- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- फालतू की याचिका: हाई...
इससे बेहतर और कुछ नहीं कि दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के निर्माण कार्य पर रोक लगाने की मांग करने वाली फालतू की याचिका को न केवल खारिज कर दिया, बल्कि याचिकाकर्ताओं पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह हर लिहाज से एक शरारत भरी याचिका थी और इसका मकसद प्रचार पाना, लोगों और यहां तक कि न्यायपालिका को गुमराह कर यह माहौल बनाना था कि इस परियोजना की कोई आवश्यकता नहीं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट इस परियोजना को हरी झंडी दिखा चुका था, लेकिन फुरसती किस्म के याचिकाबाज तब भी नहीं माने। वे दिल्ली हाई कोर्ट जा पहुंचे। वहां उनकी ओर से इस तरह की वाहियात दलीलें दी गई कि सेंट्रल विस्टा तो नाजियों के यातना केंद्रों जैसा है। यह बकवास तब की जा रही थी, जब ऐसी सूचना दूर-दूर तक नहीं थी कि इस परियोजना के निर्माण कार्य में लगे मजदूरों की अनदेखी हो रही है या फिर उनके बीच कोरोना संक्रमण फैल रहा है। एक तरह से झूठ के पैर लगाने का काम बड़ी बेशर्मी के साथ किया जा रहा था।