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- तकनीकी शिक्षा स्वभाव...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत के शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने देश की तकनीकी शिक्षा अब भारतीय भाषाओं के माध्यम से देने का फैसला किया है। तकनीकी शिक्षा तो क्या, अभी देश में कानून और चिकित्साशास्त्र की शिक्षा भी हिंदी और भारतीय भाषाओं में नहीं है। उच्चशोध भारतीय भाषाओं में हो, यह तो अभी एक दिवा-स्वप्न भर ही है। 1965 में जब मैंने अपने अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोधग्रंथ हिंदी में लिखने की मांग की थी तो देश में तहलका मच गया था। इंडियन स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज से मुझे निकाल बाहर कर दिया गया था। संसद में जबर्दस्त हंगामा होता रहा था। मैंने अपनी मातृभाषा में लिखने की मांग इसलिए नहीं की थी कि मुझे अंग्रेजी नहीं आती थी। मैं अंग्रेजी के साथ-साथ संस्कृत, रुसी, फारसी और जर्मन भाषाएं भी जानता था लेकिन मैं इस वैज्ञानिक सत्य को भी जानता था कि स्वभाषा में जैसा मौलिक कार्य हो सकता है, वह विदेशी भाषा में नहीं हो सकता।