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- शिक्षक को चाहिए सुविधा...
कई वर्ष पहले एक राज्य के मुख्यमंत्री के साथ हवाई यात्र के दौरान विस्तृत चर्चा का अवसर मिला था। उसमें शिक्षा सुधार, अनियमित नियुक्तियां, संविदा अध्यापकों का चलन, अध्यापकों की अनुपस्थिति जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री जी ने शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने में रुचि दिखाते हुए कहा कि प्रोफेसर साहब, ऐसा कोई उपाय बताइए जिससे बिना वित्तीय आवंटन बढ़ाए शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ जाए। मैंने कहा कि इसका भी एक उपाय है, जिसमें आपको सिर्फ एक आदेश पारित कर उसे लागू कराना है। उन्होंने आश्चर्य से मेरी तरफ देखा मानों कि मैंने कोई हल्की-फुल्की या हास्यास्पद बात कह दी हो! मेरा सुझाव यही था कि प्रदेश के सभी अधिकारी अध्यापकों का सम्मान करें। जब भी कोई अध्यापक उनसे मिलने आए, वे अपनी कुर्सी से उठकर खड़े होकर आगंतुक शिक्षक को आदरपूर्वक स्थान ग्रहण करने को कहें। उसके बैठ जाने के बाद ही अपना स्थान ग्रहण करें। उनकी बातों को महत्व दें। वार्ता समाप्त होने पर उन्हें दरवाजे तक छोड़ने जाएं। इस सुझाव पर मैंने कहा कि इससे गुणवत्ता निश्चित रूप से सुधरेगी। स्कूलों में अध्यापकों की उपस्थिति बढ़ेगी। अध्यापक के आत्मबोध में वृद्धि होगी। समाज में उसकी प्रतिष्ठा और स्वीकार्यता भी बढ़ेगी। मुख्यमंत्री महोदय बड़े ध्यान से सुन रहे थे। उनके चेहरे के भाव लगातार बदल रहे थे। मेरी बात समाप्त होने के बाद वह कुछ समय विचारमग्न होकर बोले कि मेरे लिए यह करना संभव नहीं। नीति-नियंताओं को मेरे ये सुझाव भले ही अव्यावहारिक लगते रहे हों, लेकिन उनमें अपना पूर्ण विश्वास होने के कारण मैं लगातार उन्हें दोहराता रहा हूं।