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- Teachers Day: शिक्षक...
शिक्षा मनुष्य की निर्मिति का एकमात्र साधन है। शिक्षा बोध निर्मिति तो करती ही है, उस बोध के अनुरूप मनुष्य की सामाजिक भूमिका का निर्धारण भी करती है। इस संदर्भ में भारतीय शिक्षा में आवश्यक प्रयत्न के लिए चिंतित दार्शनिक का नाम है डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन। स्वाभाविक है कि जब भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 क्रियान्वयन की दिशा में आगे बढ़ रही है, तब डॉ. राधाकृष्णन की शिक्षा दृष्टि पर विचार किया जाए। एक ज्ञान दूसरे ज्ञान को जन्म देता है। नया ज्ञान हमेशा प्राचीन ज्ञान की समीक्षा के बाद ही सृजित होता है। यदि प्राचीन ज्ञान की समीक्षा नहीं है, तो जिसे हम अत्यंत नवीन ज्ञान के रूप में समझते हैं, वह केवल कल्पना है। शिक्षा द्वारा कल्पना शक्ति प्राप्त होनी चाहिए, लेकिन कल्पना की यह शक्ति सृजनधर्मी हो, उसके लिए समीक्षात्मक चिंतन विधि की जरूरत है। हम शिक्षकों को स्वीकार करना होगा कि शिक्षक का दायित्व श्रेष्ठ मनुष्य का निर्माण करना है।