नए बिल के समर्थन में पड़े. समर्थन में वोट देने वालों में तीन महिलाएं भी थीं- डोना कैंपबेल, जेन नेल्‍सन और एंजेला पैक्‍सटन. तीनों रिपब्लिकन थीं.
जो बाइडेन का हस्‍तक्षेप

जब पूरा अमेरिका टेक्‍सस के इस नए कानून के खिलाफ उठ खड़ा हुआ तो जो बाइडेन के पास भी कोई और विकल्‍प नहीं बचा, सिवा इसके कि वो भी अब इस मामले में हस्‍तक्षेप करें. बाइडेन सरकार ने जज रॉबर्ट पिटमैन से इस बारे में बात की और हस्‍तक्षेप करने को कहा. बाइडेन का कहना था कि यह कानून अमेरिकी संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. इसलिए इसे लागू होने से रोका जाना चाहिए. आखिरकार बाइडेन सरकार के हस्‍तक्षेप का सकारात्‍मक नतीजा सामने आया.

इस खबर पर थोड़ी खुशी मनाते हुए भी ये जरूरी बात हमें नहीं भूलनी चाहिए कि अभी ये रोक अस्‍थाई है. कानून पूरी तरह वापस नहीं लिया गया है. पिछले साल नवंबर में जब पोलैंड की सड़कें वहां के अबॉर्शन लॉ के खिलाफ औरतों से पट गई थीं तो वहां की कंजरवेटिव सरकार ने भी कुछ समय के लिए कानून पर अस्‍थाई रोक लगा दी थी, लेकिन कुछ महीनों बाद उसे आखिरकार लागू कर दिया गया. इसलिए टेक्‍सस की औरतों के लिए पर खतरा अभी बस कुछ समय के लिए मुल्‍तवी हुआ है. पूरी तरह खत्‍म नहीं हुआ.
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