सम्पादकीय

कश्‍मीर में सक्रिय हैं आतंकियों के मददगार, पाकिस्तान पहले की तरह नापाक हरकतें करने में जुटा

Rani Sahu
8 Jun 2022 2:30 PM GMT
कश्‍मीर में सक्रिय हैं आतंकियों के मददगार, पाकिस्तान पहले की तरह नापाक हरकतें करने में जुटा
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जम्मू-कश्मीर में पुलिस ने पिछले दो दिनों में जिस तरह एक दर्जन आतंकियों के साथ उनके मददगारों को गिरफ्तार किया, उससे यही पता चलता है

सोर्स-jagran

जम्मू-कश्मीर में पुलिस ने पिछले दो दिनों में जिस तरह एक दर्जन आतंकियों के साथ उनके मददगारों को गिरफ्तार किया, उससे यही पता चलता है कि घाटी में अलगाववाद और आतंकवाद को खाद-पानी देने वाले तत्व अभी भी सक्रिय हैं। ये तत्व न केवल आतंकियों को पनाह देते हैं, बल्कि उनके लिए मुखबिरी भी करते हैं। यह मानने के भी अच्छे-भले कारण हैं कि हाल के समय में कश्मीरी हिंदुओं के साथ गैर कश्मीरियों और भारत की बात करने वाले घाटी के जिन लोगों को निशाना बनाया गया, उनके बारे में आतंकियों को सूचनाएं इन्हीं तत्वों ने उपलब्ध कराईं।

अब तो यह संदेह भी गहरा रहा है कि ऐसे कुछ तत्व पुलिस और प्रशासन में भी घुसे हुए हैं। घर के इन भेदियों की न केवल पहचान की जानी चाहिए, बल्कि उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी होनी चाहिए। इससे ही आतंकियों के दुस्साहस पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। जम्मू-कश्मीर पुलिस की मानें तो आतंकियों के मददगार और उन्हें शरण देने वालों का पाकिस्तान से संपर्क और संवाद होता रहता है।
इसका मतलब है कि पाकिस्तान पहले की तरह कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद भड़काने में लगा हुआ है। यह सिलसिला तब तक बंद नहीं होने वाला, जब तक पाकिस्तान के खिलाफ फिर से कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाती। यह ठीक नहीं कि पाकिस्तान अभी भी न केवल आतंकियों की घुसपैठ कराता रहता है, बल्कि उन्हें हथियार और पैसा उपलब्ध कराने में भी सफल है। यह स्थिति सुरक्षा रणनीति में व्यापक बदलाव की मांग करती है।
पाकिस्तान को कश्मीर में हस्तक्षेप करने से रोकने के लिए जो कुछ किया जाना शेष है, उसमें देर नहीं की जानी चाहिए। इसके साथ ही कश्मीर में सक्रिय आतंकियों और उनके खुले-छिपे मददगारों के खिलाफ की जानी वाली कार्रवाई में भी तेजी लाई जानी चाहिए। ऐसे तत्वों के मन में सुरक्षा बलों और कानून का भय व्याप्त होना ही चाहिए। जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख ने यह जो कहा कि राष्ट्रविरोधी तत्वों के साथ संपर्क रखने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी, उससे तो कुछ ऐसा ध्वनित हो रहा है कि अभी तक ऐसा नहीं किया जा रहा था।
सच जो भी हो, कश्मीर के हालात संभालने के लिए यह आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है कि उन कारणों की तह तक जाकर उनका निवारण किया जाए, जिसके चलते नित-नए आतंकी पैदा हो रहे हैं और उनके मददगारों पर लगाम नहीं लग पा रही है। यह ठीक है कि टारगेट किलिंग में शामिल आतंकियों को कुछ ही दिनों में मार गिराया जाता है, लेकिन आवश्यकता इस बात की है कि उन्हें सक्रिय होने और सिर उठाने का मौका ही न दिया जाए।



Rani Sahu

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