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- बुजुर्गों के ब्याज पर...
देश के सबसे बड़े व्यावसायिक बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अर्थशास्त्रियों ने सरकार को सलाह दी है कि बढ़ती महंगाई और बैंक खातों में निगेटिव रिटर्न के चलते जमा पूंजी से मिलने वाले ब्याज पर लगाये जाने वाले कर पर सरकार नये सिरे से विचार करे। निस्संदेह इस कर से जमाकर्ताओं का उत्साह कम होता है। खासकर सरकार को उन लोगों के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए जो सेवानिवृत्ति के बाद जीवनभर की जमापूंजी पर आने वाले ब्याज के सहारे जीवनयापन करते हैं। दरअसल, देश के केंद्रीय बैंक की प्राथमिकता विकास दर है, जिसके चलते उद्योग जगत की मांग पर ब्याज दरों में कमी की जा रही है। इसका परिणाम यह है कि बचतकर्ताओं के रिटर्न में कमी आ रही है। आम लोगों की सोच होती है कि बैंक पूंजी रखने के लिहाज से सुरक्षित स्थान है। एक मकसद यह भी होता है कि बैंकों में जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज से हमारी कुल पूंजी बढ़ेगी। ऐसा होना भी चाहिए, लेकिन केंद्रीय बैंक की नीतियों के चलते ऐसा नहीं हो रहा है, जिसकी मूल वजह निगेटिव रिटर्न है। दरअसल, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकार जमा पूंजी के ब्याज से होने वाली आय पर वसूल किये जा रहे आयकर के बारे में पुन: विचार करे। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष के नेतृत्व वाली अर्थशास्त्रियों की टीम ने इस मुद्दे पर सरकार से संवेदनशील व्यवहार की उम्मीद जतायी है। टीम का मानना है कि यदि सभी जमाकर्ताओं को टैक्स में यह छूट नहीं दी जा सकती तो कम से कम सीनियर सिटीजन को यह छूट जरूर मिलनी चाहिए। वे सेवानिवृत्ति के बाद अपनी जीवनभर की जमापूंजी को बैंकों के हवाले करके ब्याज से अपना घर चलाते हैं। इससे आने वाले ब्याज की आय से ही उनके सभी खर्चे चलते हैं। तार्किक बात है कि जब बैंक में जमा राशि पर निगेटिव रिटर्न मिल रहा हो तो जमाकर्ताओं से टैक्स लेना अनुचित ही होगा।