सम्पादकीय

नेपाल की उलझी कथा

Triveni
15 July 2021 3:16 AM GMT
नेपाल की उलझी कथा
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नेपाल के लोकतंत्र की कहानी हर गुजरते वर्ष के साथ इतनी पेचीदा होती गई है कि उसके पेचों को समझना राजनीति के पंडितों के लिए आसान नहीं रहा है।

नेपाल के लोकतंत्र की कहानी हर गुजरते वर्ष के साथ इतनी पेचीदा होती गई है कि उसके पेचों को समझना राजनीति के पंडितों के लिए आसान नहीं रहा है। वहां कब कौन सी संस्था अपना अधिकार जता देगी और कौन नेता किस पाले में चला जाएगा, इसका अनुमान लगाना लगभग असंभव बना रहता है। इस तरह लंबे संघर्ष के बाद नेपाल की जनता ने जो अधिकार हासिल किए और बार-बार कम्युनिस्ट पार्टियों को जनादेश देकर अपनी बेहतरी की जो उम्मीदें संजोयी, उस पर पानी फिरता रहा है। 2018 के आम चुनाव में लोगों ने एक बार फिर एकीकृत हुए कम्युनिस्ट दलों को जनता ने भारी जनादेश दिया था।

लेकिन वे ठीक से दो साल भी शासन नहीं चला सके। उनकी आपसी उठा-पटक ने कम से कम एक साल से देश को राजनीतिक अस्थिरता के दौर में उलझाए रखा है। अब उसमें एक नया पन्ना जुड़ा है, जब नेपाली कांग्रेस नेता शेर बहादुर देउबा सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से देश के प्रधानमंत्री बन गए हैँ। कोर्ट ने भंग हो चुके संसद के निचले सदन- प्रतिनिधि सभा को बहाल कर अगले 12 और 19 नवंबर को होने वाले संसदीय चुनावों को टाल दिया है। इसके साथ ही नया चुनाव का फैसला लेने वाले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के शासनकाल पर परदा गिर गया। और चोर दरवाजे से विपक्षी नेता शेर बहादुर देउबा की प्रधानमंत्री पद पर वापसी हो गई। वापसी इसलिए कि देउबा पहले भी इस पद पर रह चुके हैँ।
अब देश के निर्वाचन आयोग ने कहा है कि संसद बहाल हो गई है, इसलिए नए चुनाव की तैयारियों की कोई जरूरत नहीं है। इसके पहले ओली सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 22 मई को पांच महीनों में दूसरी बार निचले सदन को भंग कर दिया था। उनके इस कदम के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में 30 याचिकाएं दायर की गई थीं। इस घटनाक्रम का जिन गुटों और नेताओं ने स्वागत किया है, उनमें ओली के पूर्व कॉमरेड माधव कुमार नेपाल और पुष्प कमल दहल भी हैं। लेकिन कहानी खत्म हो गई है, ऐसा समझना भूल ही होगी। इसलिए कि सीपीएन-यूएमएल (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल- यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट) के माधव कुमार नेपाल धड़े ने विपक्षी गठबंधन से नाता तोड़ने का फैसला किया है। ऐसे में देउबा को विश्वास मत हासिल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।


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