सम्पादकीय

किराए की कोख

Subhi
20 Dec 2021 2:03 AM GMT
किराए की कोख
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किसी भी दंपति के लिए संतान का सुख जीवन का सबसे बड़ा सुख माना गया है। मगर बहुत सारे लोग किसी जैविक या चिकित्सीय कारणों से संतोनोत्पत्ति में नाकाम साबित होते हैं।

किसी भी दंपति के लिए संतान का सुख जीवन का सबसे बड़ा सुख माना गया है। मगर बहुत सारे लोग किसी जैविक या चिकित्सीय कारणों से संतोनोत्पत्ति में नाकाम साबित होते हैं। ऐसे लोगों के लिए दत्तक और नियोग जैसी प्रथाएं समाज में कायम थीं। पर कई लोग अपनी जैविक संतान चाहते हैं। इसलिए सरोगेसी यानी किराए की कोख से अपना बच्चा पैदा करने का प्रावधान बनाया गया। यानी कोई दंपति चाहे तो चिकित्सीय मदद से किसी अन्य महिला के गर्भ से अपने बच्चे को जन्म दे सकता है।

चिकित्सा विज्ञान ने अब इसे बहुत आसान और सुरक्षित बना दिया है। इसलिए दुनिया भर में सरोगेसी का चलन बढ़ा है। मगर हमारे यहां इसे लेकर नियम-कायदे सख्त न होने की वजह से लंबे समय से देखा जा रहा है कि कई लोग किराए की गोद पाने के लिए महंगा सौदा करते हैं। खासकर विदेशी जोड़े गरीब महिलाओं को बड़ी रकम देकर इसके लिए तैयार कर लेते हैं। अगर कोई महिला अपनी मर्जी से किसी दंपति के बच्चे को अपने गर्भ में पालने को तैयार हो जाए, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। मगर ऐसी शिकायतें बड़े पैमाने पर मिलीं कि कई विदेशी जोड़े किराए की कोख से अपनी संतान तो पैदा कर लेते हैं, पर लिंगभेद के चलते उन्हें अपनाने से इनकार कर देते हैं। फिर उस बच्चे को पैदा करने वाली मां के लिए उसे पालना कठिन हो जाता है।
इन्हीं उलझनों और शिकायतों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने सरोगेसी कानून में बदलाव किया है। अब किराए की गोद को लेकर नियम-कायदे सख्त कर दिए गए हैं। इसके लिए वही दंपति योग्य माने जाएंगे, जिनकी शादी को कम से कम पांच साल हो चुके हों और उनकी उम्र पच्चीस से पचपन साल के बीच हो। जिस महिला की कोख किराए पर ली जाएगी, वह जान-पहचान की होनी चाहिए। उसका शदीशुदा और कम से कम एक बच्चे की मां होना अनिवार्य है। इसमें तलाकशुदा, एकल माता-पिता और विदशी जोड़ों को बाहर रखा गया है।
वे भारत में सरोगेसी का लाभ नहीं उठा सकते। इस तरह सरकार का मानना है कि कोख का सौदा बंद होगा और गरीब महिलाओं को लालच देकर बच्चा पैदा करने को तैयार नहीं किया जा सकेगा। किराए पर कोख देने वाली महिला का सिर्फ चिकित्सीय खर्च देय होगा। फिर इसके लिए चिकित्सालयों की जवाबदेही तय करने के लिए भी कानून में कड़े उपाय किए गए हैं। उन मानकों का पालन न करने वाले चिकित्सालयों पर दंड और भारी जुर्माने का प्रावधान है। माना जा रहा है कि इससे सरोगेसी को लेकर मनमानी पर रोक लगेगी।
मगर इस कानून का कुछ संगठन और सांसद विरोध भी कर रहे हैं। यह कानून पिछले यानी मानसून सत्र में ही लोकसभा में पारित हो गया था, राज्यसभा में अब पास हुआ है। इसके विरोध में आवाज उठाने वालों का कहना है कि इस कानून में नियम इतने कठोर बना दिए गए हैं कि बहुत सारे दंपति किराए की कोख का लाभ नहीं उठा पाएंगे। इसका नतीजा यह भी होगा कि चोरी-छिपे यानी गैरकानूनी तरीके से सरोगेसी का धंधा फले-फूलेगा। यह शंका निर्मूल नहीं कही जा सकती। जब इस कानून का स्वरूप लचीला था, तब भी चोरी-छिपे किराए की कोख का धंधा चल रहा था, अब वह बंद हो जाएगा, इसका कोई उपाय कानून में नहीं दिखाई देता। इस पहलू पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत होगी।

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