सम्पादकीय

बात परीक्षा केंद्रों से आगे की

Rani Sahu
13 March 2022 7:04 PM GMT
बात परीक्षा केंद्रों से आगे की
x
संघ लोक सेवा आयोग की विभिन्न परीक्षाओं के लिए शिमला के साथ-साथ मंडी व धर्मशाला में परीक्षा केंद्र खोलने की मंजूरी हासिल करके

संघ लोक सेवा आयोग की विभिन्न परीक्षाओं के लिए शिमला के साथ-साथ मंडी व धर्मशाला में परीक्षा केंद्र खोलने की मंजूरी हासिल करके, राज्य सरकार ने युवाओं की एक पुरानी मांग पूरी की है। परीक्षा केंद्रों की संख्या में बढ़ोतरी से भौगोलिक मांग ही पूरी नहीं हुई, बल्कि राष्ट्रीय स्तर की क्षमता में हिमाचली युवाओं को अपना प्रदर्शन बेहतर करने की सहजता व सरलता दिखाई देगी। यह वित्तीय तौर पर भी महत्त्वाकांक्षी युवाओं के लिए एक आसान तरीका होगा कि वे हर राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं को अपने समीप दे पाएंगे और इससे व्यक्तिगत खर्च में भी कमी आएगी। हिमाचल सरकार इस दिशा में आगे बढ़ते हुए कुछ और प्रयास भी कर सकती है और यह युवा करियर उत्थान से संबोधित होगा, अगर विभिन्न प्रवेश या प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उचित प्रशिक्षण के केंद्र भी स्थापित किए जाएं। जहां तक परीक्षा केंद्रों का सवाल है तो शिमला, मंडी व धर्मशाला में इसके साथ एक स्थायी ढांचा जोड़ा जा सकता है। यानी शिमला विश्वविद्यालय, मंडी विश्वविद्यालय तथा धर्मशाला केंद्रीय विश्वविद्यालय व स्कूल शिक्षा बोर्ड ऐसे परीक्षा केंद्रों का निर्माण करें, जो साल भर प्रतियोगी परीक्षाओं के कोचिंग सेंटर के रूप में भी संचालित हों। इसी परिप्रेक्ष्य में हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड को हर जिला मुख्यालय के सरकारी स्कूल को अपना सहयोगी मॉडल स्कूल बनाना चाहिए।

ये स्कूल आठवीं के बाद एक चयन परीक्षा के आधार पर मैरिट में आए पांच हजार बच्चों के लिए विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने का सबब बन सकते हैं। केवल विज्ञान या डाक्टरी-इंजीनियरिंग के लिए नहीं, बल्कि सभी प्रकार के विषयों के साथ-साथ खेल, संगीत, गीत व कलाओं के क्षेत्र में भी करियर खोज की पायदान बन सकते हैं। हिमाचली छात्रों में नवाचार, वाद-विवाद, विश्लेषण और आलोचनात्मक पठन-पाठन की प्रवृत्ति को जगाने के लिए ऐसे मॉडल स्कूल जरूरी हैं, ताकि प्रथम स्तर पर ही हिमाचली क्षमता का अवलोकन राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय दृष्टि से किया जा सके। हिमाचल में भारी संख्या में बच्चे अब सैन्य, पैरा मिलिट्री, पुलिस व अन्य सुरक्षा बलों की प्रतियोगिता में अपनी शारीरिक क्षमता पर मेहनत करते देखे जा सकते हैं। इन बच्चों को सरकारी ढांचे में प्रश्रय और प्रशिक्षण मिले तो राष्ट्रीय स्तर के रोजगार अवसरों में ये भी चमक सकते हैं। प्रदेश की विभिन्न पुलिस लाइन्स में इस स्तर की सुविधाएं हैं और अगर तमाम पुलिस मैदानों में ऐसे प्रशिक्षण की प्रोफेशनल व्यवस्था की जाए, तो युवा रोजगार की पहेलियां सुलझ जाएंगी। इसी के साथ हिमाचल में डिफेंस स्टडीज कालेज, सामुदायिक कालेज व फिशरीज स्टडी केंद्र के अलावा सैन्य सेवाओं में प्रवेश के लिए एक अकादमी की शुरुआत करनी होगी। प्रदेश सरकार संगीत महाविद्यालय की घोषणा करके साधुवाद बटोर रही है, लेकिन इसके साथ-साथ हिमाचल में परफार्मिंग आर्ट्स के केंद्र विकसित करने होंगे तथा कलाकारों एवं खेल के माहिर लोगों के साथ मिलकर अकादमियां भी चलानी होंगी।
हिमाचल में करियर की उड़ान को कालेज परिसरों के बाहर ऐसे संस्थान चाहिएं, जो ज्ञान, व्यक्तित्व निर्माण और प्रतिस्पर्धी दौर में अव्वल आने के गुण विकसित कर सकें। भविष्य का हिमाचल और हिमाचल के रोजगार का भविष्य जिन वैकल्पिक मार्गों से पैदा होगा, उन्हें चिन्हित करके आगे बढ़ना होगा। स्वरोजगार की मानसिकता में हुनर की तराशी और विश्व की परिस्थितियां पलटने की मंशा के लिए माहौल की ऐसी परिपाटी विकसित करनी होगी जहां हिमाचली युवा स्टार्टअप जैसे जोखिम भरे रास्तों पर चलते हुए सफल हों। बहरहाल प्रदेश सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के लिए कुछ रास्ता आसान किया है। इसके आगे तैयारी को लेकर हिमाचल में लाइब्रेरी की अवधारणा बदलनी होगी। भविष्य के पुस्तकालय अब ऐसा माहौल, उद्बोधन तथा समग्र अध्ययन की कार्यशैली चाहते हैं, जिसके माध्यम से युवा महत्त्वाकांक्षा को समर्थन मिले। बेशक एक डिजिटल लाइब्रेरी की घोषणा हुई है, लेकिन प्रारंभिक दौर में युवाओं की अध्ययन व प्रतियोगी परीक्षाओं की जरूरत को देखते हुए शिमला, मंडी, धर्मशाला व हमीरपुर में नए व व्यापक आधार पर पुस्तकालयों का निर्माण भी लाजिमी हो जाता है।

क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल

Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story