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- फिर लौटेगा तालिबान...
खासकर वहां की महिलाओं तालिबान का शासन एक बुरे सपने की तरह याद है। तब काबुल की सड़कों पर मामूली अपराध के लिए भी तालिबान शरिया कानून के तहत हाथ और उंगलियां काट देते थे। 2001 के हमले ने युवा अफगानों के लिए कुछ स्थायी सुधारों की शुरुआत की। खास तौर पर लड़कियों के लिए। उन्हें शिक्षा का अधिकार मिला। मगर दोहा में पिछले महीने शुरू हुई शांति वार्ता में तालिबान ने महिला अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी जैसे मुद्दों पर चर्चा नहीं की। वैसे भी तालिबान और अमेरिका में समझौते के बाद तालिबान की हिंसा से यह पता चलता है कि तालिबानी चरमपंथियों में कोई बदलाव नहीं आया है। मगर अमेरिका अब किसी कीमत पर अफगानिस्तान से पीछा छुड़ाना चाहता है। दरअसल, अफगानिस्तान में अमेरिका को हमला करना काफी महंगा पड़ा। अमेरिका को इस युद्ध में अब तक 1 खबर डॉलर खर्च करने पड़े हैं। उसके 2,400 सैनिकों की युद्ध के दौरान मौत हो गई। तो अब उसे अफगान लोगों की कोई चिंता नहीं है। वह उन्हें उनके हाल पर छोड़ देने को तैयार है।