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- आतंक के ठिकाने
Written by जनसत्ता; रूस और यूक्रेन के बीच लंबा खिंचता युद्ध तो चिंता पैदा कर ही रहा है, उससे भी बड़ा खतरा अब यह लग रहा है कि कहीं ये देश आतंकी गतिविधियों का भी केंद्र न बन जाएं। मास्को में हाल में हुई दो घटनाएं चौंकाने वाली रहीं। ताजा घटना यह कि रूस की शीर्ष खुफिया एजंसी फेडरल सिक्युरिटी सर्विस (एफएसबी) ने इस्लामिक स्टेट यानी आइएस के एक आत्मघाती हमलावर को गिरफ्तार किया।
इसके बारे में एफएसबी का दावा है कि यह आतंकी भारत में बड़े नेताओं पर हमले करने की तैयारी में था और मास्को के रास्ते भारत पहुंचने वाला था। बताया जा रहा है कि यह किसी मध्य एशियाई देश का ही नागरिक है। यह भी पता चला है कि इसे इसी साल तुर्की में आइएस में शामिल किया गया और भारतीय नेताओं पर आत्मघाती हमले का प्रशिक्षण दिया गया। इस आतंकी की गिरफ्तारी से यह तो साफ हो गया कि आतंकी अब रूस को अपना नया ठिकाना बनाने की तैयारी में हैं। वैसे भी मध्य एशिया के कई देशों में आइएस का जाल फैल चुका है। अगर रूस आतंकियों के लिए नया रास्ता बन गया तो यह खतरा उसके लिए भी कम बड़ा नहीं होगा।
दूसरी घटना भी कम गंभीर नहीं है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बेहद करीबी सहयोगी एलेक्जेंडर दुगीन की बेटी दारया दुगीना की हत्या कर दी गई। गौरतलब है कि दुगीन रूस में ऐसे कट्टर राष्ट्रवादी नेता के रूप में जाने जाते हैं जो पड़ोसी देशों को रूस में मिलाने के प्रबल पक्षधर रहे हैं। कहा यह भी जा रहा है कि यूक्रेन पर हमला उन्हीं के दिमाग की उपज है और उनकी योजना पर ही पुतिन ने इतना बड़ा कदम उठा लिया।
दावा तो यहां तक किया जाता है कि वे ही पुतिन के दिमाग हैं। अगर वाकई यह सब है, जैसा कि कहा और दावा किया जा रहा है, तो निश्चित ही वे हत्यारों के निशाने पर रहे होंगे। इसके अलावा दुगीना भी अमेरिका की कट्टर विरोधी थीं और यूक्रेन के मुद्दे पर अमेरिका व पश्चिमी देशों का कड़ा विरोध कर रही थीं। मामला ने तब और गंभीर मोड़ ले लिया जब दुगीना की हत्या के कुछ ही घंटों बाद यूक्रेन के एक बड़े खुफिया अधिकारी की हत्या कर दी गई।
रूस का कहना है कि दुगीना की हत्या यूक्रेन ने करवाई है। आरोप तो ये भी हैं कि इसमें अमेरिका का हाथ है। लेकिन जो भी हो, यह तो अब साफ हो चला है कि रूस-यूक्रेन जंग की दिशा बदलती जा रही है और एक दूसरे को सबक सिखाने के दूसरे तरीके भी आजमाए जा रहे हैं। हालांकि ये दोनों घटनाएं प्रकृति में अलग हैं, लेकिन युद्धरत देशों में आतंकी संगठनों की भूमिका किसी से छिपी नहीं है।
यूक्रेन रूस पर ये आरोप तो पहले से लगा ही रहा है कि वह लड़ाई में आतंकी संगठनों के लड़ाकों का इस्तेमाल कर रहा है। ऐसे ही आरोप रूस के भी हैं। सीरिया, इराक, अफगानिस्तान, लेबनान, फिलस्तीन जैसे देशों में आतंकी संगठन कहर ढहाते ही रहे हैं। अफ्रीकी देशों में आइएस की जड़ें गहरी हैं। इसी कड़ी में अब एशिया में भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों में भी आइएस अपना जाल बिछाने में लगा है। भारत में आतंकी संगठनों के लिए काम करने वाले लोगों की हाल के दिनों हुई गिरफ्तारियों से इसकी पुष्टि होती है। वैसे भी भारत के लिए आतंकवाद बड़ी चुनौती बना हुआ है। ऐसे में इस मोर्चे पर जरा भी ढिलाई महंगी पड़ सकती है।