सम्पादकीय

तालिबानी बर्बरता

Triveni
15 July 2021 1:30 AM GMT
तालिबानी बर्बरता
x
जिस वक्त उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की एटीएस व एसटीएफ टीमें आतंकी संगठन अल-कायदा के नेटवर्क को यहां खंगालने में जुटी हैं,

जिस वक्त उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की एटीएस व एसटीएफ टीमें आतंकी संगठन अल-कायदा के नेटवर्क को यहां खंगालने में जुटी हैं, ठीक उसी समय अफगानिस्तान व पाकिस्तान से आई दो दर्दनाक खबरें बताती हैं कि इस पूरे खित्ते में आतंकवाद की चुनौती फिर कितनी गंभीर हो चली है! अफगानिस्तान में तालिबान ने जहां 20 से ज्यादा निहत्थे अफगान कमांडरों का कत्ल कर दिया, तो वहीं पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा सूबे की एक बस में हुए धमाके में 13 लोगों की मौत हो गई और कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए। मरने वालों में ज्यादातर चीन के नागरिक हैं, जो वहां दासू डैम परियोजना से जुडे़ थे। ये घटनाएं भारतीय सुरक्षा बलों के लिए खतरे की घंटी होनी चाहिए। उन्हें अब कहीं अधिक मुस्तैदी का प्रदर्शन करना होगा, क्योंकि पिछले करीब डेढ़ साल से लॉकडाउन और अन्य पाबंदियों की वजह से दुबके पडे़ दहशतगर्द अब खोल से बाहर आने लगे हैं।

तालिबान की बर्बर वापसी को लेकर पिछले काफी समय से विशेषज्ञ यह आशंका जता रहे थे कि अमेरिकी व नाटो फौजों की वापसी के बाद काबुल के लिए हालात को संभालना कठिन हो जाएगा। और अब जो समाचार वहां से मिल रहे हैं, वे उन आशंकाओं की तस्दीक करते हैं। अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों में तालिबान का दबदबा बढ़ता जा रहा है, तो काबुल में बैठी सरकार शहरी इलाकों को बचाने में जुटी है। यह संघर्ष अगर ज्यादा गहराया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय मूकदर्शक बना रहा, तो वहां की नागरिक सरकार के लिए तालिबान को रोक पाना कठिन होगा। हालात की गंभीरता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ दिनों पहले तालिबान के संघर्ष से डरकर सैकड़ों अफगान सैनिक पड़ोसी देश तजाकिस्तान भाग गए थे और अब तो वहां से नागरिकों का पलायन भी शुरू हो गया है, क्योंकि जिन जिलों पर तालिबान का नियंत्रण हो चुका है, वहां कट्टरपंथी निजाम के कायदे लागू किए जा रहे हैं।
निस्संदेह, यह स्थिति हमारी चिंता अधिक बढ़ाने वाली है। तालिबान और अल-कायदा की दुरभिसंधि तोरा-बोरा की पहाड़ियों के भीतर अब दबी-छिपी नहीं है। पाकिस्तानी फौज और आईएसआई से उसके रिश्ते भी जगजाहिर हो चुके हैं। दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह है कि अपने नागरिकों की जान की कीमत पर भी पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ जंग में ईमानदारी बरतने को तैयार नहीं। ऐसे में, कश्मीर में घुसपैठ के जरिये एक बार फिर भारत में अस्थिरता फैलाने की कोशिशें हो सकती हैं। इसकी आशंका इसलिए भी गहराती है कि जिस 'अंसार गजवत-उल-हिंद' से जुडे़ होने के आरोप में दो लोगों को यूपी एटीएस ने दबोचा है, वह अल-कायदा की ही एक शाखा है और कश्मीर में इसका गहरा नेटवर्क रहा है। बहरहाल, बेलगाम तालिबान सिर्फ भारत के लिए चिंता का मसला नहीं है, चीन के विदेश मंत्री ने जिस तल्ख अंदाज में कल तालिबान को चेतावनी दी है, वह एक संकेत है कि काबुल में उसकी मजबूती बीजिंग के लिए भी सिरदर्दी है। खासकर 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' के जो लड़ाके तालिबान की सरपरस्ती में वहां जमा बताए जा रहे हैं, वे चीन के शिंजियांग सूबे से 100 किलोमीटर से भी कम की दूरी पर एकत्र हैं। इसलिए, यह क्षेत्रीय कूटनीति बढ़ाने के साथ-साथ अपनी सुरक्षा चुनौतियों की गहन पड़ताल का समय है।


Triveni

Triveni

    Next Story