सम्पादकीय

भ्रष्टाचार का दीमक

Subhi
3 Aug 2022 5:16 AM GMT
भ्रष्टाचार का दीमक
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इस देश को अगर कोई खोखला कर रहा है, तो वे हैं भ्रष्टाचारी। भ्रष्टाचारी की कलाकारी देख कर लोग दंग हैं कि धन छिपाने के लिए क्या क्या तरकीब निकालते हैं। भ्रष्टाचारी गजब के अन्वेषक हैं।

Written by जनसत्ता: इस देश को अगर कोई खोखला कर रहा है, तो वे हैं भ्रष्टाचारी। भ्रष्टाचारी की कलाकारी देख कर लोग दंग हैं कि धन छिपाने के लिए क्या क्या तरकीब निकालते हैं। भ्रष्टाचारी गजब के अन्वेषक हैं। कुछ भ्रष्टाचारी सीधे-साधे अपने दूर-दराज के रिश्तेदारों, सगे संबंधियों के नाम पर अचल संपत्ति बना लेते हैं, ताकि फंसें तो वे खुद पाक-साफ, सत्यवादी बने रहें। अगर नहीं फंसे तो फिर संपति उनकी या उनकी संतानों की। ऐसे ऐसे धूर्त भ्रष्टाचारी होते हैं।

सबसे बड़ी विडंबना है कि ऐसे भ्रष्टाचारी और इनके परिजनों को बहुत इज्जत-सम्मान मिलता है कि वे बहुत सफल हुए, इन पर लक्ष्मी की कृपा है। ऐसे धूर्तों को सबक सिखाएं कि भविष्य में कभी ऐसे भ्रष्टाचारी पैदा न हों। बेईमानों की आवाज ऊंची होती है और किसी हद तक गिर सकता है, लेकिन जब कानून का डंडा पड़ता है, तो किसी लोक का नहीं रहता है, बिल्कुल नंगा हो जाता है। भ्रष्टाचारी अंदर से बहुत कमजोर होता है।

जब कानून का शिकंजा कसता है तो वह टूट जाता है। आज भी भ्रष्टाचारी की संपत्ति की कुंडली खंगाल ली जाए तो नब्बे फीसद संपत्ति जब्त हो जाएगी और इनका असली ठिकाना काल कोठरी में होगा। आज के तकनीकी युग में अब वह दिन दूर नहीं रहा, जब दूध का दूध और पानी का पानी होगा। नित्य नए-नए लोगों को सलाखों के अंदर भेजा जा रहा है।

प्रवर्तन निदेशालय द्वारा, जो आजकल भ्रष्ट नेताओं के भ्रष्टाचार को उजागर कर रहा है, विपक्ष और अन्य लोग इस पर सवाल खड़े कर रहे हैं। ईडी ने जब 26 जुलाई को एक बार फिर कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पूछताछ के लिए बुलाया, तब कांग्रेस ने इसे राजनीतिक कार्रवाई करार देते हुए सत्याग्रह का एलान किया था। लेकिन कांग्रेस को यह ध्यान देना चाहिए कि महात्मा गांधी ने सत्याग्रह किया था देश में अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध। अगर ईडी सोनिया गांधी से कुछ सवाल कर रही है तो इसमें आखिर गलत क्या है? क्या कानून सबके लिए बराबर नहीं है? दूसरी बात, अगर ईडी पश्चिम बंगाल में नेताओं के यहां छापेमारी कर उनके कालेधन पर प्रहार कर रही है तो वह ऐसा करके क्या गलत कर रही है?

जो ईडी की कार्रवाई को राजनीतिक चश्मे से देखते हुए इसे भाजपा की साजिश बता रहे हैं, उनसे सवाल है कि पश्चिम बंगाल में जो कालेधन की करोडों की राशि का ईडी ने पर्दाफाश किया, उसे क्या केंद्र सरकार ने भ्रष्ट लोगों के घर छिपा रखा था? तीसरी बात, अगर कालेधन को बेनकाब नहीं किया जाता, भ्रष्ट नेताओं और अन्य लोगों के चेहरे बेनकाब नहीं किए जाते, तो फिर वही लोग जो आज ईडी की कार्यवाही पर सवाल खड़े कर रहे हैं, वही लोग चुनाव के समय केंद्र सरकार पर सवाल खड़े कर देंगे कि उसने कालेधन और भ्रष्टाचार के लिए क्या काम किया? अत: देश की सभी एजेंसियों को किसी की भी परवाह न करते हुए भ्रष्टाचारियों के चेहरे बेनकाब करने चाहिए।

केंद्र सरकार को चाहिए कि वह मीडिया के जरिए अपने उन लोगों के बारे भी बताए जिन पर ईडी ने कभी कोई कार्रवाही की हो, ताकि विपक्ष और अन्य सभी की यह गलतफहमी दूर हो कि ईडी केंद्र सरकार के हाथ की कठपुतली नहीं है।


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