सम्पादकीय

सतत विकास लक्ष्य: 2030 तक भुखमरी, गरीबी तथा लैंगिक विषमता को शून्य स्तर तक लाना

Gulabi Jagat
6 July 2021 5:58 AM GMT
सतत विकास लक्ष्य: 2030 तक भुखमरी, गरीबी तथा लैंगिक विषमता को शून्य स्तर तक लाना
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सतत विकास लक्ष्य

सुधीर कुमार। हाल में नीति आयोग ने सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) भारत सूचकांक 2020-21 जारी किया है। इसके जरिये संयुक्त राष्ट्र द्वारा लक्षित सतत विकास लक्ष्य-2030 को हासिल करने की दिशा में भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति की निगरानी की जाती है। सूचकांक में लगातार तीसरे वर्ष केरल शीर्ष, जबकि बिहार, झारखंड और असम निचले पायदान पर हैं।

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2015 में अनुमोदित सतत विकास लक्ष्य एजेंडे के तहत 17 मुख्य तथा 169 सहायक लक्ष्य निर्धारित किए गए थे। इसका मकसद अधिक संपन्न, समतावादी तथा संरक्षित भविष्य की रचना करने के लिए 2030 तक भुखमरी, गरीबी तथा लैंगिक विषमता को शून्य स्तर तक लाना तथा बेहतर स्वास्थ्य, स्वच्छ पेयजल, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सभी नागरिकों की समान पहुंच को सुनिश्चित करना है। भारत सहित दुनिया के 193 देशों द्वारा सतत विकास की अवधारणा को अपने देश में लागू करने का प्रयास किया जा रहा है।
आज सततपोषणीय या धारणीय या टिकाऊ विकास पर इसलिए बल दिया जा रहा है, क्योंकि आर्थिक उन्नति की उत्तरोत्तर प्रक्रिया में सामाजिक हाशियाकरण और क्षीण होते पर्यावरण का मुद्दा पीछे छूटता चला गया है। संसाधनों के असमान बंटवारे ने गरीबी और अमीरी की खाई को और अधिक विस्तृत किया है। पीढ़ी दर पीढ़ी उपलब्ध संसाधनों की मात्र क्रमश: घटती जा रही है। इन समस्याओं का समाधान सतत विकास की अवधारणा में निहित है, जिसकी जरूरत आज पूरी दुनिया में महसूस की जा रही है।
1987 की ब्रंटलैंड आयोग के अनुसार, 'विकास ऐसा होना चाहिए, जो वर्तमान की जरूरतों की पूíत इस प्रकार करे, जिससे भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता पर असर न हो।' दरअसल सतत विकास संसाधनों के उपभोग का ऐसा मॉडल है, जो आवश्यकता के अनुसार संसाधनों के बुद्धिमत्तापूर्ण उपभोग पर बल देता है। इस अवधारणा में सबको साथ लेकर चलने तथा पर्यावरण को भी स्वच्छ रखने का भाव समाहित है। सतत विकास लक्ष्य को हासिल करने में भारत विशिष्ट भूमिका निभा सकता है।
भारत में प्राचीन काल से ही सतत विकास की अवधारणा किसी न किसी रूप में प्रचलित रही है। महावीर के पंच महाव्रत के अंतर्गत अपरिग्रह का सिद्धांत तथा महात्मा गांधी द्वारा दी गई मितव्ययिता की सीख में भी सतत विकास का आत्मा निहित रहा है। वहीं मोदी सरकार के सबका साथ, सबका विकास के ध्येय ने सतत एवं समावेशी विकास को बल प्रदान किया है। प्रदूषण नियंत्रण, नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग में वृद्धि, भूमि क्षरण पर रोक, जलस्नेतों को गंदा होने से बचाकर तथा जागरूकता फैलाकर हम भी सतत विकास की महत्वपूर्ण कड़ी बन सकते हैं।

(लेखक बीएचयू में अध्येता हैं)
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