सम्पादकीय

ड्रोन से आतंकी हमला: संघर्ष विराम करने को मजबूर पाक खुराफात से बाज नहीं आ रहा, कश्मीर में आतंकियों को आधुनिक तकनीक से लैस करने में जुटा

Neha Dani
28 Jun 2021 3:21 AM GMT
ड्रोन से आतंकी हमला: संघर्ष विराम करने को मजबूर पाक खुराफात से बाज नहीं आ रहा, कश्मीर में आतंकियों को आधुनिक तकनीक से लैस करने में जुटा
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यह ठीक नहीं कि वे लक्ष्य के बहुत करीब आ गए थे।

जम्मू में एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन से हुए हमले ने उन आतंकी हमलों की फिर याद दिला दी, जो ऐसे मौकों पर हुए, जब जम्मू-कश्मीर में कोई बड़ी पहल की गई। हैरत नहीं कि एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाने की एक वजह प्रधानमंत्री की ओर से बुलाई गई जम्मू-कश्मीर के नेताओं की सर्वदलीय बैठक से बने माहौल को खारिज करना हो। सच्चाई जो भी हो, आतंकियों ने जिस तरह ड्रोन के जरिये एयरफोर्स स्टेशन पर हमला किया, उससे यही पता चलता है कि एक तो सीमावर्ती क्षेत्र के महत्वपूर्ण ठिकाने उनके निशाने पर हैं और दूसरे, वे पहले से और अधिक समर्थ होते जा रहे हैं। इसे दुर्योग कहना कठिन होगा कि एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाए जाने के कुछ ही घंटों बाद जम्मू पुलिस ने एक आइईडी बरामद की, जो लश्कर के इशारे पर किसी भीड़भाड़ वाले इलाके में लगाई जानी थी। एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन हमले के पीछे चाहे आतंकी संगठन जैश हो या फिर लश्कर हो अथवा अन्य कोई संगठन, यह संभव नहीं कि आतंकियों ने यह हमला पाकिस्तानी एजेंसियों की मदद के बगैर किया हो। ऐसा लगता है कि संघर्ष विराम करने को मजबूर हुआ पाकिस्तान खुराफात से बाज नहीं आ रहा है और वह अब कश्मीर में सक्रिय आतंकियों को कहीं अधिक आधुनिक तकनीक से लैस करने में जुट गया है। यह ध्यान रहे कि कश्मीर में एक अर्से से सीमा पार से ड्रोन के जरिये हथियारों और नशीले पदार्थो की खेप भेजी जा रही है। कायदे से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को तभी चेत जाना चाहिए था।

चूंकि यह पहली बार है, जब किसी आतंकी हमले को ड्रोन के जरिये अंजाम दिया गया, इसलिए सुरक्षा एजेंसियों को न केवल और अधिक चेत जाना चाहिए, बल्कि इस तरह के हमलों की काट के लिए कमर भी कसनी चाहिए। उन्हें इस सवाल का जवाब भी खोजना चाहिए कि सुरक्षा व्यवस्था में किस खामी के चलते ड्रोन हमले से एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाया गया? ज्यादा नुकसान नहीं हुआ तो इसका यह मतलब नहीं कि हमले की साजिश कमजोर थी। इस तथ्य को ओझल नहीं किया जाना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर में पठानकोट, नगरोटा, उड़ी आदि सैन्य ठिकानों में जो भी आतंकी हमले हुए, वे सुरक्षा व्यवस्था में किसी न किसी खामी के चलते हुए। आखिर आतंकी हमलों के अंदेशे के बाद भी सुरक्षा में खामी का यह सिलसिला कब खत्म होगा? यह ठीक नहीं कि तमाम चौकसी के बाद भी आतंकी सुरक्षा में सेंध लगाने में सफल हो जाएं। एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाने वाले ड्रोन चाहे सीमा पार से आए हों या सीमा के अंदर से, यह ठीक नहीं कि वे लक्ष्य के बहुत करीब आ गए थे।


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