सम्पादकीय

हथियारों से खेलती महाशक्तियां

Subhi
26 Oct 2022 5:02 AM GMT
हथियारों से खेलती महाशक्तियां
x
ये चुनी हुई सरकार को गिरा कर देश की सत्ता पर सेना के साथ अपना नियंत्रण चाहते हैं। अगर ऐसा हो जाता है और परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ लग जाते हैं, तो तय है कि पाकिस्तान को दुनिया के लिए खतरनाक देश बनने में देर नहीं लगेगी।

प्रमोद भार्गव: ये चुनी हुई सरकार को गिरा कर देश की सत्ता पर सेना के साथ अपना नियंत्रण चाहते हैं। अगर ऐसा हो जाता है और परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ लग जाते हैं, तो तय है कि पाकिस्तान को दुनिया के लिए खतरनाक देश बनने में देर नहीं लगेगी।

पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चिंता जताते हुए कहा कि परमाणु हथियार संपन्न पाकिस्तान दुनिया का सबसे खतरनाक देश है। भारत ऐसा अनेक बार कह चुका है। इस चेतावनी के बावजूद बाइडेन ने यह स्पष्ट नहीं किया कि इस वाजिब चिंता को दूर करने के लिए अमेरिका क्या कदम उठाएगा। जब तक इस चिंता को दूर करने के लिए कोई पहल नहीं की जाएगी, ऐसे बयानों का कोई नतीजा निकलने वाला नहीं है।

वैसे अमेरिका का यह बयान कुटिल चतुराई लगता है, क्योंकि हाल ही में उसने पाकिस्तान को सोलह लड़ाकू विमान और उनके रखरखाव के लिए पैंतालीस करोड़ डालर की आर्थिक मदद की है। 2018 के बाद से यह पाकिस्तान को की गई सबसे बड़ी मदद है। जबकि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद पर यह कह कर रोक लगा दी थी कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की लड़ाई में कोई सहायता नहीं कर रहा है। दरअसल, बाइडेन ने यह मदद देकर भारत के संदर्भ में जले पर नमक छिड़कने का काम किया है।

बाइडेन ने यह बयान लास एंजिलिस में डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों को संबोधित करते हुए चीन, रूस और पाकिस्तान से जुड़ी समस्याओं को अमेरिका की विदेश नीति के समक्ष तीन चुनौतियों के रूप में पेश किया। उन्होंने कहा कि शी जिनपिंग को मालूम है कि वे क्या चाहते हैं, लेकिन उनके साथ कई तरह की समस्याएं भी हैं। मुझे लगता है कि पाकिस्तान दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है, जिसके पास परमाणु हथियार हैं और वहां कोई सामंजस्य नहीं है।

बाइडेन ने चीन की तरफ से अमेरिका को मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा और यूक्रेन-रूस संकट से उपजे वैश्विक हालात को भी रेखांकित किया। दरअसल, हाल ही में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने परमाणु युद्ध की परोक्ष धमकी दी है। इधर पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर भारत समेत कई पश्चिमी देश चिंता जता चुके हैं। उन्हें आशंका है कि पाकिस्तानी परमाणु हथियार कहीं आतंकियों और जिहादियों के हाथ लग गए, तो संकट खड़ा हो सकता है।

परमाणु हथियारों पर नजर रखने वालों की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास इस समय 140 से 150 परमाणु हथियार हैं। अगर परमाणु अस्त्र निर्माण की उसकी यही गति जारी रही तो 2025 तक इनकी संख्या बढ़ कर 220 से 250 हो जाएगी। इस तरह पाकिस्तान दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा परमाणु हथियार संपन्न देश हो जाएगा। अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआइए के पूर्व वरिष्ठ खुफिया अधिकारी केविन हलबर्ट ने भी कहा कि पाकिस्तान दुनिया के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक देशों में से एक है।

पाकिस्तान की यह खुंखार और डरावनी सूरत इसलिए बन गई है, क्योंकि तीन तरह के जोखिम इस देश में बढ़ रहे हैं। आतंकवाद, ढह रही अर्थव्यवस्था और परमाणु हथियारों का जरूरत से ज्यादा भंडारण। आर्थिक संकट के ऐसे ही बदतर हालात से उत्तर कोरिया भी जूझ रहा है। ये दोनों देश भारत और अमेरिका पर परमाणु हमला करने की धमकी देते रहते हैं।

पाकिस्तान दुनिया के लिए खतरनाक देश हो या न हो, लेकिन भारत के लिए जरूर है। दशकों से वह भारत पर हमला करने के लिए आतंकियों का इस्तेमाल करता रहा है। मुंबई और संसद पर हमले के सरगना दाऊद और हाफिज सईद को पाक ने शरण दे रखी है। इसके अलावा वह कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ करा कर भारत की नाक में दम किए हुए है।

हालांकि पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को संरक्षण देने के उपाय अब उसके लिए भी संकट बन रहे हैं। वहां आतंकी संगठनों का संघर्ष शिया बनाम सुन्नी अतिवाद में तब्दील होने लगा है। इससे पाक में अंतर्कलह और अस्थिरता बढ़ी है। बलूचिस्तान और सिंध प्रांत में इन आतंकियों पर नियंत्रण के लिए सैन्य अभियान चलाने पड़े हैं। बावजूद इसके, पाकिस्तान की एक बड़ी आबादी सेना और खुफिया तंत्र तालिबान, अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी गुटों को खतरनाक नहीं मानते। इन आतंकियों को 'अच्छे सैनिक' माना जाता है, जो धर्म के लिए अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं।

आज पाकिस्तान में लश्कर-ए-झांगवी, पाकिस्तानी तालिबान, अफगान तालिबान और कुछ अन्य आतंकवादी गुट पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार के लिए चुनौती बन गए हैं। ये चुनी हुई सरकार को गिरा कर देश की सत्ता पर सेना के साथ अपना नियंत्रण चाहते हैं। अगर ऐसा हो जाता है और परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ लग जाते हैं, तो तय है कि पाकिस्तान को दुनिया के लिए खतरनाक देश बनने में देर नहीं लगेगी। इस नाजुक परिस्थिति में सबसे ज्यादा जोखिम भारत को उठाना होगा।

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए थे। इन बमों से हुए विस्फोट और उसके रेडियोधर्मी विकिरण के कारण लाखों लोग मरे और हजारों लोग अनेक वर्षों तक लाइलाज बीमारियों की गिरफ्त में रहे। विकिरण प्रभावित क्षेत्रों में दशकों तक अपंग बच्चे पैदा होते रहे। तब आणविक हथियार निर्माण की प्रारंभिक अवस्था में थे, पर तब से लेकर अब तक परमाणु हथियार निर्माण की दिशा में बहुत प्रगति हो चुकी है। लिहाजा, अब इन हथियारों का इस्तेमाल होता है तो बर्बादी की विभीषिका हिरोशिमा और नागासाकी से कहीं ज्यादा भयावह होगी। इसलिए कहा जा रहा है कि आज दुनिया के पास इतनी बड़ी मात्रा में परमाणु हथियार हैं कि समूची धरती को एक बार नहीं, अनेक बार नष्ट किया जा सकता है।

जापान के आणविक विध्वंस से विचलित होकर ही 9 जुलाई, 1955 को अलबर्ट आइंस्टीन और प्रसिद्ध ब्रिटिश दार्शनिक बर्ट्रेंड रसेल ने संयुक्त विज्ञप्ति जारी करके आणविक युद्ध से फैलने वाली तबाही की ओर इशारा करते हुए शांति के उपाय अपनाने का संदेश देते हुए कहा था, 'यह तय है कि तीसरे विश्व-युद्ध में परमाणु हथियारों का प्रयोग निश्चित किया जाएगा। इस कारण मनुष्य जाति के लिए अस्तित्व का संकट पैदा हो जाएगा, मगर चौथा विश्वयुद्ध लाठी और पत्थरों से लड़ा जाएगा।' इस विज्ञप्ति में यह भी कहा गया था कि जनसंहार की आशंका वाले सभी हथियारों को नष्ट कर देना चाहिए।

तय है, भविष्य में दो देशों के बीच हुए युद्ध की परिणति अगर विश्व-युद्ध में बदलती है और परमाणु हमले शुरू हो जाते हैं तो हालात कल्पना से कहीं ज्यादा डरावने होंगे। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस भयावहता का अनुभव कर लिया था, इसीलिए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में आणविक अस्त्रों के समूल नाश का प्रस्ताव रखा था। मगर परमाणु महाशक्तियों ने इस प्रस्ताव में कोई रुचि नहीं दिखाई, क्योंकि परमाणु प्रभुत्व में ही उनकी शक्ति अंतनिर्हित है। अब तो परमाणु शक्ति संपन्न देश, कई देशों से असैन्य परमाणु समझौते करके यूरेनियम का व्यापार कर रहे हैं। परमाणु ऊर्जा और स्वास्थ्य सेवा की ओट में ही कई देश परमाणु-शक्ति से संपन्न देश बने हैं और हथियारों का जखीरा इकट्ठा करते जा रहे हैं।

दुनिया में फिलहाल नौ परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं- अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन, ब्रिटेन, भारत, पाकिस्तान, इजराइल और उत्तर कोरिया। इनमें अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन और ब्रिटेन के पास परमाणु बमों का बड़ा भंडार है। हालांकि ये पांचों देश परमाणु अप्रसार संधि में शामिल हैं। इस संधि का मुख्य उद्देश्य परमाणु हथियार और इसके निर्माण की तकनीक को प्रतिबंधित रखना है। हालांकि ये देश इस मकसद को पूरा नहीं कर पाए। पाकिस्तान ने ही तस्करी के जरिए उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार निर्माण तकनीक हस्तांतरित की और वह आज परमाणु शक्ति संपन्न नया देश बन गया है।

Next Story