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Vijay Garg: आजकी तारीख में सुपर कंप्यूटर कोई अनजाना शब्द या तकनीक नहीं है। साधारण कंप्यूटरों की तुलना में हजारों-लाखों गुना ज्यादा तेजी से काम करने और एक सेकेंड में अरबों-खरबों गणनाएं करने की क्षमता सुपर कंप्यूटरों को आम कंप्यूटरों से अलग करती है। इन्हीं सुपर कंप्यूटरों से जुड़ी एक नई सूचना यह है कि हाल में भारत में परम रुद्र श्रेणी के तीन नए सुपर कंप्यूटर विकसित कर देश के अलग-अलग वैज्ञानिक संस्थानों में स्थापित किए गए हैं। निश्चित रूप से इनसे कंप्यूटिंग के क्षेत्र में हमारे देश को बढ़त हासिल होगी, लेकिन क्या हमारा देश सुपर कंप्यूटर मामले में उस स्थिति में है कि तकनीक के इस क्षेत्र की महाशक्तियों की बराबरी कर सके ?
हालांकि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के इस दौर में सुपर कंप्यूटरों की चर्चा पुराने जमाने की लग सकती है, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि गणनाओं में तेजी लाए बिना एआइ जैसी तकनीक का भी कोई अर्थ नहीं रह जाता है। बहरहाल भारत की स्थिति इस मामले में सुपर स्टार जैसी नहीं है। क्षमता के मानकों पर सुपर कंप्यूटरों की इसी साल जून में जारी वैश्विक सूची में भारत को 20वीं स्थान मिला है, जो इसे देश में स्थापित 11 सुपर कंप्यूटरों की बदौलत मिला है। हाल में पुणे, दिल्ली और कोलकाता के अग्रणी वैज्ञानिक अनुसंधानों के कामकाज में तीव्रता लाने के लिए सुपर कंप्यूटर परम रुद्र को विकसित करके स्थापित किया गया है। इनमें से एक सुपर कंप्यूटर पुणे स्थित विशाल मीटर रेडियो टेलीस्कोप (जीएमआरसी) में स्थापित किया गया है। वहां स्थापित परम रुद्र से खगोलीय संकेतों को समझने और विशेष रूप से रेडियो संकेतों को पकड़ने में मदद मिलेगी। दूसरा परम रुद्र दिल्ली स्थित इंटर यूनिवर्सिटी एक्सलेरेटर सेंटर (आइयूएस) में स्थापित किया गया है। यहां स्थापित परम रुद्र पदार्थ विज्ञान और परमाणु भौतिकी के क्षेत्र में शोध एवं अनुसंधान को गति देगा। तीसरा परम रुद्र कोलकाता के एसएन बीस सेंटर में लगाया गया है। वहां इसकी मदद से भौतिकी, ब्रह्मांड विज्ञान और पृथ्वी के संचालन संबंधी गतिविधियों के आंकड़ों का सटीक विश्लेषण किया जाएगा। इन तीनों में से दिल्ली के इंटर यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर में स्थापित सुपर कंप्यूटर की क्षमता यानी गणना करने की गति सबसे ज्यादा है। यह एक "पेटाफ्लाप है, जबकि कोलकाता में लगाया गया परम रुद्र इसके मुकाबले धीमा है, जो कि 838 टेराफ्लाप की गति वाला है। हमारे देश के पास राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन के तहत विकसित किए गए परम रुद्र से पहले परम अनंत, परम शिवाय, परम शक्ति और परम ब्रह्म नाम के सुपर कंप्यूटर मौजूद हैं।
क्यों अहम है सुपर कंप्यूटिंग तकनीक
बात चाहे मौसम के पूर्वानुमान लगाने की हो, जलवायु के रुझान जानने की हो, परमाणु परीक्षणों और फार्मास्युटिकल रिसर्च जैसे कामों में दक्षता हासिल करते की हो इन सभी में सुपर कंप्यूटिंग से ही तेजी आई है। आज चैटजीपीटी जैसे एआइ प्लेटफार्म अगर तेजी से हमारे कामकाज संपन्न कर रहे हैं, तो उनमें भी सुपर कंप्यूटिंग का कमाल दिखता है। एआइ की मदद से चलने वाले एल्गोरिद्म और चेहरा पहचानने आदि जटिल कामों में भी सुपर कंप्यूटिंग तकनीक बहुत मददगार है। इन दिनों चिकित्सा, खास तौर से फार्मास्युटिकल के क्षेत्र में सुपर कंप्यूटरों का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है सुपर कंप्यूटिंग की मदद से ही कोरोना वायरस के स्वरूप बदलने की क्षमताओं को मापा गया और उस पर कोई वैक्सीन कितनी कारगर है इसका आकलन किया गया। सुपर कंप्यूटरों से अंतरिक्ष अनुसंधान और बेहद उच्च-स्तरीय हथियार जैसे कि परमाणु हथियार और हाइपरसेनिक मिसाइलें बनाने में भी काफी मदद मिलती है। आज की तारीख में सभी तरह के आधुनिक हथियारों के निर्माण और राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र में सुपर कंप्यूटरों का ही इस्तेमाल होता है। उल्लेखनीय है कि अंतरिक्ष की खोज, चिकित्सा, तीव्र इंटरनेट सेवा, इंसान के दिमाग की पड़ताल, रोबोटिक्स और मौसम संबंधी जानकारियों के बढ़ते दायरे के मद्देनजर अब दुनिया में अत्यधिक तेज सुपर कंप्यूटरों की जरूरत पड़ने लगी है। इसी जरूरत को भांपते हुए चीन, रूस, अमेरिका, जापान आदि देश तीव्रतम सुपर कंप्यूटरों के निर्माण की कोशिश में लगे हुए हैं।
शीर्ष पर पहुंचने की होड़
हमारे देश में कई और सुपर कंप्यूटर भी हैं, लेकिन परम रुद्र की स्थापना के साथ उम्मीद है कि भारत शीर्ष सुपर कंप्यूटरों की सूची में जल्द ही नए मुकाम पर होगा, लेकिन यहां एक मलाल हमें सताता है। वह यह कि सुपर कंप्यूटिंग के मामले में काफी तरक्की करने के बावजूद हमारा देश शीर्ष 10 में नहीं आता है। हालांकि हमारे देश में कुछ सुपर कंप्यूटर ऐसे हैं जिनकी गिनती कुछ समय पहले तक दुनिया के सौ सबसे तेज सुपर कंप्यूटरों में होती रही है जैसे कि प्रत्यूष और मिहिर सुपर कंप्यूटर प्रत्यूष सुपर कंप्यूटर पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट आफ ट्रॉपिकल मेट्रोलाजी संस्थान में स्थापित है। नवंबर 2018 में जारी शीर्ष 500 सुपर कंप्यूटरों की लिस्ट में यह 45वें स्थान पर आया था, जबकि नौएडा स्थित नेशनल सेंटर फार मीडियम रेंज वेदर फारकास्टिंग में स्थापित मिहिर सुपर कंप्यूटर इस सूची में 73वें नंबर पर था। फिलहाल सुपर कंप्यूटरों की टाप 10 लिस्ट में चीन एवं अमेरिका के अलावा जापान, जर्मनी और फ्रांस के सुपर कंप्यूटर आते हैं। खुद को आइटी और कंप्यूटिंग का पुरोधा कहने वाला हमारा देश इस मामले में काफी पिछड़ा हुआ है। आखिर इस पिछड़ेपन का कारण क्या है?
पाबंदियों से खुला का रास्ता
असल में विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में यह बात काफी मायने रखती है कि किसी देश ने उससे जुड़ी परियोजनाओं और शोधकार्यों की शुरुआत कब से की ध्यान रहे कि भारत ने पहले सुपर कंप्यूटर परम 8000 के निर्माण की तरफ तब कदम बढ़ाए थे, जब अमेरिका ने भारत को सुपर कंप्यूटर देने से इन्कार कर दिया था। अमेरिका ने भारत को क्रे नामक सुपर कंप्यूटर देने से मना कर दिया था तब इस चुनौती की स्वीकार करते हुए सरकार के निर्देश पर भारतीय विज्ञानी डा. विजय भटकर और उनके सहयोगियों ने परम 8000 नामक पहला सुपर कंप्यूटर बनाया था। इस दिशा में दूसरी बड़ी पहल 2015 में हुई, जब राष्ट्रीय ई-गवर्नेस प्लान 2.0 के अंतर्गत हर किस्म की सरकारी सेवा को मोबाइल समेत अन्य इलेक्ट्रानिक माध्यमों के प्लेटफार्म पर ले आने की
योजना लागू की गई। इसका उद्देश्य आम जनता को शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, न्याय, साइबर सुरक्षा समेत कई अन्य क्षेत्रों की सेवाएं घर बैठे मुहैया करना था। लिहाजा सरकार ने देश में 73 सुपर कंप्यूटर बनाने का फैसला किया था। परम रुद्र श्रेणी के तीन नए सुपर कंप्यूटरों की स्थापना इसी सिलसिले की एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जिससे सुपर कंप्यूटिंग में भारत की हैसियत में सुधार होगा।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब
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Gulabi Jagat
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