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दो दिन बाद इम्तिहान हैं और अचानक ही अदालत उस पर रोक लगा दे, तो यह शायद उन बहुत से अभ्यर्थियों के लिए अच्छा नहीं होता
दो दिन बाद इम्तिहान हैं और अचानक ही अदालत उस पर रोक लगा दे, तो यह शायद उन बहुत से अभ्यर्थियों के लिए अच्छा नहीं होता, जो न जाने कब से इसकी तैयारियां कर रहे थे। आईआईटी जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में मास्टर डिग्री के लिए प्रवेश और बहुत सी नौकरियों की पात्रता देने वाली 'ग्रेजुएट एप्टीट्यूट टेस्ट इन इंजीनियरिंग' यानी 'गेट' एक ऐसी परीक्षा होती है, जिसकी तैयारी कई छात्र लंबे समय तक करते हैं। फिर यह परीक्षा देने के लिए काफी छात्रों को सैकड़ों मील की दूरी तय करनी पड़ती है। इस बार गेट की परीक्षा आगामी शनिवार और रविवार को होनी है, ऐसे में मुमकिन है कि इस परीक्षा के लिए बहुत सारे परीक्षार्थी अपने-अपने घर से चल पड़े हों। बृहस्पतिवार को जब सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ में परीक्षा स्थगित करने की अपील आई, तब अदालत को ऐन वक्त पर परीक्षा स्थगित करने में कोई समझदारी नहीं दिखाई दी और उन लोगों को निराशा हाथ लगी, जो यह चाहते थे कि फिलहाल परीक्षा कुछ समय के लिए टाल दी जाए।
परीक्षा टालने को लेकर मुख्य तर्क यह था कि इस समय, जब देश कोविड की तीसरी लहर से गुजर रहा है, इस परीक्षा के आयोजन में कई तरह के जोखिम हैं। तर्क यह भी था कि कुछ परीक्षार्थी हाल-फिलहाल ही ओमीक्रोन से संक्रमित हुए हैं और यह हो सकता है कि कुछ परीक्षा देने के वक्त भी संक्रमित हों। कई इलाकों में लॉकडाउन लगे होने की बात भी कही जा रही थी। हालांकि, परीक्षार्थियों को कोई दिक्कत न आए, इसके लिए यात्रा पास जारी कर दिए गए थे, जिसे वे आसानी से डाउनलोड कर सकते थे। कुछ परीक्षार्थियों ने तो परीक्षा स्थगित करने के लिए एक हस्ताक्षर अभियान चलाया था। तकरीबन 20 हजार परीक्षार्थियों ने स्थगन के लिए एक ऑनलाइन याचिका भी दी थी। लेकिन अदालत को लगा कि यह नौ लाख से अधिक छात्रों के भविष्य का सवाल है। उसने अपने फैसले में कहा कि 48 घंटे पहले परीक्षा स्थगित करने से अव्यवस्था फैल जाएगी। खंडपीठ ने यह भी कहा कि अब जब हर चीज खुल रही है, तब हम परीक्षा स्थगित नहीं कर सकते। यह ऐसा मामला है, जिस पर शैक्षणिक संस्थाओं को ही फैसला करना चाहिए। इस समय कोविड को लेकर जो हालात हैं, उनके बारे में यह भविष्यवाणी कैसे की जा सकती है कि एक महीने बाद ये हालात सुधर जाएंगे?
कोविड महामारी के कारण जो स्थितियां पैदा हुई हैं, उनके साथ अब पूरा देश सामंजस्य बिठाने की कोशिश कर रहा है। महामारी की पहली लहर के दौरान पूरे देश में जिस तरह से संपूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया था, उसका नुकसान अब सबकी समझ में आ चुका है। साथ ही यह भी समझ आ चुका है कि इससे महामारी का प्रसार एक हद से ज्यादा नहीं रुकता। नई सोच यह है कि महामारी के सच को स्वीकार करते हुए हर तरह की सावधानी बरती जाए, लेकिन किसी काम को रोका नहीं जाए। यही वजह है कि तीसरी लहर के दौरान लॉकडाउन और बाजार बंदी वगैरह को बहुत सीमित स्तर पर लागू किया गया। ऐसे में, परीक्षा को स्थगित कर देना इस सोच के विपरीत जाना ही होता। इसकी अधिसूचना पिछले साल अगस्त में जारी की गई थी, यानी जब तक नतीजे आएंगे, अगली परीक्षा की तैयारी का वक्त आ चुका होगा। इसलिए यह स्थगन बहुत सारी समस्याएं ही बढ़ाता।
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