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- मैदान के लिए आंसू
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पूर्व सांसद महेश्वर सिंह के आंसुओं से ढालपुर का मैदान धुल जाएगा या उस पाप की भागीदारी से यह प्रदेश बच जाएगा, जो ऐतिहासिक मैदानों से उनका अस्तित्व छीन रही है। कुल्लू में मुख्यमंत्री की जनसभा में महेश्वर सिंह का दर्द इसलिए छलका क्योंकि ढालपुर का मैदान धीरे-धीरे अतिक्रमण की साजिशों से सिमट रहा है। उनकी शिकायत का पलड़ा भारी है और अगर इसे समूचे प्रदेश के हिसाब से देखा जाए, तो कई सार्वजनिक मैदान अतिक्रमण या विकास के नाम पर मौत का शिकार हो रहे हैं। कुल्लू का ढालपुर मैदान उस विरासत का पड़ाव है, जो दशहरा के सांस्कृतिक पक्ष की रखवाली करता है। ऐसे आयोजन का मंचन अगर अतिक्रमण की वजह से सिकुड़ रहा है, तो यह अपराध तुरंत रुकना चाहिए। विकास की मजदूरी में सार्वजनिक स्थलों की बर्बादी एक बड़ा विषय है और इसके ऊपर शहरी एवं ग्रामीण विकास मंत्रालयों के साथ-साथ प्रशासन और सरकार को गहन विचार करना चाहिए। न केवल ढालपुर, बल्कि मंडी का पड्डल, सुजानपुर का होली, धर्मशाला का पुलिस, चंबा का चौगान तथा ऐसे अनेक मैदान सिकुड़ रहे हैं। इसके लिए जनप्रतिनिधि भी पूरी तरह दोषी हैं क्योंकि विकास के विस्तार में वे अनेक बार अमूल्य जगह को बर्बाद करने में सहयोग करते हैं। धर्मशाला के पुलिस मैदान के एक बड़े भाग पर कार्यालयों का निर्माण इसी तरह की सोच का परिणाम है।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल
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