सम्पादकीय

फिर लौटेगा तालिबान राज?

Triveni
12 Oct 2020 4:42 AM GMT
फिर लौटेगा तालिबान राज?
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अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी की संभावनाएं मजबूत होती जा रही हैं। अमेरिका उसकी वापसी कराने की राह तैयार कर रहा है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी की संभावनाएं मजबूत होती जा रही हैं। अमेरिका उसकी वापसी कराने की राह तैयार कर रहा है। हाल में हुई अफगान शांति वार्ता से ये संकेत और मजबूत हुआ। इस बार इस वार्ता को भारत का साथ भी मिला, जो पहले ऐसी किसी संभावना पर कड़ा एतराज जताता था। अक्टूबर 2001 को अमेरिका ने अफगानिस्तान में अल-कायदा को पनाह देने वाले तालिबान के खिलाफ हमला बोला था। ये हमले अमेरिकी में हुए आतंकवादी हमले के कुछ हफ्ते बाद हुए, जिनमें करीब 3,000 लोगों की जान चली गई थी। अब हाल यह है कि इस्लामिक शासन के ढहने के 19 साल बाद तालिबान एक बार फिर सत्ता में लौटने की कोशिश कर रहा है। इसी साल उसने वॉशिंगटन के साथ सेना वापसी पर ऐतिहासिक समझौता किया और फिलहाल अफगान सरकार के साथ शांति समझौता कर रहा है। लेकिन अफगानिस्तान में लोगों के मन में तालिबान को लेकर भय है। उसके शासन का दौर ऐसा था, जब तालिबान व्यभिचार के आरोप में महिलाओं को मौत के घाट उतार देता था, अल्पसंख्यक धर्म के सदस्यों को मार डालता था और उसके आतंकवादी लड़कियों को स्कूल जाने से रोक देते थे। जाहिर है, अफगान आबादी का एक बड़ा हिस्सा तालिबान की वापसी को लेकर चिंतित है।

खासकर वहां की महिलाओं तालिबान का शासन एक बुरे सपने की तरह याद है। तब काबुल की सड़कों पर मामूली अपराध के लिए भी तालिबान शरिया कानून के तहत हाथ और उंगलियां काट देते थे। 2001 के हमले ने युवा अफगानों के लिए कुछ स्थायी सुधारों की शुरुआत की। खास तौर पर लड़कियों के लिए। उन्हें शिक्षा का अधिकार मिला। मगर दोहा में पिछले महीने शुरू हुई शांति वार्ता में तालिबान ने महिला अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी जैसे मुद्दों पर चर्चा नहीं की। वैसे भी तालिबान और अमेरिका में समझौते के बाद तालिबान की हिंसा से यह पता चलता है कि तालिबानी चरमपंथियों में कोई बदलाव नहीं आया है। मगर अमेरिका अब किसी कीमत पर अफगानिस्तान से पीछा छुड़ाना चाहता है। दरअसल, अफगानिस्तान में अमेरिका को हमला करना काफी महंगा पड़ा। अमेरिका को इस युद्ध में अब तक 1 खबर डॉलर खर्च करने पड़े हैं। उसके 2,400 सैनिकों की युद्ध के दौरान मौत हो गई। तो अब उसे अफगान लोगों की कोई चिंता नहीं है। वह उन्हें उनके हाल पर छोड़ देने को तैयार है।

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