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- सुप्रीम कोर्ट की चिंता...
सच कहूं, देश की सबसे बड़ी सर्वोच्च अदालत ने पुलिस की गिरफ्तारियों पर चिंता व्यक्त की है। शीर्ष अदालत ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता को संवैधानिक जनादेश का एक महत्वपूर्ण पहलू मानते हुए कहा है कि जब आरोपी जांच में सहयोग कर रहा हो और यह मानने का कोई कारण नहीं है कि वह फरार हो जाएगा या उसे प्रभावित करेगा तो गिरफ्तारी को रूटीन तरीका नहीं बनाना चाहिए। इसकी ताजा मिसाल गत दो दिन पूर्व पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी की गिरफ्तारी की है। सुमेध सैनी किसी मामले में विजीलेंस के समक्ष पेश हुए थे। विजीलेंस ने बिना देरी किए सैनी को गिरफ्तार कर लिया। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले को सख्ती से लिया और गिरफ्तारी को गलत करार दिया। दरअसल ऐसे मामलों में राजनीतिक प्रतिशोध की बू आती है। किसी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने या सबक सिखाने के लिए पुलिस को मोहरा बना लिया जाता है। प्रतिशोध की यह भावना राजनीतिक मंचों से अक्सर उठती रही है, जब नेता 'हमारी सरकार में बख्शेंगे नहीं' जैसी बयानबाजी देते हैं।
इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं, इसमें जनता से रिश्ता ने कोई एडिट नहीं किया है।