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![आतंकवादी देश पाकिस्तान आतंकवादी देश पाकिस्तान](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/12/18/2327250-67.webp)
आदित्य चोपड़ा; राष्ट्रसंघ के मुख्यालय न्यूयार्क में पाकिस्तान के विदेश मन्त्री बिलावल भुट्टो और उनकी उपमन्त्री हिना रब्बानी खार ने भारत के प्रति जिस तरह की जहर बुझी भाषा में आतंकवाद के मुत्ल्लिक बयानबाजी की है, वह इस बात का सबूत है कि पाकिस्तान दहशतगर्द मुल्क करार होने से बचने के लिए अपने तरकश के सारे तीर इस्तेमाल कर रहा है। पाकिस्तान वह दिन भूला नहीं है जब 26 नवम्बर, 2008 के मुम्बई हमले के बाद तत्कालीन विदेश मन्त्री श्री प्रणव मुखर्जी ने पूरी दुनिया के सामने उसके आतंकवाद में संलिप्त होने के प्रमाण उजागर करके उसे विश्व संस्था द्वारा आतंकवादी देश घोषित करने के मुहाने पर लाकर बैठा दिया था। भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करने की बारी चल रही है जिसमें 'अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद के विरुद्ध चुनौतियां और आगे का रास्ता' विषय पर तैयार प्रस्ताव पर हस्ताक्षर बैठक की सरपरस्ती भारत के विदेश मन्त्री श्री एस. जयशंकर ने की। इस बैठक के बाद उन्होंने न्यूयार्क में एक प्रेस कान्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने कहा कि 'मैंने पाकिस्तान की मन्त्री बिना रब्बानी खार द्वारा राष्ट्रसंघ में दिये गये इस बाबत वक्तव्यों को पढ़ा और देखा है'। रब्बानी ने अपने वक्तव्यों में आतंकवाद के सम्बन्ध में भारत पर उल्टे बचकाने आरोप लगाये थे। श्री जयशंकर ने कहा कि अब से लगभग दस वर्ष पहले का वह असर मुझे याद आ गया। उस समय भी हिना रब्बानी खार पाकिस्तान की मन्त्री थी और तत्कालीन अमेरिकी विदेश मन्त्री श्रीमती हिलेरी क्लिंटन के बगल में ही खड़ी हुई थीं। उस समय श्रीमती क्लिंटन ने पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि 'यदि तुम अपने घर के पिछवाड़े में सांप पालोगे तो वे केवल तुम्हारे पड़ोसी को ही काटे यह जरूरी नहीं, एक न एक दिन वे तुम्हे भी काटेंगे। मगर पाकिस्तान एेसा देश है जिसे अच्छी सलाह नहीं सुहाती है'। श्री जयशंकर की प्रेस कान्फ्रेंस के बाद बिलावल भुट्टो ने भी एक प्रेस कान्फ्रेंस की और उसमें भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के लिए बहुत भद्दी भाषा का इस्तेमाल किया और 2002 के गुजरात दंगों का सन्दर्भ पेश कर दिया। शायद बिलावल भुट्टो को यह पता नहीं है कि श्री मोदी भारत के 135 करोड़ लोगों द्वारा चुने गये संवैधानिक प्रधानमन्त्री हैं। हकीकत तो यह है कि बेनजीर भुट्टो के पुत्र और जुल्फिकार अली भुट्टो के नवासे बिलावल को लोकतन्त्र का इल्म ही नहीं है कि इस निजाम में वजीरे आजम कैसे चुना जाता है क्योंकि पाकिस्तान में लोकतन्त्र के तौर-तरीके तो वहां की फौज तय करती है। क्या कयामत है कि अपनी मां बेनजीर भुट्टो के ही आतंकवाद का शिकार हो जाने के बावजूद बिलावल भुट्टो एेसी जुर्रत कर रहे हैं। जो पाकिस्तान आज पूरी दुनिया में अपनी दहशतगर्द पसन्द नीतियों की वजह से ही दर-दर का भिखारी बना हुआ है, उसका विदेश मन्त्री भारत के प्रधानमन्त्री की गलत तस्वीर पेश करने की जुर्रत कर रहा है। क्या बिलावल भुट्टो को यह याद दिलाना पड़ेगा कि दुनिया की राष्ट्रसंघ द्वारा प्रतिबन्धित कितनी दहशतगर्द तंजीमें पाकिस्तान में हैं और कितने दहशतगर्द पाकिस्तान में पनाह लिये बैठे हैं? क्या पाकिस्तान का यह युवा विदेश मन्त्री दुनिया को मूर्ख समझता है कि उसे पाकिस्तान की सच्चाई मालूम नहीं? हकीकत यह है कि पाकिस्तान आज अपने ही पैदा किये गये शैतानों के चंगुल में फंसा हुआ है और इसकी आवाम को उसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। लाहौर से लेकर क्वेटा तक पूरे पाकिस्तान में दहशतगर्दों का नेटवर्क पूरी मजबूती के साथ बिना खौफ के अपना काम करता रहता है और सैकड़ों लोग इसके शिकार होते रहते हैं, इसके बावजूद पाकिस्तानी हुक्मरानों को शर्म नहीं आती और उनकी हिम्मत भारत पर दोष मढ़ने की हो गई है। बिलावल भुट्टो जानते हैं कि वह अपने मुल्क के इस स्याहपन को किसी तरह नहीं ढक सकते इसी लिए झुंझलाहट में बहकी-बहकी बातें कर रहे हैं और उनकी उपमन्त्री उनसे भी दो हाथ ऊपर है। संपादकीय :एसिड अटैक को रोकना होगाक्रूर होती शिक्षा !पराक्रम और शौर्य का विजय दिवसभारत का शक्ति प्रदर्शनपाई-पाई को मोहताज पाकिस्तानचीन को 'पहाड़ के नीचे' लाना होगा !दुनिया जानती है कि पाकिस्तान ने 1990 के बाद से भारत में आतंकवादी गतिविधियां शुरू कीं जिसका सबूत 1999 का कारगिल युद्ध था जिसमें उसने खुद ही स्वीकारा था कि यह काम पाकिस्तानी फौज का नहीं बल्कि तालिबानों का था। क्या पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद और लश्करे तैयबा के कई आतंकवादियों को पुरस्कृत तक नहीं किया? क्या अमेरिका ने दुर्दान्त आतंकवादी ओसामा-बिन-लादेन को उसी के इलाके से पकड़ कर हलाक नहीं किया? पूरी दुनिया ने यह देखा है कि अमेरिका में आतंकवादी घटना को अंजाम देने वाला ओसामा- बिन-लादेन पाकिस्तान में ही पनाह लिये बैठा था। हकीकत तो यह है कि पाकिस्तान जानता है कि उसकी सरहदों के भीतर दहशतगर्दों ने उसी की फौज की मदद से अपनी सैरगाहें कायम कर रखी हैं और अब ये सैरगाहें उसके ही बगीचों को उजाड़ रही हैं मगर इसके बावजूद इसका विदेश मन्त्री दीवार की तरफ मुंह करके भारत पर अंगुली उठाने की हिमाकत कर रहा है। अब इस मुल्क की हालत यह होती जा रही है कि यह अपने ही अन्तर्विरोधों के बोझ तले दब रहा है, मगर अपने कराहने की आवाज को दबाना चाहता है। बेहतर हो कि यह पड़ोसी मुल्क होने के मतलब को समझे और अपने रास्ते बदले तथा भारत के साथ रिश्तों को दोस्ती की तरफ ले जाने का प्रयास करे। अब तो इसकी हालत यह हो गई है कि कोई मुस्लिम देश भी इसके बयान पर यकीन करने को तैयार नहीं है। अपने 'राहबर' को ढूंढते-ढूंढते इसकी शिफ्त 'रहजनी' की हो गई है। मगर भारत ही है जो इसकी दरिन्दगी को 'बालाकोट' करके उजागरकर देता है।