सम्पादकीय

रूस के रवैये से सतर्क हुआ स्वीडन, फिनलैंड भी अपनी तैयारियों में जुटा

Gulabi
7 March 2022 1:39 PM GMT
रूस के रवैये से सतर्क हुआ स्वीडन, फिनलैंड भी अपनी तैयारियों में जुटा
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रूस-यूक्रेन युद्ध की छाया धीरे-धीरे स्वीडन और फिनलैंड की ओर बढ़ती जा रही है
प्रियंवदा सहाय।
रूस-यूक्रेन युद्ध की छाया धीरे-धीरे स्वीडन और फिनलैंड की ओर बढ़ती जा रही है। हालांकि, स्वीडन में अभी तक शांति है लेकिन सरकार सतर्क है और भविष्य की रणनीति पर गंभीर मंथन जारी है। वहीं फिनलैंड भी अपनी सैन्य व्यवस्था से जुड़ी जरूरी तैयारियों में जुट चुका है। दोनों देश अपने स्तर पर पड़ोसी देशों के साथ सहयोग वार्ता भी कर रहे हैं।
दो दिन पहले दोनों देशों के प्रधानमंत्री की बैठक इस बात का संकेत है कि वे हमले की आशंका को भांपते हुए अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं। दोनों देशों की प्रधानमंत्री इस बात पर सहमत दिखीं कि अगर रूस यहां हमला करता भी है तो उसे पुरजोर जवाब के लिए तैयार रहना होगा। भले ही दोनों देश अभी नाटो में शामिल नहीं हो रहे लेकिन यह तैयारी जरूर कर लेना चाहते हैं कि युद्ध की परिस्थिति बनने पर बिना समय गंवाए नाटो में शामिल हुआ जा सके। इन दोनों देशों के सैन्य प्रमुख भी एकजुट होकर आपातकालीन तैयारी कर रहे हैं।
दरअसल, पिछले हफ्ते चार रूसी लड़ाकू विमानों के स्वीडन के एयर स्पेस में बेखौफ प्रवेश करने के बाद यहां का माहौल काफी बदला हुआ है। इस घटना को रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, ये विमान चंद मिनटों के लिए ही स्वीडन की सीमा के अंदर थे लेकिन इस घटना को यहां की सरकार और सेना दोनों ही गंभीरता से ले रही है। यह मामला गंभीर इसलिए भी है क्योंकि रूसी लड़ाकू विमान स्वीडन हवाई सीमा में उस वक्त नजर आए जबकि बाल्टिक सागर में स्वीडन- फिनलैंड का संयुक्त सैन्य अभ्यास चल रहा था।
स्वीडिश आर्म्ड फोर्स ने अपने बयान में कहा कि नॉर्डिक देशों के हवाई क्षेत्रों में रूसी घुसपैठ की घटना लगातार होती रहती है। लेकिन हालिया घुसपैठ की घटना की जांच रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनज़र हो रही है। सेना के शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि इस घटना की बारीकी से जांच की जा रही है। हमें सचेत रहने की जरूरत है। रूसी प्रतिनिधि को इस बाबत स्वीडिश सरकार समन जारी करेगी।उन्हें इस संदर्भ में तलब किया जा सकता है।
मसलन साइबर अटैक सेबचाव की पुख्ता व्यवस्था के साथ यूक्रेन से आने वाले शरणार्थियों के लिए भी उचित व्यवस्था शुरू हो चुकी है।
वहीं, ब्रिटेन ने स्वीडन को यह आश्वस्त कर दिया है कि अगर रूस उस पर हमला करता है तो ब्रिटेन सहायता करेगा। स्वीडन के हितैषियों की सूची में जल्द ही कुछ और देशों के नाम भी जुड़ने की उम्मीद है। दूसरे पड़ोसी देश भी अब खुलकर रूस के खिलाफ अपनी एकजुटता दिखाएंगे और जरूरत पड़ने पर स्वीडन की मदद करेंगे।
बहरहाल, आम जनता इस खबर से घबराई हुई जरूर है। पिछले एक हफ्ते के अंदर स्वीडन और फिनलैंड की जनता के बीच एक सर्वे कराया गया कि कितने लोग इन दोनों देशों के नाटो में शामिल होने के पक्ष धर हैं। यह पता चला कि रूस के रूख को देखते हुए देश की बहुसंख्यक आबादी नाटो में शामिल होने की पक्षधर है। माना जा रहा है कि रूसी लड़ाकू विमानों का स्वीडिश सीमा में घुसना एक सुनियोजित घटना है। रूस यह संदेश देना चाहता है कि स्वीडन का यूक्रेन के साथ खड़े रहना उसे पसंद नहीं है। स्वीडन से यूक्रेन को मिल रही आर्थिक सहायता और सैन्य मदद रूस को नागवार गुजर रहा है। आपको बता दूं कि स्वीडन ने 1939 के बाद पहली दफा किसी देश को युद्ध में सैन्य सहायता दे रहा है। शायद यही वजह है कि रूस, स्वीडन से नाराज चल रहा है।
वस्तुस्थिति को भांपते हुए स्वीडन की प्रधानमंत्री माग्देलना एंडरसन ( Magdalena Andersson) ने भी सेना को शस्त्र सज्जित रहने का इशारा कर दिया है। एक सांझा प्रेस कांफ्रेंस कर स्वीडन और फिनलैंड की प्रधानमंत्री ने यह बताया है कि दोनों देश अपने सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करेंगे। साथ ही नाटो के साथ बातचीत को भी मजबूत बनाया जाएगा। फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन (Sanna Marin) ने कहा कि मौजूदा हालात में दोनों देशों को अपनी सुरक्षा व्यवस्था और भी चौकस करने की जरूरत है। इसी दिशा में दोनों देशों के प्रधानमंत्री और शीर्ष अधिकारी बातचीत कर रहे है। वहीं स्वीडन की प्रधानमंत्री मैगदेलेना एंडरसन (Magdalena Andersson) ने कहा कि उनकी फिनलैंड यात्रा दोनों देशों के बीच तालमेल बढ़ाने की दिशा में उठाया गया कदम है।
उन्होंने कहा कि वेस्वीडन पर तत्काल सैन्य खतरे को नहीं देख रही हैं। जबकि फिनलैंड की प्रधानमंत्री में भी तत्काल किसी सैन्य खतरे से इंकार कर दिया। लेकिन भविष्य की आशंकाओं को देखकर किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहने की ओर इशारा जरूर किया है। यह भी महत्वपूर्ण है कि इन सब के बीच स्वीडन में नगरपालिकाओं को आपातकालीन प्रबंधन के लिए तैयार भी किया जा रहा है। मसलन साइबर अटैक से बचाव की पुख्ता व्यवस्था के साथ यूक्रेन से आने वाले शरणार्थियों के लिए भी उचित व्यवस्था शुरू हो चुकी है। वहीं, स्वीडिश मीडिया युद्ध की स्थिति बनने पर नागरिकों के लिए जरूरी जानकारी, तैयारी और नियम कायदे के बारे में निरंतर लिखना भी शुरू कर चुकी है। यह आम नागरिकों को मानसिक रूप से विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार करने का प्रयास माना जा सकता है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए जनता से रिश्ता उत्तरदायी नहीं है।
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