सम्पादकीय

Tajinder Pal Singh Bagga: पुलिस का मनमाना राजनीतिक इस्तेमाल बढ़ता जा रहा

Gulabi Jagat
7 May 2022 7:02 AM GMT
Tajinder Pal Singh Bagga: पुलिस का मनमाना राजनीतिक इस्तेमाल बढ़ता जा रहा
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पंजाब पुलिस ने दिल्ली से भाजपा नेता तेजिंदरपाल सिंह बग्गा को जिस तरह गिरफ्तार किया और फिर
पंजाब पुलिस ने दिल्ली से भाजपा नेता तेजिंदरपाल सिंह बग्गा को जिस तरह गिरफ्तार किया और फिर उनके अपहरण के आरोप के चलते बीच रास्ते में हरियाणा पुलिस ने हस्तक्षेप किया और अंतत: दिल्ली पुलिस वहां जाकर उन्हें अपने साथ ले आई, उसके बाद राजनीतिक जंग छिड़नी ही थी। पता नहीं किस राज्य की पुलिस का पक्ष सही है, लेकिन इसमें दोराय नहीं कि पुलिस का मनमाना राजनीतिक इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। वह सत्तारूढ़ दलों के हथियार के रूप में तब्दील होती जा रही है।
तेजिंदरपाल सिंह बग्गा की गिरफ्तारी एक कथित आपत्तिजनक ट्वीट पर हुई, जो दिल्ली के मुख्यमंत्री के खिलाफ किया गया था। इस मामले में पंजाब पुलिस इस आधार पर सक्रिय हुई कि उक्त ट्वीट के खिलाफ शिकायत पंजाब में की गई। ऐसी शिकायतें होती रहती हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता कि एक राज्य की पुलिस दूसरे राज्य में किसी को गिरफ्तार करने जाए और वहां की पुलिस को न तो सूचना देने की जहमत उठाए और न ही ट्रांजिट रिमांड ले। दिल्ली पुलिस का पंजाब पुलिस पर यही आरोप है। अगर यह सच है तो मामला बेहद गंभीर हो जाता है।
यह अच्छा हुआ कि मामला पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय पहुंच गया। उसे इस मामले का निपटारा इस तरह करना चाहिए कि वह नजीर बने और पुलिस के मनमानेपन की गुंजाइश खत्म हो। यदि यह गुंजाइश बनी रही तो फिर वही होगा, जो गत दिवस हुआ। सत्ता की ओर से पुलिस का दुरुपयोग कोई नई-अनोखी बात नहीं। यह चिंता की बात है कि जब इस दुरुपयोग पर लगाम लगनी चाहिए, तब वह बेलगाम होता दिख रहा है।
सरकारें पुलिस का इस्तेमाल अपने राजनीतिक विरोधियों और आलोचकों को सबक सिखाने में करने लगी हैं। स्थिति यह है कि किसी भी ट्वीट और फेसबुक पोस्ट को आपत्तिजनक बता कर संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस भेज दी जाती है। जिस पुलिस को कानून एवं व्यवस्था को गंभीर चुनौती देने वाले तत्वों के खिलाफ सजग रहना चाहिए, वह अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणियां करने वालों के पीछे पड़ना पसंद करती है। कई बार तो वह ऐसे लोगों को जेल में डालने या बनाए रखने के लिए अतिरिक्त श्रम करती है। जब ऐसा होता है तो कानून के शासन की धज्जियां ही उड़ती हैं।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
Gulabi Jagat

Gulabi Jagat

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