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अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी तय हो जाने के बाद से वहां तालिबान का कब्जा जिस तेजी से बढ़ रहा है, वह चिंताजनक है। खबर है कि अफगानिस्तान के कुल 421 में से एक तिहाई से ज्यादा जिलों पर उनका कब्जा हो चुका है। वे तेजी से आगे बढ़ते आ रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह कि अफगान सेना के जवान तालिबान लड़ाकों का ढंग से सामना भी नहीं कर पा रहे। पिछले तीन दिनों में जिन दस जिलों पर तालिबान का कब्जा हुआ है, उनमें से आठ में कोई लड़ाई नहीं हुई। तालिबान लड़ाकों के डर से बड़ी संख्या में अफगान सेना के जवान सीमा पार कर पड़ोसी देश ताजिकिस्तान भाग गए। अफगान सरकार ने तालिबान से मुकाबले के लिए लोकल मिलिशिया को भी संगठित किया था। लेकिन वे भी अब तक आधे-अधूरे ढंग से ही लड़ते दिखे हैं। ऐसे में इस बात की संभावना कम ही लगती है कि अफगान सेना या लोकल मिलिशिया का कोई ग्रुप अब तालिबान की राह रोक सकेगा। तालिबान प्रवक्ताओं की बातों में भी उनके बढ़े हुए आत्मविश्वास की झलक दिखने लगी है। तालिबान ने कहा है कि समय सीमा समाप्त होने के बाद किसी भी बहाने से विदेशी फौज की कोई टुकड़ी वहां रुकी तो अंजाम के लिए वह खुद जिम्मेदार होगी।
