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देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक 54 चीनी मोबाइल एप्स को गृह मंत्रालय की सिफारिश पर आईटी मंत्रालय ने बैन कर दिया है
देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक 54 चीनी मोबाइल एप्स को गृह मंत्रालय की सिफारिश पर आईटी मंत्रालय ने बैन कर दिया है. पिछले कुछ वर्षों से भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों विशेषतौर पर अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में चीन की बढ़ती अनधिकृत गतिविधियां, अफगानिस्तान में तालिबान के साथ चीन के सामरिक गठजोड़ और मध्य एशिया में यूक्रेन संकट के बीच, भारत की यह सर्जिकल स्ट्राइक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद अहम है.
दो साल पहले चार अलग-अलग आदेशों से लगभग 267 चीनी एप्स पर भारत ने प्रतिबंध लगाया था. पहले राउंड में जून 2020 में 59, जुलाई 2020 में 47, सितंबर 2020 में 118 और नवंबर 2020 में 43 चीनी एप्स पर भारत ने प्रतिबंध लगाया था. पुराने आदेशों से टिकटॉक, पब्जी, यूसी ब्राउजर, वीचैट और कैम स्कैनर जैसे एप्स पर बैन लगा था. नए आदेश से ब्यूटी कैमराः स्वीट सेल्फी एचडी, ब्यूटी कैमराः सेल्फी कैमरा, राइज ऑफ किंग्सडम्सः लॉस्ट क्रुसेड, वीवा वीडियो एडिटर, टेंसेंट एक्सराइवर जैसे लोकप्रिय ऐप बैन हो गए हैं.
इनके अलावा गेरेना फ्री फायर- इल्युमिनेट, एस्टाक्राफ्ट, फैंसीयू प्रो, मूनचैट, बारकोड स्कैनर-क्यूआर कोड स्कैन और लीका कैम भी अब भारत में प्रतिबंधित हो गए हैं. सरकारी आदेश के प्रभावी पालन के लिए गूगल और एप्पल के प्लेटफॉर्म से इन सभी चीनी एप्स को बाहर करना भी जरूरी है. प्रतिबंधित चीनी एप्स का डाटा भी क़ानून के तहत भारत में जब्त किया जाए तो जनता की प्राइवेसी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को भी बेहतर तरीके से सुरक्षित किया जा सकेगा.
सरकारी आदेश में चीन का उल्लेख नहीं
अलीबाबा और बाइट डांस जैसी बड़ी चीनी कंपनियों के मालिकाना हक वाले कई एप्स बैन के बाद नाम बदलकर और जानकारियां छिपाकर भारत में फिर से सक्रिय हो रहे थे, इसलिए नया आदेश पारित करना जरूरी हो गया था. नए आदेश के बाद अभी तक लगभग 321 चीनी एप्स पर भारत में प्रतिबन्ध लग चुका है. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि सरकारी आदेश में चीनी एप्स पर बैन की कोई बात नहीं कही गई है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की सिफारिश पर आईटी मंत्रालय द्वारा आईटी एक्ट की धारा 69 ए के तहत यह आदेश अंतरिम है. प्रभावित पक्षों की सुनवाई के बाद सरकार की समिति की मुहर के बाद ही यह आदेश फाइनल माना जाएगा. नए आईटी नियमों के तहत बकाया चीनी एप्स को भारत में शिकायत अधिकारी, कंप्लायंस अधिकारी और नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए बाध्य करना चाहिए.
इससे चीनी एप्स के स्वामित्व और डाटा संग्रहण की सही जानकारी सरकारी एजेंसियों के पास आ सकेगी. इसके लिए सरकार के साथ जनता, विशेष तौर पर स्मार्ट फ़ोन इस्तेमाल करने वाले युवाओं को पूरा सहयोग करना होगा, तभी चीन के डिजिटल साम्राज्यवाद के खिलाफ भारत की यह सर्जिकल स्ट्राइक सफल होगी.
देश की एकता अखंडता को चीनी एप्स से खतरा
सरकार ने चीनी एप्स को भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा के साथ सार्वभौमिकता के लिए बड़ा खतरा बताया है. जिस तरीके से चीनी सेना छलबल से भारत की सीमा पर घुसपैठ करने में तुली है, उसी तर्ज़ पर चीनी एप्स कपट वेश में भारत की सुरक्षा के साथ समाज और अर्थव्यवस्था के लिए बेहद खतरनाक हो गए हैं. गैर कानूनी तरीके से चल रहे चीनी एप्स के माध्यम से करोड़ों भारतीयों के मोबाइल का पूरा डाटा चीनी कंपनियों के पास चला जाता है.
चीनी कंपनियां और जासूस फोन की लोकेशन जानने के साथ माइक्रोफोन चालू करके करोड़ों भारतीयों और सरकारी अधिकारियों के संवाद और बातचीत का पूरा ब्यौरा जान सकते हैं. इनमें से कई एप्स पायरेटेड फिल्म दिखाकर भारत के बौद्धिक संपदा कानून का उल्लंघन करने के साथ सरकारी राजस्व और देश की अर्थव्यवस्था को भारी चूना लगाते हैं. कई चीनी एप्स लोन के नाम पर धोखा देकर गरीब जनता को जानलेवा तरीके से ठग रहे हैं, जिनके खिलाफ रिज़र्व बैंक सख्त कारवाई कर रहा है.
डाटा के कारोबारी इस्तेमाल पर यूरोप में प्रतिबन्ध और भारत में डाटा स्थानीयकरण
इन्टरनेट कंपनियां और एप्स को कानून की भाषा में इंटरमीडयरी कहा जाता है. दो साल पहले जब चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगा था उस समय फेसबुक के मुखिया मार्क जकरबर्ग ने चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि ऐसी मनमानी कार्रवाई से आगे चलकर फेसबुक जैसी अन्य कंपनियों के खिलाफ भी भारत सरकार कार्रवाई कर सकती है. यूरोप के नए घटनाक्रम से जाहिर है की मार्क की चिंता गैर वाजिब नहीं है.
यूरोप में जनरल डाटा प्रोटक्शन रेगुलेशन (जीडीपीआर) के तहत नए नियमों के अनुसार डाटा प्रोटक्शन अथॉरिटी, निजी सूचनाओं या डाटा के अमेरिका में ट्रान्सफर की जांच करेगी. अगर इस क़ानून का उल्लंघन हुआ तो तो टेक कंपनियों को भारी जुर्माने में वैश्विक आमदनी का 4 फीसदी हर्जाने के तौर पर देना पड़ सकता है. यूरोप के नए कानून से प्राइवेसी के अधिकार और डेटा सुरक्षा का पूरा परिदृश्य बदल रहा है.
भारत डिजिटल का सबसे बड़ा बाजार है. सरकार को डाटा सुरक्षा क़ानून जल्द बनाने के साथ डिजिटल कंपनियों की आमदनी पर टैक्स वसूली का सख्त कानूनी सिस्टम बनाने की जरूरत है. इससे चीन के अलावा अन्य विदेशी एप्स को भारत में डाटा लोकलाइजेशन करना पड़ेगा. इससे अर्थव्यवस्था के विकास के साथ युवाओं के लिए रोजगार भी बढ़ेंगे.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
विराग गुप्ता एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट
लेखक सुप्रीम कोर्ट के वकील और संविधान तथा साइबर कानून के जानकार हैं. राष्ट्रीय समाचार पत्र और पत्रिकाओं में नियमित लेखन के साथ टीवी डिबेट्स का भी नियमित हिस्सा रहते हैं. कानून, साहित्य, इतिहास और बच्चों से संबंधित इनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं. पिछले 4 वर्ष से लगातार विधि लेखन हेतु सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा संविधान दिवस पर सम्मानित हो चुके हैं. ट्विटर- @viraggupta.
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