सम्पादकीय

भ्रष्टाचार पर तकनीक की लगाम: मोदी सरकार सूचना प्रौद्योगिकी भ्रष्टाचार रोकने के साथ गरीबी निवारण का भी बना रही कारगर हथियार

Triveni
14 Aug 2021 5:14 AM GMT
भ्रष्टाचार पर तकनीक की लगाम: मोदी सरकार सूचना प्रौद्योगिकी भ्रष्टाचार रोकने के साथ गरीबी निवारण का भी बना रही कारगर हथियार
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श के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1985 में भ्रष्टाचार की व्यापकता स्वीकारते हुए कहा था

भूपेंद्र सिंह| देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1985 में भ्रष्टाचार की व्यापकता स्वीकारते हुए कहा था कि गरीबों के लिए भेजे जाने वाले एक रुपये में से केवल 15 पैसे ही जरूरतमंदों तक पहुंच पाते हैं। आज दिल्ली से भेजे गए एक रुपये में पूरे सौ पैसे लाभार्थियों तक पहुंच रहे हैं तो इसका कारण यह नहीं है कि भ्रष्ट तंत्र सुधर गया है। इसका श्रेय मोदी सरकार द्वारा हर स्तर पर बैठाए गए सूचना प्रौद्योगिकी रूपी चौकीदार को है, जिससे लीकेज प्रूफ नकद हस्तांतरण संभव हुआ। सूचना प्रौद्योगिकी आधारित डिजिटल इंडिया अभियान पारदर्शी, भेदभाव रहित और भ्रष्टाचार पर चोट करने वाला है। इससे समय, श्रम और धन की बचत हो रही है। इससे सरकारी तंत्र तक हर आदमी की पहुंच बनी है। मात्र छह वर्षों में डिजिटल इंडिया अभियान ने कामयाबी की तमाम गाथाएं लिखी हैं। उदाहरण के लिए डिजिटल इंडिया की बदौलत कोरोना महामारी के इस डेढ़ साल में ही भारत सरकार ने विभिन्न योजनाओं के तहत लगभग सात लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण अर्थात डीबीटी के माध्यम से करोड़ों लोगों के बैंक खातों में भेजा। केवल भीम यूपीआई से ही हर महीने पांच लाख करोड़ रुपये का लेन-देन हो रहा है। अब तो सिंगापुर और भूटान में भी भीम यूपीआई के जरिये लेन-देन होने लगा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत एक लाख 35 हजार करोड़ रुपये दस करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खातों में भेजा गया।

डिजिटल इंडिया ने वन नेशन-वन एमएसपी को किया साकार
डिजिटल इंडिया ने वन नेशन-वन एमएसपी की भावना को भी साकार किया है। ई-नाम के जरिये देश के किसान अब तक 1,35,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का लेन-देन कर चुके हैं। किसानों से होने वाली सरकारी खरीद का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया जाने लगा है। इसी तरह छात्रवृत्ति, गैस सब्सिडी, राशन कार्डों को आधार से जोड़ने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है। यदि सूचना प्रौद्योगिकी आधारित प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण व्यवस्था न होती तो केंद्र सरकार से आम लोगों को दिए गए इन लाखों करोड़ रुपये में से अधिकांश धन बिचौलिये हड़प लेते। प्रधानमंत्री ने अलग-अलग सरकारी सेवाओं तक पहुंच आसान बनाने के लिए 2017 में यूनिफाइड मोबाइल एप्लीकेशन फार न्यू एज गवर्नेंस (उमंग) लांच किया था। इस एप पर 2084 सेवाएं उपलब्ध हैं, जिनमें 194 सरकारी विभागों की योजनाएं हैं। इस एप के डाउनलोड करने के बाद अलग-अलग सेवाओं का लाभ लेने के लिए कई तरह के एप डाउनलोड करने की जरूरत नहीं रह जाती। यह डिजिटल इंडिया की ही देन है कि ड्राइविंग लाइसेंस हो या जन्म प्रमाण पत्र, बिजली का बिल भरना हो या पानी का, आयकर रिटर्न दाखिल करना, अब ये सब काम आसानी से हो रहे हैं। गांवों में रहने वाले करोड़ों लोगों को ये सुविधाएं उनके घर के पास स्थित जन सेवा केंद्रों में उपलब्ध हैं। देश के हर गांव पंचायत में जन सेवा केंद्र खोले गए हैं, ताकि ग्रामीणों को जरूरी कामों के लिए तहसील या जिला मुख्यालय न जाना पड़े।
देश में 2025 तक 90 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करने का अनुमान
2020 के आंकड़ों के अनुसार देश में 75 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे, जिसके 2025 तक 90 करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान है। भले ही देश की इतनी बड़ी आबादी इंटरनेट इस्तेमाल करती हो, लेकिन इसकी कई सीमाएं हैं, जिससे इसका समुचित लाभ देश को नहीं मिल पा रहा है। भारत में 90 प्रतिशत इंटरनेट मोबाइल पर चलता है। इसमें 88 प्रतिशत लोग 4जी नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं। इससे इंटरनेट की स्पीड कम हो जाती है। दूसरे, देश के 40 करोड़ लोगों तक अभी इंटरनेट की पहुंच नहीं है। शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की उपलब्धता और स्पीड, दोनों कम हैं। ग्रामीण इलाकों में बैंडविथ संबंधी समस्या को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल लाल किले की प्राचीर से एक हजार दिनों के भीतर छह लाख गांवों में भारत नेट कार्यक्रम के माध्यम से ओएफसी ब्राडबैंड लगाने का एलान किया था। इसके तहत सबसे पहले 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को आप्टिक फाइबर केबल के जरिये हाई स्पीड ब्राडबैंड किफायती दरों पर उपलब्ध कराया जाएगा। 31 मई, 2021 तक 1,56,223 ग्राम पंचायतों तक इंटरनेट पहुंचा दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में ब्राडबैंड क्रांति को गति देने की यह महत्वाकांक्षी योजना है।
इंटरनेट के बहुआयामी उपयोग को बढ़ावा
इंटरनेट के बहुआयामी उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान की शुरुआत की गई है। इसके तहत छह करोड़ ग्रामीणों को कंप्यूटरों और डिजिटल उपकरणों की बेसिक ट्रेनिंग दी जाएगी। ये छह करोड़ लोग देश के 40 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों से लिए जाएंगे। आगे चलकर सरकार एक लाख डिजिटल गांव बनाएगी, जहां विभिन्न जन केंद्रित सुविधाएं गांवों में ही मिल जाया करेंगी। इससे गांव-शहर के बीच की डिजिटल खाई पाटने में मदद मिलेगी। डिजिटल इंडिया क्रांति की भांति वाई-फाई क्रांति का आगाज हो चुका है। इसके लिए प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (पीएम-वाणी) शुरू की गई है। यह योजना ई-गवर्नेंस और फिर मोबाइल गवर्नेंस (एम गवर्नेंस) की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। इसके तहत सभी को मुफ्त में वाई-फाई सुविधा मिलेगी। किसानों को सीधे बीज, खाद, कीटनाशक, उपकरणों आदि की जानकारी मिलेगी और वे अपनी उपज ई-मंडी के माध्यम से कहीं भी बेच सकेंगे। सरकार की योजना देश की 2700 कृषि उपज मंडियों और 4000 उप-बाजारों को राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) से जोड़ने की है।
ई-नाम प्लेटफार्म से जुड़े 1.73 करोड़ किसान
फिलहाल ई-नाम प्लेटफार्म पर 1000 कृषि उपज मंडियां, 1.73 करोड़ किसान, व्यापारी और कृषि उत्पादक संगठन जुड़े हैं। जल्दी ही 1000 और कृषि उपज मंडियां ई-नाम से जुड़ जाएंगी। समग्रत: मोदी सरकार सूचना प्रौद्योगिकी को भ्रष्टाचार रोकने और गरीबी निवारण का कारगर हथियार बना रही है।


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