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- तालिबानी हक नहीं...
दिव्यहिमाचल. अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र की मान्यता को अपना अधिकार माना है। उसके प्रवक्ता जबीहुल्लाह का दावा है कि दुनिया जल्द ही तालिबान की हुकूमत को मान्यता देगी। फिर संयुक्त राष्ट्र उनकी मान्यता से इंकार कैसे कर सकेगा? वैश्विक मान्यता हमारा अधिकार है। तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुतारेस को पत्र लिख कर मान्यता देने का आग्रह भी किया है। यूएन महासभा का सत्र अभी जारी है। महासभा में अफगानिस्तान ही नहीं, म्यांमार के प्रतिनिधि को भी संबोधन-मंच नहीं दिया गया है। पुरानी अफगान सरकार के प्रतिनिधि को भी बोलने की अनुमति नहीं दी गई है। इसके बावजूद तालिबान मान्यता को अपना हक करार दे रहे हैं! पाकिस्तान और चीन सरीखे करीबी और कथित समर्थक देशों ने भी अभी तक तालिबानी अफगानिस्तान को औपचारिक मान्यता नहीं दी है। रूस भी इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान से कतराने लगा है। आतंकवाद से रूस भी डरा हुआ है। यूरोपीय देश तालिबानी हुकूमत को मान्यता नहीं देंगे। इटली के विदेश मंत्री ने स्पष्ट घोषणा की है कि तालिबानी देश को मान्यता देना 'असंभव' है। वहां की कैबिनेट में 17 कुख्यात और यूएन सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित आतंकियों को मंत्री बनाया गया है। विश्व इसे कैसे स्वीकार कर सकता है? यूरोपीय संसद में पाकिस्तान की भूमिका पर ही संदेह करते हुए कई सवाल उठाए गए हैं।