सम्पादकीय

संसद के बजट सत्र का पहले चरण के दौरान सरकार और विपक्ष में नहीं खिंची तलवारें

Gulabi
12 Feb 2022 1:34 PM GMT
संसद के बजट सत्र का पहले चरण के दौरान सरकार और विपक्ष में नहीं खिंची तलवारें
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संसद के बजट सत्र का पहले चरण
Budget Session 2022 संसद के बजट सत्र के पहले चरण में जिस तरह बिना किसी बाधा के कामकाज हुआ, वह एक शुभ संकेत है। यह इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने के बाद भी संसद के दोनों सदन सही तरह चले। इस दौरान न केवल राष्ट्रपति के अभिभाषण पर व्यापक चर्चा हुई, बल्कि आम बजट पर भी। दोनों पक्षों के अनेक नेताओं की ओर से ऐसे वक्तव्य दिए गए, जिससे सार्थक बहस का उद्देश्य पूरा होता हुआ दिखा और उन दिनों का स्मरण भी हो आया, जब संसद में होने वाली बहस सारे देश का ध्यान आकृष्ट करती थी और उससे बहुत कुछ ग्रहण भी करती थी। संसद में होने वाली बहस का बेहतर स्तर लोकतंत्र को परिपक्व बनाने का तो काम करता ही है, देश की समस्याओं के समाधान में भी सहायक बनता है। जहां सार्थक बहस देश को दिशा देने का काम करती है, वहीं हंगामा और शोरगुल लोकतांत्रिक परंपराओं को कमजोर करने का काम करता है।
नि:संदेह बजट सत्र के पहले चरण में लोकसभा और राज्यसभा में पक्ष-विपक्ष में तीखी बहस और नोक-झोंक भी हुई, लेकिन यह कोई असामान्य बात नहीं। लोकतंत्र में ऐसा होता है। समस्या तब होती है, जब पक्ष-विपक्ष में असहमति और तकरार के चलते सदनों की कार्यवाही बाधित हो जाती है। कई बार तो वहां कोई कामकाज होने के बजाय केवल नारेबाजी और हंगामा ही होता रहता है। अतीत में ऐसे कई सत्र देखने को मिले हैं, जब संसद में ढंग से कोई कामकाज ही नहीं हो सका या फिर कई विधेयक बिना किसी चर्चा के ही पारित कराने पड़े। अभी पिछले सत्र में विपक्ष चर्चा में भाग भी नहीं ले रहा था और ऐसे आरोप भी लगा रहा था कि सत्तापक्ष उसकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं।
यह स्वागतयोग्य है कि संसद स्वस्थ बहस की पुरानी परंपरा की ओर लौटती दिख रही है। इसके लिए पक्ष-विपक्ष के साथ लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति की भी प्रशंसा की जानी चाहिए, जिन्होंने दोनों सदनों में ऐसा माहौल उपलब्ध कराया कि सबको अपनी बात कहने का अवसर मिल सका। बजट सत्र का दूसरा चरण 14 मार्च से शुरू होगा। तब तक पांच राज्यों के चुनाव नतीजे आ चुके होंगे। इन नतीजों का पक्ष-विपक्ष पर असर पड़ना स्वाभाविक है, लेकिन इसके चलते संसद का कामकाज प्रभावित नहीं होना चाहिए।
सोर्स : दैनिक जागरण

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